ट्रेन ड्राइवरों इन मांगों के समाधान के लिए राजी हुई सरकार, समिति का किया गठन
भारतीय रेलवे के लोको रनिंग स्टाफ के लिए ड्यूटी के दौरान भोजन और नेचर कॉल अटेंड करने के लिए निर्धारित समय का छोटा ब्रेक देने और तौर-तरीकों पर काम करने ...और पढ़ें

पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ट्रेन चालकों की भोजन और शौच के लिए निश्चित ब्रेक देने की लंबे समय से चली आ रही मांग का समाधान निकालने पर सहमत हो गई है। श्रम मंत्रालय ने भारतीय रेलवे के लोको रनिंग स्टाफ के लिए ड्यूटी के दौरान भोजन और नेचर कॉल अटेंड करने के लिए निर्धारित समय का छोटा ब्रेक देने और तौर-तरीकों पर काम करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है।
यह पहल अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के कार्य के घंटे (उद्योग) कन्वेंशन, 1919 के अनुरूप है, जिसे भारत द्वारा अनुमोदित किया गया है।
विभिन्न यूनियन के पदाधिकारियों के अनुसार, आईएलओ के 1919 के सम्मेलन में पहली बार श्रमिकों को ड्यूटी के घंटों के दौरान आराम के अंतराल का अधिकार दिया गया और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया।हालांकि कुछ कारणों से भारतीय रेलवे का रनिंग स्टाफ इससे वंचित रह गया।
पहली बार 2009 में उठा था मुद्दा
भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (IRLRO) ने पहली बार 2009 में इस मुद्दे को उठाया था और तब से, इसने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, अधीनस्थ विधान पर संसदीय समिति और श्रम पर संसदीय समिति सहित विभिन्न मंचों पर कई अभ्यावेदन दिए हैं।
IRLRO के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा कि 2018 में पहली बार, श्रम मंत्रालय ने इस मुद्दे को संबोधित करने का फैसला किया जब यह पता चला कि महिला लोको पायलट सबसे बुरी तरह प्रभावित थीं और उनकी कामकाजी स्थिति दयनीय थी और आखिरकार, 2024 में, समिति का गठन किया गया है।
18 अप्रैल को मुख्य श्रम आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी एक कार्यालय ज्ञापन (ओएम) के अनुसार, 13 सदस्यीय समिति के अध्यक्ष मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) हैं।
इसके अलावा, रेलवे बोर्ड से पांच सदस्य और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से एक (नामांकित) सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि छह अन्य सदस्य विभिन्न श्रमिक संघों से हैं।
श्रमिक संघों की एकमात्र महिला सदस्य, वरिष्ठ सहायक लोको पायलट आशिमा सचदेवा ने कहा कि महिला लोको पायलटों को ड्यूटी पर कठिन समय बिताना पड़ता है क्योंकि महिलाओं से संबंधित कई मुद्दे होते हैं, जैसे मासिक धर्म पैड बदलने में असमर्थता क्योंकि शौचालय नहीं है। इंजन में और सी-सेक्शन डिलीवरी के बाद भारी काम करते हुए हम अपने मुद्दों को उचित तरीके से संबोधित करने के लिए समिति के सामने पेश करेंगे।
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25 अप्रैल को हुई थी पहली बैठक
समिति की पहली बैठक 25 अप्रैल को हुई थी और इसे संतोषजनक बताया गया था। ओएम के अनुसार, समिति रेलवे अधिनियम, 1989 और रेलवे कर्मचारियों (काम के घंटे) में संशोधन के सुझावों के साथ-साथ ट्रेन चालकों के लिए ड्यूटी पर रहते हुए भोजन और शौच के लिए परिभाषित समय अंतराल' के कार्यान्वयन (काम और आराम की अवधि) नियम, 2005 पर काम करेगी।
समिति सभी हितधारकों, रेलवे प्रशासन, आईआरएलआरओ आदि के विचारों और टिप्पणियों को रिकॉर्ड पर लेकर इसके तौर-तरीकों पर चर्चा करेगी और निर्णय लेगी। यह इस मुद्दे पर मान्यता प्राप्त महासंघ की टिप्पणियों की भी जांच करेगा। पैनल के संदर्भ की शर्तों में से एक में कहा गया है कि समिति 12 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।


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