Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

'Train 18' कैसे बन गई वंदे भारत? क्या है इस सेमी हाईस्पीड ट्रेन की पूरी कहानी; सुविधाएं ऐसी की हवाई जहाज भी फेल!

15 फरवरी 2019 को वंदे भारत से सफर करने का सपना साकार हुआ। देश की पहली वंदे भारत ट्रेन नई दिल्‍ली और वाराणसी के बीच चली थी। वंदे भारत ट्रेनें भारतीय रेलवे के इतिहास में मील का पत्थर हैं। यह आत्मनिर्भरता आधुनिकता और यात्री सुविधाओं पर भारत के बढ़ते ध्यान का प्रतीक हैं। यह न सिर्फ भारत की तकनीकी दक्षता को दर्शाते हैं बल्‍क‍ि भविष्‍य की राह भी दिखाते हैं।

By Praveen Prasad Singh Edited By: Praveen Prasad Singh Updated: Tue, 12 Mar 2024 06:24 PM (IST)
Hero Image
वाई-फाई कनेक्टिविटी से लैस वंदे भारत ट्रेन के डिब्‍बों में ऑटोमैटिक दरवाजे लगे होते हैं।

बिजनेस डेस्‍क, नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 10 और वंदे भारत को हरी झंडी दिखाकर देश को समर्पित कर दिया। इसके साथ ही देश में चलने वाली वंदे भारत ट्रेनों की संख्‍या 51 हो गई है। वंदे भारत ट्रेनें भारतीय रेलवे की आन-बान और शान बन गई हैं। आज हर रेल यात्री की चाहत है कि उसे भी कम से कम एक बार इन ट्रेनों में यात्रा करने का मौका मिले। वंदे भारत ट्रेनें अपनी शुरुआत से ही लोगों को आकर्षित करती रही हैं। इन ट्रेनों में देश में सेमी हाई स्‍पीड ट्रेन के सपने को साकार किया है। साथ ही इनमें मिलने वाली सुविधाएं भी यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। लेकिन क्‍या आप इन ट्रेनों के शुरू होने के पीछे की कहानी जानते हैं? चलिए हम आपको बताते हैं।

कैसे हुई शुरुआत?

भारतीय रेलवे नेटवर्क दुनिया के सबसे व्यापक रेल नेटवर्क में से एक है। यूं तो भारतीय रेलवे के पास राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी तेज गति वाली प्रीमियम ट्रेनें पहले से मौजूद थीं, लेकिन यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं और तेज गति का अनुभव प्रदान करने के लिए एक सेमी हाई स्‍पीड ट्रेन की जरूरत महसूस की जा रही थी। ऐसे में साल 2017 में रेलवे ने सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनों के विकास की योजना बनाई। इसके लिए किसी विदेशी कंपनी से करार करने की बजाए स्‍वदेशी तकनीक पर ही जोर दिया गया और इसका जिम्‍मा सौंपा गया चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) को। 'मेक इन इंडिया' के तहत इस पर काम शुरू हुआ और केवल 18 महीनों में अपने अथक प्रयासों के बाद भारतीय इंजीनियरों और टेक्‍नीशियनों ने साल 2018 में इसका पहला प्रोटोटाइप तैयार कर दिया, जिसका नाम 'ट्रेन 18' रखा गया। उसके बाद शुरू हुआ परीक्षणों का दौर। तमाम मापदंडों पर खरा उतरने के लिए इस ट्रेन को व्यापक परीक्षणों से गुजारा गया और सुनिश्चित किया गया क‍ि यह भारतीय रेलवे ट्रैकों और परिस्थितियों के अनुकूल है।

वंदे भारत का पहला सफर

15 फरवरी 2019 को वंदे भारत से सफर करने का सपना साकार हुआ। देश की पहली वंदे भारत ट्रेन नई दिल्‍ली और वाराणसी के बीच चली थी। इसकी स्‍पीड के साथ ही इसमें मिलने वाली सुविधाओं ने भी यात्रियों को खासा प्रभावित किया। पहले इसका नाम ट्रेन 18 रखा गया था, लेकिन लॉन्च के कुछ ही महीनों बाद इसे बदलकर 'वंदे भारत' कर दिया गया। यह नाम 'आत्मनिर्भर भारत' के संकल्प को दर्शाता है। पहले सफल सफर के बाद से इन ट्रेनों में और भी फीचर जोड़े गए। फिलहाल वंदे भारत ट्रेन कई महत्वपूर्ण मार्गों पर दौड़ रही हैं, जिनमें दिल्ली-कटरा, मुंबई सेंट्रल-गांधीनगर जैसे प्रमुख रूट शामिल हैं।

भविष्य की रफ़्तार

वंदे भारत ट्रेनें भारतीय रेलवे के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हैं। यह आत्मनिर्भरता, आधुनिकता और यात्री सुविधाओं पर भारत के बढ़ते ध्यान का प्रतीक हैं। यह न सिर्फ भारत की तकनीकी दक्षता को दर्शाते हैं बल्‍क‍ि भविष्‍य की राह भी दिखाते हैं। वंदे भारत 180 किमी प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से दौड़ सकती है, जो इसे भारत की सबसे तेज ट्रेनों में से एक बनाती है। मौजूदा ट्रेनों की तुलना में इसकी यात्रा में समय भी कम लगता है।

इन खूबियों से लैस है वंदे भारत ट्रेन

  • वंदे भारत ट्रेन 180 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति प्राप्त कर सकती है।
  • वंदे भारत ट्रेनों में यात्रियों के आराम का पूरा ख्‍याल रखा जाता है। सीटें बेहद आरामदायक, एर्गोनॉमिक डिज़ाइन वाली सीटें और पर्याप्त लेग स्पेस मिलता है।
  • वाई-फाई कनेक्टिविटी से लैस डिब्‍बों में ऑटोमैटिक दरवाजे लगे होते हैं। साथ ही, एलईडी डेस्टिनेशन बोर्ड, टच स्क्रीन कंट्रोल और वैक्यूम शौचालय जैसी आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।
  • सुरक्षा के लिहाज से भी वंदे भारत ट्रेनों में कई सुविधाएं शामिल की गई हैं, जैसे कि स्लाइडिंग कैप्सूल डिजाइन, जो टक्कर की स्थिति में यात्रियों की रक्षा करता है। ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरे भी लगे होते हैं।
  • हर सीट के नीचे मोबाइल और लैपटॉप चार्ज करने के लिए चार्जिंग पॉइंट दिए गए हैं।