5 अलग-अलग तरह की होती है SIP, इनमे से कौन-सी एसआईपी है आपके लिए बेहतर
Types of SIP एसआईपी को सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान भी कहा जाता है। ये म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सबसे आसान तरीका है। अगर आप म्यूचुअल फंड एसआईपी में निवेश करना चाहते हैं या करने वाले हैं। तो ये आर्टिकल आपके लिए बड़े काम का हो सकता है। आज हम जानेंगे कि एसआईपी मुख्य रूप से कितने टाइप के होते हैं। वहीं किसमे आपको सबसे ज्यादा लाभ मिलता है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। वैसे तो एसआईपी कई तरह के होते हैं। आज हम इसके मुख्य प्रकार के बारे में बात करेंगे। एसआईपी के जरिए निवेशक आसानी से म्यूचुअल फंड में निवेश कर पाते हैं। वहीं एसआईपी के तहत कई तरह की सुविधाएं जैसे किस्तों में निवेश करना, एसआईपी Pause का ऑप्शन, निवेश रकम चुनने और बढ़ाने का विकल्प इत्यादि शामिल हैं।
आमतौर पर निवेशक एसआईपी के एक ही टाइप यानी रेगुलर एसआईपी में निवेश करता है। हालांकि एसआईपी के कई और भी टाइप है। जिसमें निवेश कर भविष्य के लिए मोटा फंड तैयार किया जा सकता है। अलग-अलग एसआईपी के उद्देश्य भी अलग-अलग है। इसलिए आपके लिए कौन-सा टाइप बेहतर है, ये व्यक्तिगत पसंद और उद्देश्यों पर निर्भर करता है।
कितने टाइप के होते हैं एसआईपी?
एसआईपी के कई प्रकार हो सकते हैं। आज हम इनमें से चयनित कुछ टाइप के बारे में बात करेंगे। निवेशकों द्वारा ज्यादातर इन्हीं टाइप का इस्तेमाल भी होता है।
1. रेगुलर एसआईपी- आमतौर पर निवेशक रेगुलर एसआईपी में ही निवेश करता है। जिनमें एक तय अवधि के लिए, तय अमाउंट का चयन कर मौटा फंड तैयार होता है। इसमें आपको एसआईपी pause और निवेश रकम जब चाहे बढ़ाने का भी विकल्प मिलता है।
एसआईपी के इस टाइप से हम सभी रूबरू हैं। वहीं इसका ही आमतौर पर ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।
2. फ्लेक्सिबल एसआईपी- इसके तहत निवेशक जब चाहे, निवेश रकम बदल सकते हैं। इसमें रकम को लेकर निवेशकों को लचीलता मिलती है। ये एसआईपी उन लोगों के लिए बेहतर है, जिनकी कोई फिक्स इनकम नहीं होती। आप अपनी कमाई के हिसाब से निवेश रकम चुन सकते हैं।
3. स्टेप-अप- स्टेप-अप भी एसआईपी का एक टाइप है। ये टाइप उन लोगों के लिए बेहतर है, जो कम समय में मोटा फंड तैयार करना चाहते हैं। इसके तहत हर साल आपकी निवेश रकम का 10 फीसदी बढ़ जाता है। इस तरह से निवेश रकम बढ़कर, अच्छा खासा रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है।
4 और 5 ELSS- ईएलएसएस भी एसआईपी का ही एक टाइप है। इसके तहत निवेशक सेक्शन 80सी के तहत टैक्स बेनिफिट प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही शेयर बाजार के बेहतरीन रिटर्न का फायदा भी उठा सकते हैं। इसके अलावा पहले यूलिप फंड के तहत भी पहले टैक्स बेनिफिट मिलता था। लेकिन अब सरकार ने इसे बंद कर दिया है।
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