वित्तीय लक्ष्यों के साथ म्यूचुअल फंड में कैसे निवेश किया जाए, क्या है सही तरीका
म्यूचुअल फंड में निवेश के कई विकल्प हैं जैसे इक्विटी डेट गोल्ड और हाइब्रिड। लेकिन निवेशकों के लिए इक्विटी का विकल्प काफी आकर्षक रहा है जहां उन्हें ज्यादा रिटर्न की उम्मीद होती है। वैसे बाकी फंड की तुलना में इक्विटी फंड अधिक जोखिम भरा होता है इसलिए निवेशक अपनी वित्तीय स्थिति और उम्र को ध्यान में रखकर एक सही म्यूचुअल फंड चुन सकते हैं।
नई दिल्ली। पिछले कुछ सालों से घरेलू निवेशकों का भरोसा भारतीय बाजार पर बढ़ा है, जिसकी वजह से लोग लगातार म्यूचुअल फंड के जरिए SIP कर रहे हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश के कई विकल्प हैं, जैसे इक्विटी, डेट, गोल्ड और हाइब्रिड। लेकिन निवेशकों के लिए इक्विटी का विकल्प काफी आकर्षक रहा है, जहां उन्हें ज्यादा रिटर्न की उम्मीद होती है। वैसे, बाकी फंड की तुलना में इक्विटी फंड अधिक जोखिम भरा होता है। इसलिए, निवेशक अपनी वित्तीय स्थिति और उम्र को ध्यान में रखकर एक सही म्यूचुअल फंड चुन सकते हैं, ताकि वित्तीय लक्ष्यों को पूरा किया जा सके।
वित्तीय लक्ष्यों का महत्व
हमारा जीवन बिना पैसे के आगे नहीं बढ़ सकता। हम अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल जरूरतों को तभी पूरा कर सकते हैं, जब हमारे पास एक निश्चित इनकम हो। लेकिन हमारे शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म खर्चे होते हैं, जैसे बच्चों की शिक्षा, शादी, कार या घर खरीदना, वेकेशन, रिटायरमेंट प्लान आदि। इन खर्चों को पूरा करने के लिए एक बेहतर फाइनेंशियल गोल का होना जरूरी है। क्योंकि, अगर लक्ष्य को ध्यान में रखकर निवेश किया जाए तो व्यवहार में अनुशासन आता है और निवेश की यात्रा सरल हो जाती है। इसलिए, निवेश के निर्णय हमेशा इन लक्ष्यों की समयसीमा और उद्देश्य पर आधारित होने चाहिए।
म्यूचुअल फंड चुनते समय क्या हैं मुख्य कारक
समय अवधि (Time Horizon): निवेश का मतलब यह नहीं है कि आपने आज पैसे डाले और कुछ दिनों बाद आपका मन किया तो आपने निकाल लिये। यहां अनुशासन एक महत्वपूर्ण गुण है, जो निवेशकों में होना चाहिए। आपको यह निर्णय लेना होना कि आप म्यूचुअल फंड में जो पैसे लगा रहे हैं, वो कितने समय के लिए है। वो शॉर्ट-टर्म, मीडियम-टर्म और लॉन्ग-टर्म हो सकता है। अगर शुरू में ही समय अवधि निश्चित हो जाए तो वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है।
जोखिम सहनशीलता (Risk Appetite): जब निवेशक किसी म्यूचुअल फंड को चुनता है, तो वह देखता है कि उसका रिस्क एपेटाइट यानी जोखिम लेने की क्षमता कितनी है। सामान्य रूप से माना जाता है कि युवा व्यक्ति ज्यादा जोखिम लेता है, और जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, जोखिम लेने की क्षमता घटने लगती है। इसलिए, आप अपनी उम्र और इनकम के आधार पर म्यूचुअल फंड को चुन सकते हैं।
म्यूचुअल फंड के चुनाव पर अनंत एसोसिएट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर महेश कुमार कहते हैं, “जब हम किसी फंड को चुनते हैं, तो हम देखते हैं कि शॉर्ट और लॉन्ग टर्म में उसका ट्रैक रिकॉर्ड कैसा है, बाजार में फंड ने कितना रिटर्न दिया है, फंड अंडरपरफॉर्म है या आउटपरफॉर्म। फंड की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसका चुनाव करते हैं।
