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    जैविक उत्पादों की घरेलू मांग की ग्रोथ रेट 17 फीसद आंकी गई, निर्यात मांग में भी तेजी से हो रहा इजाफा

    By Pawan JayaswalEdited By:
    Updated: Thu, 18 Mar 2021 09:08 AM (IST)

    2019-20 में देश में कुल 27.5 लाख टन सर्टिफाइड जैविक उत्पादों की खेती हुई। इसमें तिलहन गन्ना अनाज कपास दलहन सुगंधित फूल जड़ी-बूटी चाय काफी सूखे मेवे और सब्जियां प्रमुख हैं। वर्ष 2019-20 के दौरान कुल 4686 करोड़ रुपये मूल्य के 6.39 लाख टन जैविक उत्पादों का निर्यात किया गया।

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    Organic Products ( P C : Pixabay )

    नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। जैविक कृषि उपज की घरेलू और वैश्विक मांग के मद्देनजर इसकी खेती को प्रोत्साहन देने की योजना परवान चढ़ने लगी है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और पूर्वोत्तर राज्यों के बाद अब जैविक खेती में लगभग एक दर्जन राज्यों ने हाथ आजमाना शुरू कर दिया है। जैविक उत्पादों की घरेलू मांग की ग्रोथ रेट 17 फीसद आंकी गई है। पिछले तीन वर्षो के दौरान घरेलू के साथ निर्यात मांग में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। जैविक खेती करने वाले किसानों को सरकार कई तरह की सुविधाएं दे रही है, जिससे इसकी बढ़ती मांगों को पूरा किया जा सकेगा।

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    जैविक खेती को सरकारी समर्थन खूब मिल रहा है। जैविक उपज की बाजार में जबर्दस्त मांग है, लिहाजा इसकी अधिक कीमत मिलती है। देश में कुल 36.7 लाख हेक्टेयर रकबा में जैविक खेती की जा रही है। इनमें 23 लाख हेक्टेयर खेती वाली जमीन है। बाकी 13.7 लाख हेक्टेयर जंगली क्षेत्रों से यह उपज इकट्ठी की जा रही है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में जैविक खेती का रकबा तेजी से बढ़ा है। सिक्किम सौ फीसद जैविक खेती वाला पहला राज्य बन चुका है।

    जैविक खेती के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीआइ) और मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नार्थ-ईस्ट रीजन की शुरुआत वर्ष 2015-16 के दौरान जैविक उत्पादों की घरेलू व वैश्विक मांग को देखते हुए की गई थी। इन दोनों योजनाओं में जैविक खेती की पूरी चेन को मजबूत बनाने के लिए हर स्तर पर मदद मुहैया कराई जाती है। इसमें जैविक खेती की टेक्नोलॉजी, किसानों को प्रशिक्षण, उत्पादन, सर्टिफिकेशन और मार्केटिंग जैसी गतिविधियों में मदद शामिल हैं।

    जैविक खेती वाले किसानों को पीकेवीवाई के तहत तीन वर्षों तक प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये की वित्तीय मदद दी जाती है। इसमें 31 हजार रुपये (31 फीसद) सीधे किसान के बैंक खाते में जमा कराया जाता है। यह मदद उन्हें बायो-फर्टिलाइजर, बायो-पेस्टिसाइड्स, ऑर्गेनिक खाद, कंपोस्ट, वर्मी कंपोस्ट, बोटैनिकल एक्सट्रैक्ट्स आदि खरीदने के लिए दी जाती है। देश के आदिवासी बहुल राज्यों में इस योजना का प्रसार ज्यादा किया जा रहा है। दरअसल ऐसी जगहों पर रासायनिक खादों का प्रयोग बहुत सीमित मात्रा में किया जाता है। इसकी खेती को लेकर इन राज्यों में फार्मर्स प्रोड्यूसर्स कंपनी (एफपीसी) बनाने की रफ्तार तेज हो गई है।

    वर्ष 2019-20 में देश में कुल 27.5 लाख टन सर्टिफाइड जैविक उत्पादों की खेती हुई। इसमें तिलहन, गन्ना, अनाज, कपास, दलहन, सुगंधित फूल और जड़ी-बूटी, चाय, काफी, सूखे मेवे और सब्जियां प्रमुख हैं। वर्ष 2019-20 के दौरान कुल 4,686 करोड़ रुपये मूल्य के 6.39 लाख टन जैविक उत्पादों का निर्यात किया गया। इनकी सर्वाधिक मांग अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान, इजरायल, न्यूजीलैंड और वियतनाम में है।

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