GST Council Meeting: बच्चों की पढ़ाई होगी सस्ती, घटेगा पैरेंट्स का बोझ; कॉपी-नोटबुक से लेकर क्या-क्या हो सकता है सस्ता?
सरकार शिक्षा से जुड़ी कई चीजों पर जीएसटी (GST Rate Cut news) घटाने की तैयारी कर रही है। अभी तक कॉपी नोटबुक पेंसिल शार्पनर लैब नोटबुक मैप और ग्लोब जैसी चीजों पर 12% से 18% जीएसटी लगता है। अब इन पर टैक्स को घटाकर शून्य (0%) करने का प्रस्ताव है। अगर यह प्रस्ताव लागू हो जाता है तो अभिभावकों और छात्रों को काफी फायदा मिलेगा।

नई दिल्ली| GST Council Meeting : स्कूल जाने वाले बच्चों और उनके पैरेंट्स के लिए राहत की खबर है। सरकार शिक्षा से जुड़ी कई चीजों पर जीएसटी (GST) घटाने की तैयारी कर रही है। अभी तक कॉपी, नोटबुक, पेंसिल शार्पनर, लैब नोटबुक, मैप और ग्लोब जैसी चीजों पर 12% से 18% जीएसटी लगता है। अब इन पर टैक्स को घटाकर शून्य (0%) करने का प्रस्ताव है।
अगर यह प्रस्ताव लागू हो जाता है तो अभिभावकों और छात्रों को काफी फायदा मिलेगा। पढ़ाई से जुड़ी चीजें सस्ती हो जाएंगी और माता-पिता की जेब पर कम बोझ पड़ेगा। खासकर स्कूल खुलने के समय जब स्टेशनरी का खर्च बढ़ जाता है, तब यह राहत ज्यादा महसूस होगी।
किस सामान पर लगता है कितना जीएसटी?
आज चल रही है जीएसटी काउंसिल की मीटिंग
आज, यानी 3 सितंबर को जीएसटी काउंसिल की मीटिंग (GST Rate Cut news) है, जो 4 सितंबर तक चलेगी। जिसमें इस पर चर्चा होने वाली है। बताया जा रहा है कि काउंसिल बच्चों की पढ़ाई से जुड़ी चीजों को टैक्स फ्री करने पर सहमत हो सकती है। इसका सीधा असर हर घर पर पड़ेगा, क्योंकि हर परिवार में बच्चों की पढ़ाई का खर्च लगातार बढ़ रहा है।
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स्कूल एसोसिएशन और स्टेशनरी से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर स्टेशनरी पर टैक्स (GST Rate cut update) पूरी तरह हटा दिया जाता है, तो कॉपी और नोटबुक जैसी चीजों की कीमत तुरंत कम हो जाएगी। पेंसिल शार्पनर, मैप और ग्लोब जैसी जरूरी चीजें भी सस्ती मिलेंगी।
शिक्षा का किफायती बनाना है मकसद
सरकार का मकसद शिक्षा को सभी के लिए किफायती और आसान बनाना है। ऐसे फैसलों से गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी। क्योंकि इन परिवारों का बड़ा हिस्सा बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करता है।
ध्यान देने वाली बात है कि किताबों पर पहले से ही जीएसटी नहीं लगता है। अब अगर कॉपी, नोटबुक और अन्य स्टेशनरी भी टैक्स फ्री हो जाती है तो शिक्षा का खर्च और कम हो जाएगा।
कुल मिलाकर यह कदम छात्रों और अभिभावकों दोनों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है। अब सबकी नजर जीएसटी काउंसिल की बैठक पर है, जहां यह फैसला पक्का हो सकता है।
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