जीएसटी इन्वॉइस मिलान की प्रणाली में बदलाव संभव
जीएसटी काउंसिल ने नवंबर में हुई बैठक में इन्वॉइस मैचिंग को मार्च तक टालने का फैसला किया था ...और पढ़ें

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। जीएसटी संग्रह में गिरावट के मद्देनजर सरकार इन्वॉइस मैचिंग सिस्टम बदलने की दिशा में कदम बढ़ा सकती है। इस बदलाव के तहत इन्वॉइस मैचिंग व्यापारी को नहीं करनी होगी बल्कि विभाग खुद ही करेगी। माना जा रहा है कि जीएसटी काउंसिल 18 जनवरी को होने वाली बैठक में इस पर चर्चा कर सकती है।
सूत्रों ने कहा कि इन्वॉइस मैचिंग के सिस्टम की जरूरत इसलिए महसूस हो रही है क्योंकि अक्टूबर और नवंबर में राजस्व में कमी आई है। इसके अलावा इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावे भी काफी आ रहे हैं। ऐसे में इस सिस्टम को बदलाव के साथ लागू करने पर विचार हो सकता है।
जीएसटी काउंसिल ने नवंबर में हुई बैठक में इन्वॉइस मैचिंग को मार्च तक टालने का फैसला किया था। उस समय दलील दी जा रही थी कि इससे करदाताओं को अनुपालन में शुरुआती दिक्कत हो सकती है इसलिए इसे फिलहाल लागू न किया जाए। इसीलिए उस समय इसे टालने का फैसला किया गया था।
दरअसल जीएसटी की व्यवस्था में असेसी को जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-2 के साथ अपनी इन्वॉइस मैच करनी होती है जिसके आधार पर उसे इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलता है। व्यापारी को जीएसटीआर-1 में बिक्री और जीएसटीआर-2 में खरीद का ब्यौरा देना होता है। चूंकि यह प्रक्रिया असेसी को करनी पड़ती थी इसलिए अब यह विचार किया जा रहा है कि इन्वॉइस मैचिंग विभाग के अधिकारी करें और जिस व्यापारी की इन्वॉइस मैच नहीं कर रही है, उसकी सूचना उसे भेज दें। हालांकि अभी इस संबंध में कोई निर्णय नहीं हुआ है।
सूत्रों ने कहा कि इस बारे में अंतिम तौर पर निर्णय काउंसिल करेगी। ऐसा होने पर जीएसटी में लीकेज को पूरी तरह रोका जा सकेगा। वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि फिलहाल जीएसटी में 15 से 20 प्रतिशत तक लीकेज हो रही है। इसी लीकेज को रोकने के लिए सरकार एक फरवरी से नेशनल ई-वे बिल की व्यवस्था लागू करने जा रही है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।