एसेट एलोकेशन (Asset Allocation): अगर आप सुरक्षित निवेश करना चाहते हैं, तो आप डायवर्सिफिकेशन की ओर जाएंगे। वहीं, अगर आप रिस्क लेना चाहते हैं तो आप इक्विटी में निवेश करना पसंद करेंगे। आजकल निवेशक ऐसे म्यूचुअल फंड का पूरा फायदा उठा रहे हैं, जहां इक्विटी, डेट और गोल्ड का संतुलन है, और जोखिम कम है।
फंड का ट्रैक रिकॉर्ड: सही म्यूचुअल फंड का चुनाव उसके इतिहास में छुपा हुआ है। हम यह देखते हैं कि पिछले 5 और 10 सालों में उस खास फंड ने कैसा प्रदर्शन किया है। क्या उसने लंबे समय तक रिटर्न दिया है। लंबे समय तक रिटर्न को देखते हुए निवेशकों को किसी म्यूचुअल फंड का चुनाव करना चाहिए। साथ ही, यह भी देखना चाहिए कि उस फंड ने अपनी श्रेणी में स्थिरता दिखाई हो।
लक्ष्यों और अवधि के आधार पर म्यूचुअल फंड के प्रकार
शॉर्ट-टर्म लक्ष्य: हमारे वित्तीय लक्ष्य अलग-अलग समयावधि के लिए होते हैं। अगर आपने शॉर्ट-टर्म लक्ष्य बनाया हुआ है, जिसकी समयावधि 3 साल से कम है और जिसमें विदेश यात्रा, कार खरीदना या फिर इमरजेंसी फंड शामिल है, तो इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आप डेट फंड, लिक्विड फंड या लो-इक्विटी वाले फंड ले सकते हैं।
मीडियम-टर्म लक्ष्य: बच्चों की शिक्षा, घर का रिनोवेशन, इलाज आदि ये कुछ ऐसे खर्चे हैं, जिसका सामना मिडिल क्लास जरूर करता है। इन्हें मीडियम-टर्म लक्ष्य के रूप में देखा जा सकता है, जिसकी समयावधि 3 से 5 साल के बीच होती है। इसमें स्टेबिलिटी और ग्रोथ पोटेंशियल का एक संतुलित मेल देखने को मिलता है। आप इसके लिए लार्ज-कैप इक्विटी फंड या फ्लेक्सी-कैप फंड का चुनाव कर सकते हैं जो कम जोखिम के साथ आपको मॉडरेट ग्रोथ प्रदान करते हैं।
लॉन्ग-टर्म लक्ष्य : अगर आप लॉन्ग टर्म यानी 7 से 15 साल के लिए निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो आपसे उम्मीद की जाती है कि आप अनुशासित रहेंगे। आपने रिटायरमेंट या बच्चों की शादी के लिए योजना बनाई हुई है और आपको बेहतर रिटर्न की तलाश है। इसमें SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) आपकी मदद कर सकता है, जहां मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड में पैसे लगाकर भारी रिटर्न कमाया जा सकता है। यह एक इक्विटी-हैवी पोर्टफोलियो है। हालांकि, लॉन्ग-टर्म लक्ष्य को पूरा करने के लिए आप दूसरे म्यूचुअल फंड के विकल्पों पर विचार कर सकते हैं।
अगर आपका लक्ष्य स्पेसिफिक है तो आप उसके हिसाब से फंड का चुनाव कर सकते हैं। जैसे बच्चों की शिक्षा के लिए चाइल्ड एजुकेशन फंड, जो एक सॉल्यूशन-ओरिएंटेड फंड है। रिटायरमेंट के लिए रिटायरमेंट फंड। रिटायरमेंट प्लान में अगर आप लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं तो इक्विटी-हैवी की ओर जा सकते हैं। वहीं, कम अवधि के लिए हाइब्रिड या डेट सही रहेगा।
निवेश रणनीतियां
