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    H-1B वीजा पर ट्रंप सरकार के फैसले पर 1 दिन की समयसीमा चिंताजनक, भारतीय IT कर्मचारियों पर असर: नासकॉम

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 07:33 PM (IST)

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच-1बी वीजा आवेदनों पर 1 लाख डॉलर के शुल्क लगाने से नासकॉम (H-1B visa fee hike) ने चिंता जताई है। नासकॉम के अनुसार इससे अमेरिकी बाजार पर नकारात्मक असर पड़ेगा और भारतीय आईटी कंपनियाँ भी प्रभावित होंगी। नासकॉम ने एक दिन की समय सीमा को अनिश्चित बताया है।

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    नासकॉम ने कहा कि यह अमेरिका में प्रौद्योगिकी से जुड़े इकोसिस्टम और बाजार पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

     नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीजा आवेदनों पर 1 लाख डॉलर के वार्षिक शुल्क की घोषणा के एक दिन बाद आईटी कंपनियों के शीर्ष संगठन नासकॉम ने गहरी चिंता जताई है।

    नासकॉम ने कहा कि यह अमेरिका में प्रौद्योगिकी से जुड़े इकोसिस्टम और बाजार पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है लेकिन भारतीय आईटी कंपनियों पर इसका व्यापक असर पड़ेगा।

    नासकॉम ने एक दिन की कार्यान्वयन समय सीमा (21 सितंबर सुबह 12:01 बजे से) को सबसे ज्यादा अनिश्चतता वाला फैसला करार दिया है।

    ट्रंप सरकार के उक्त फैसला को लेकर कई लोगों ने कहा है कि इससे आइटी सेक्टर के बेहद कार्यकुशल पेशेवर भारत लौटेंगे जिससे भारत को फायदा होगा। इसमें नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत भी हैं।

    अधिकांश आइटी कंपनियां वैसे चुप हैं लेकिन कुछ कंपनियों ने बयान जारी कर कहा है कि उन्हें इस तरह की आशंका पहले से थी और वह पहले से ही इस हालात के लिए तैयारी कर रही थी।

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    नासकॉम ने शुक्रवार को जारी अपने आधिकारिक बयान में कहा कि वह आदेश के बारीक विवरणों की समीक्षा कर रहा है, लेकिन इस तरह के बदलाव अमेरिकी अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। उच्च-कुशल प्रतिभा अमेरिका की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक नेतृत्व के लिए जरूरी हैं खास तौर पर एआई और अन्य अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के दौर में। इससे लंबे समय में रोजगार के अवसरों पर और विकास प्रभावित होगा। एच-1बी वीजा पर काम करने वाले भारतीय नागरिकों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। भारतीय कंपनियों के लिए ऑनशोर परियोजनाओं की समस्याएं बढ़ेंगी। नासकॉम ने अनुमान लगाया कि हजारों भारतीय आईटी पेशेवर प्रभावित होंगे। 21 सितंबर से लागू होने वाली समय सीमा को ¨चताजनक बताते हुए नासकॉम ने कहा कि एक दिन के नोटिस से विश्व भर के व्यवसायों, पेशेवरों और छात्रों के लिए बड़ी अनिश्चितता पैदा हो गई है। नासकॉम ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय और भारत-केंद्रित कंपनियां हाल के वर्षों में एच-1बी वीजा पर निर्भरता कम कर रही हैं। वे अमेरिका में स्थानीय भर्ती बढ़ा रही हैं, प्रचलित मजदूरी का भुगतान करती हैं, अमेरिकी नियमों का पालन करती हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था, संस्थानों तथा स्टार्टअप्स के साथ साझेदारी में योगदान दे रही हैं। संगठन ने जोर दिया कि इन कंपनियों के एच-1बी श्रमिक अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कोई खतरा नहीं हैं।

    नासकॉम ने कहा कि वह स्थिति पर नजर रखेगा, उद्योग हितधारकों से चर्चा करेगा और संबंधित विभाग से स्पष्टता की मांग करेगा।नासकॉम की यह प्रतिक्रिया इसलिए महत्वपूर्ण है कि एच-1बी वीजा को लेकर नये नियम से छुट्टियों या आगामी त्योहारों में अपने घर आने की तैयारी में जुटे आइटी पेशेवरों को काफी परेशानी में डाल दिया है। सूचना है कि 20 सितंबर के बाद अमेरिका से भारत के लिए फ्लाइट पकड़ने वाले कई आइटी पेशवरों ने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया है।

    प्रमुख आइटी कंपनी एलानओएस के वाइस चेयरमैन सीपी गुरनानी ने कहा है कि, “पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारतीय आइटी कंपनियों ने एच-1बी वीजा पर अपनी निर्भरता काफी कम कर दी है। भारत को लेकर जितनी मांग होती थी उसमें 50 फीसद तक की कमी आ गई है। यह हमारी उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें स्थानीय प्रतिभाओं को ज्यादा तरजीह दी जाती है। साथ ही आटोमेशन पर ध्यान देने का भी असर है। वीजा फीस बढ़ने जा रहा है लेकिन इसका हमारे कारोबार पर बहुत ही कम असर होगा। भारतीय आइटी सेक्टर इस बदलाव के हिसाब से अपने आप को बदल रहा है।''

    कई ऐसे एच-1बी वीजा वाले आइटी पेशेवर हैं जो अभी भारत में हैं. इन्हें अगले 24 घंटे में अमेरिका लौटना होगा। ऐसा नहीं होने पर उनकी कंपनी की तरफ से उनके लिए एक लाख डॉलर की फीस देनी होगी। सोशल मीडिया पर इस तरह के आइटी पेशेवर अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं।