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    ग्रीन हाइड्रोजन भारत की शुद्ध-शून्य उत्सर्जन यात्रा के लिए महत्वपूर्ण: अदाणी

    By Agency Edited By: Ankita Pandey
    Updated: Tue, 16 Jan 2024 08:34 PM (IST)

    रबपति कारोबारी गौतम अदाणी ने मंगलवार को कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन भारत के शुद्ध-शून्य उत्सर्जन की दिशा में सफर की कुंजी है और इस पर आने वाली उच्च लागत को सौर ऊर्जा के माडल का अनुकरण करके नीचे लाया जा सकता है। सौर ऊर्जा की उत्पादन लागत पिछले कुछ वर्षों में तेजी से घटी है। आइये इसके बारे में जानते हैं।

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    ग्रीन हाइड्रोजन शुद्ध-शून्य उत्सर्जन यात्रा, यहां जानें डिटेल

    पीटीआई, नई दिल्ली। अरबपति कारोबारी गौतम अदाणी ने मंगलवार को कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन भारत के शुद्ध-शून्य उत्सर्जन की दिशा में सफर की कुंजी है और इस पर आने वाली उच्च लागत को सौर ऊर्जा के माडल का अनुकरण करके नीचे लाया जा सकता है।

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    सौर ऊर्जा की उत्पादन लागत पिछले कुछ वर्षों में तेजी से घटी है। वर्ष 2011 में सौर पैनल से बिजली पैदा करने पर 15 रुपये प्रति यूनिट की लागत आती थी लेकिन अब यह घटकर 1.99 रुपये प्रति यूनिट पर आ गई है। यह पूरी दुनिया में सौर ऊर्जा की सबसे कम उत्पादन लागत है।

    शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार

    अदाणी समूह के मुखिया ने विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के लिए लिखे एक ब्लाग में कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन की दिशा में छलांग लगाने से भारत को ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने और शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलेगी।

    नवीकरणीय बिजली के इस्तेमाल से पानी को विभाजित करके ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है। यह एक स्वच्छ ईंधन है और इससे कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है। इसका इस्तेमाल इस्पात और तेल रिफाइनरी जैसे उद्योगों में कच्चे माल और वाहनों में ईंधन के रूप में किया जा सकता है।

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    ग्रीन हाइड्रोजन कारोबार

    नवीकरणीय ऊर्जा के साथ ग्रीन हाइड्रोजन कारोबार में भी सक्रिय गौतम अदाणी ने कहा कि 'ऊध्र्वाधर एकीकरण' से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन लागत को काफी कम किया जा सकता है। 'ऊध्र्वाधर एकीकरण' में एक कंपनी अपनी मुख्य उत्पाद से जुड़ी सभी गतिविधियों को अंजाम देती है।

    उन्होंने कहा कि भारत में ग्रीन हाइड्रोजन कई क्षेत्रों के लिए शुद्ध-शून्य उत्सर्जन की दिशा में आखिरी मुकाम हो सकता है। हालांकि, ग्रीन हाइड्रोजन पर आने वाली वर्तमान लागत अधिक है और इसे कम करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के लिए न्यायसंगत समाधान एक जीवाश्म ईंधन को दूसरे के साथ बदलना न होकर नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन की ओर छलांग लगाना है। सौर लागत में आई कमी को ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में भी दोहराया जा सकता है।

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