निवेश रणनीतियां हमारे निवेश के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करती हैं। ये रणनीतियां हर व्यक्ति के लिए उनके निवेश के हिसाब से अलग-अलग हो सकती हैं। जैसे नए निवेशकों के लिए लंपसम की तुलना में SIP बेहतर होता है। इसमें वह कम पैसे से अपनी निवेश यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं। उसी तरह, जब मार्केट खुद करेक्ट करे तो उस समय आपके पास निवेश के लिए फंड जरूर हो। यहां, FD या लिक्विड फंड आपके काम आ सकता है।महेश कुमार कहते हैं, “मार्केट का गिरना या ऊपर जाना उसका नेचर है, वह अपने नेचर के मुताबिक काम करेगा। यहां जरूरत है कि निवेशक अपना वित्तीय लक्ष्य बनाए और मार्केट करेक्शन का ध्यान दे। अगर आपके डेट फंड में पैसा है तो इस करेक्शन का फायदा उठाएं। मार्केट करेक्शन को निवेश का अवसर समझें, न कि पैसे निकालने का।
नए निवेशकों के लिए सलाह निवेश के प्रति बढ़ती जागरूकता और सोशल मीडिया की वजह से आज स्टॉक मार्केट और म्यूचुअल फंड हर किसी को लुभा रहे हैं, खासकर नए निवेशकों को। COVID के बाद जुड़े कई निवेशकों ने असल में मार्केट उतार-चढ़ाव का अनुभव नहीं किया है। अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं तो डाउनटर्न में पैनिक सेलिंग से बचें, इसके बजाय NAV कम होने पर टॉप-अप निवेश करें। केवल पोर्टफोलियो ही नहीं, बल्कि अपने व्यवहार को भी मैनेज करें ताकि जोखिम कम हो।
इक्विटी बनाम डेट फंड जागरूकता
इक्विटी फंड एक तरह का म्यूचुअल फंड है, जहां मुख्य रूप से स्टॉक्स में निवेश किया जाता है। यह दूसरे निवेश विकल्पों की तुलना में ज्यादा रिस्की है। इसके पीछे की वजह है स्टॉक प्राइस का लगातार उतार-चढ़ाव। इसके बावजूद भी निवेशक इक्विटी फंड का चुनाव करते हैं और अभी भी डेट-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड्स को नजरअंदाज करते हैं। लेकिन बता दें कि डेट फंड्स शॉर्ट-टर्म या कम जोखिम वाले निवेशकों के लिए बेहतर हैं, जहां स्थिरता और अनुमानित रिटर्न है। इक्विटी फंड्स अधिक ग्रोथ की संभावना देते हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करें। साथ ही, यह अधिक जोखिम सहनशीलता की मांग करते हैं।
विशेषज्ञ की अंतिम सलाह
किसी भी क्षेत्र में निवेश करना है तो सही जानकारी और जागरूकता दो अहम पहलू माने जाते हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए भी यही कसौटी है। किसी फंड का चुनाव करते समय आपको कुछ बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए, जिसमें शामिल है - वित्तीय लक्ष्य, समय सीमा, सही एसेट एलोकेशन, रिस्क लेने की क्षमता और लिक्विडिटी। अंतिम में, अगर मार्केट करेक्ट हो रहा है तो इसे खतरा नहीं, बल्कि अवसर समझें।
Fund of Funds पर एक्सपर्ट की राय समझने के लिए यह वीडियो देखें -
Disclaimer:- इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं और जागरण न्यू मीडिया कंपनी के विचारों को नहीं दर्शाते हैं। इसमें दिया गया कॉन्टेंट केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे कोई भी निर्णय लेने से पहले किसी योग्य वित्तीय सलाहकार से सलाह लें। जागरण न्यू मीडिया कंपनी जानकारी की सटीकता की गारंटी नहीं देती है और किसी भी वित्तीय परिणाम के लिए जिम्मेदार नहीं है। सभी निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।