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    केंद्र सरकार की इस स्कीम ने किया कमाल, देश में बिछ रहा कारखानों का जाल

    Updated: Tue, 15 Oct 2024 01:18 PM (IST)

    कुछ साल पहले तक भारत कई इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर था। चार साल पहले तक देश में एसी में इस्तेमाल होने वाला कंप्रेशर नहीं बनता था। कई अन्य प्रमुख पा‌र्ट्स इंपोर्ट किए जाते हैं। लेकिन अब स्थिति काफी हद तक बदल गई है। अब कई पार्ट्स की घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग बढ़ गई है और इसकी वजह है पीएलआई स्कीम।

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    सी व एलईडी के अन्य प्रमुख पा‌र्ट्स का भी पूरी तरह से आयात किया जाता था।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम की मदद से अब एसी और एलईडी कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार पकड़ने लगी है। चार साल पहले तक देश में एसी में इस्तेमाल होने वाला कंप्रेशर नहीं बनाया जाता था। एसी व एलईडी के अन्य प्रमुख पा‌र्ट्स का भी पूरी तरह से आयात किया जाता था।

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    अब इन पा‌र्ट्स में घरेलू स्तर पर 20 प्रतिशत से अधिक का वैल्यू एडिशन होने लगा है जो अगले कुछ सालों में 75 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है। वर्ष 2021 में एसी और एलईडी कपोनेंट्स के निर्माण के लिए पीएलआई स्कीम लाई गई थी। इस स्कीम के तहत अब तक तीन चरण में आवेदन मंगाए गए।

    पीएलआई स्कीम का दिख रहा है असर

    पहले चरण में 15, दूसरे चरण में 40 तो तीसरे चरण में 38 कंपनियों को स्कीम के तहत उत्पादन के लिए चयनित किया गया। सोमवार को तीसरे चरण के तहत चयनित कंपनियों की घोषणा की गई। पहले चरण में चयनित 15 में से 11 कंपनियों ने उत्पादन शुरू कर दिया है। दूसरे चरण की 40 कंपनियों में कुछ उत्पादन शुरू कर चुकी है तो बाकी भी जल्द ही उत्पादन शुरू करने वाली है।

    उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग के संयुक्त सचिव संजीव के मुताबिक, अब देश में सालाना लगभग 80 लाख कंप्रेशर का निर्माण किया जाने लगा है। पहले एसी मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल होने वाले सभी कंप्रेशर का आयात किया जाता था। देश में सालाना 1.1 करोड़ एसी का निर्माण हो रहा है और इसमें इस्तेमाल होने वाले कंपोनेंट्स का अब घरेलू स्तर पर बनने लगे हैं।

    5 साल में 40 फीसदी बढ़ेगी एसी की बिक्री

    एसी की बिक्री में अगले पांच साल तक 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है। दो साल पहले तक यह बढ़ोतरी दर 15 प्रतिशत थी। एसी और एलईडी कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग के क्लस्टर उत्तर प्रदेश के नोएडा, ग्रेटर नोएडा, राजस्थान के निमराना व भिवाड़ी, महाराष्ट्र में पुणे और औरंगाबाद, गुजरात में सानद तो आंध्र प्रदेश के श्री सिटी में स्थापित किए जा रहे हैं।

    संजीव ने बताया कि तीसरे चरण के लिए जिन 38 कंपनियों का चयन किया गया है उनमें एमएसएमई स्तर की कई ऐसी कंपनियां भी शामिल हैं जो अब तक डायकिन, वोल्टास जैसी कंपनियों के लिए जाब वर्क करती थी। हिताची, पेनासोनिक, हेयर, डायकिन, वोल्टास, हेवल्स, ब्लू स्टार जैसी बड़ी कंपनियां पीएलआई स्कीम के तहत एसी के कंपोनेंट्स बनाएंगी।

    वहीं एलईडी लाइट्स के कंपोनेंट्स के निर्माण के लिए ओरिएंट, सूर्या, क्रंपटन, कास्मो फिल्म, डिक्सन, आरके लाइटिंग जैसी कई कंपनियां आगे आई हैं। वित्त वर्ष 2028-29 तक ये 38 कंपनियां 4121 करोड़ रुपए का निवेश करेंगी।

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