52 की मच्छरदानी, बेची ₹237 में; इस कंपनी के खिलाफ CBI ने दर्ज किया केस, जानें क्या है पूरी खबर?
HIL fraud case हिंदुस्तान कीटनाशक लिमिटेड को 2021-22 में मलेरिया नियंत्रण के लिए 29 करोड़ रु. का सरकारी ठेका मिला था। यह ठेका केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन केंद्रीय चिकित्सा सेवा समाज (CMSS) को 11 लाख से ज्यादा कीटनाशक-युक्त मच्छरदानियां सप्लाई करने के लिए दिया गया था। इसमें पीएसयू ने 52 रुपए में मच्छरदानी खरीदी और सरकार को 237 रुपए में बेची। मामले में अब CBI जांच करेगा।

नई दिल्ली| HIL fraud case : मच्छरदानी ₹52 की, सरकार को बेची ₹237 की। अब मामले की जांच करेगी CBI। चौंकिए मत यह सच है। यह मामला सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान कीटनाशक लिमिटेड (HIL) से जुड़ा है, जिसने 2021-22 में मलेरिया नियंत्रण के लिए 29 करोड़ रुपए का सरकारी ठेका हासिल किया था। यह ठेका केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन केंद्रीय चिकित्सा सेवा समाज (CMSS) को 11 लाख से ज्यादा कीटनाशक-युक्त मच्छरदानियां सप्लाई करने के लिए दिया गया था। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि इस ठेके में HIL अकेली बोली लगाने वाली कंपनी थी।
कैसे पकड़ा गया घोटाला?
मच्छरदानी का कथित घोटाला सामने आने पर CBI ने केस दर्ज कर लिया है। CBI की जांच के मुताबिक, मच्छरदानियों का असली निर्माता था वीकेए पॉलिमर्स, जिसने इन्हें जेपी पॉलिमर्स को महज 49 से 52 रुपए प्रति मच्छरदानी बेची। इसके बाद जब यह माल HIL तक पहुंचा तो इसकी कीमत 87 से 90 रुपए हो गई। लेकिन HIL ने सरकार को वही मच्छरदानी 228 से 237 रुपए में बेची।
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सरकारी खजाने पर पड़ा बोझ
सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी ने एक मच्छरदानी पर 150 रुपए से भी ज़्यादा का मुनाफा कमाया, जो सरकारी खजाने पर भारी पड़ा। इतना ही नहीं, HIL के पास खुद की मच्छरदानी बनाने की क्षमता भी नहीं थी। इसके बावजूद, कंपनी को बड़ा ठेका कैसे मिल गया, यह भी सवालों के घेरे में है। CBI ने अब इस पूरे मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है और जांच शुरू कर दी है। सरकारी खरीद में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर यह एक गंभीर मामला बन चुका है। अब देखना है कि इस घोटाले में आगे और कौन-कौन लोग शामिल पाए जाते हैं।
क्या काम करती है कंपनी?
हिंदुस्तान कीटनाशक लिमिटेड (HIL) भारत सरकार का उपक्रम (PSU) है, जो रसायन और उर्वरक मंत्रालय (Ministry of Chemicals and Fertilizers) के अधीन है। इसकी स्थापना, 1954 में हुई थी। इसकी शुरुआत मूल रूप से राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के लिए डीडीटी आपूर्ति के लिए शुरू हुई थी। अब HIL कीटनाशक, खरपतवारनाशी और कवकनाशी (fungicide) का प्रोडक्श करती है, जो दुनिया में डीडीटी का सबसे बड़ी निर्माता है।
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