किन कर्मचारियों को मिलती है ग्रेच्युटी? कब और कितना मिलेगा पैसा? भारत में क्या है नियम? यहां जानें सबकुछ
भारत में ऐसे बहुत सारे कर्मचारी हैं जिन्हें ये पता ही नहीं है कि ग्रेच्युटी क्या होती है? लेकिन आपको अपने आय के इस महत्वपूर्ण हिस्से के बारे जरूर पता ...और पढ़ें

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। ग्रेच्युटी आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, लेकिन ज्यादातर कर्मचारियों द्वारा इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है, खासकर प्राइवेट सेक्टर में यह ज्यादा होता है। इसका कारण यह है कि लोग लंबे समय तक एक कंपनी में जॉब नहीं करते हैं। इसके अलावा दूसरा सबसे कारण नौकरी की अनिश्चितता है।प्राइवेट सेक्टर कई लोगों को तो यह भी पता नहीं है कि ग्रेच्युटी जैसा भी कुछ होता है। भारत में ग्रेच्युटी नियम क्या है? ग्रेच्युटी को कैलकुलेट कैसे करते हैं? ऐसे कई सवालों का जवाब आपको इस खबर में मिल जाएगा। तो आइए ग्रेच्युटी के बारे में विस्तार से समझते हैं।
वेतन में ग्रेच्युटी क्या है? What is Gratuity?
ग्रेच्युटी एक कर्मचारी को कंपनी द्वारा या तो रिटायरमेंट के समय या जब वह नौकरी छोड़ रहा हो तो भुगतान किया जाता है। यह कर्मचारी को तब दिया जाता है, जब वह कम से कम 5 साल की सर्विस पूरी कर लेता है। प्राइवेट सेक्टर या पब्लिक सेक्टर के एंप्लायर द्वारा (जिसके पास 10 या अधिक कर्मचारी हैं) कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का भुगतान करना अनिवार्य है।
ग्रेच्युटी नियम क्या हैं? Gratuity Rules?
कर्मचारी, जिन्होंने अपने एंप्लायर (नियोक्ता या काम देने वाली कंपनी) के साथ लगातार 5 साल की सर्विस पूरी कर ली है, वे ग्रेच्युटी के लिए पात्र हैं। यह उन्हें रिटायरमेंट, इस्तीफा, सेवानिवृत्ति, विकलांगता या मृत्यु के कारण सर्विस खत्म होने पर भुगतान किया जाता है।
ग्रेच्युटी अधिनियम 2017 - संशोधन
ग्रेच्युटी का भुगतान अधिनियम 1972 में अधिनियमित किया गया था। यह अधिनियम सभी प्रतिष्ठानों - दुकानों, खानों, कारखानों, कंपनियों आदि पर लागू होता है। यह केंद्र और राज्य सरकारों में सिविल पदों पर तैनात ट्रेनी और अन्य व्यक्तियों पर लागू नहीं होता है। उन पर कुछ अन्य नियम लागू होते हैं।
ग्रेच्युटी भुगतान के लिए कैसे होता है कैलकुलेशन? How to Calculate Gratuity?
फाइनेंशियल प्लानर व आर्क प्राइमरी एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक हेमंत बेनीवाल बताते हैं कि अगर व्यक्ति ग्राउंड पर काम कर रहा है, तो उसे एक साल में 190 दिनों तक काम करना होगा, जिसे 1 साल माना जाता है। यदि कर्मचारी जमीन से ऊपर काम करता है, तो उसके एक साल में 240 कार्य दिवसों को 1 वर्ष के रूप में माना जाता है। यदि कर्मचारी ने एक वर्ष में इतने दिन काम नहीं किया है तो उसे ग्रेच्युटी भुगतान कैलकुलेशन के लिए अनदेखा कर दिया जाता है।
ग्रेच्युटी के लिए टाइम पीरियड कितना हो?
हेमंट बेनीवाल के मुताबिक यदि किसी कर्मचारी ने 4 साल और 10 महीने तक काम किया है, तो अवधि 5 साल मानी जाती है। ऐसे लोग कर्मचारी ग्रेच्युटी के लिए पात्र होंगे। वहीं, दूसरी ओर यदि कर्मचारी ने 4 साल 5 महीने तक काम किया है, तो इसे 5 साल से कम माना जाता है। ऐसे कर्माचारियों को ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया जाएगा। यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसे कंपनी के साथ काम करने वाले वर्षों की संख्या के लिए ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाता है, भले ही कंपनी के साथ उसका कार्यकाल कुछ भी हो। यदि कर्मचारी किसी दुर्घटना या बीमारी के कारण विकलांग हो जाता है, तो उसे कंपनी के साथ काम करने वाले वर्षों की संख्या के लिए एक राशि का भुगतान किया जाता है, भले ही कंपनी के साथ उसका कार्यकाल कुछ भी रहा हो।
इन लोगों को नहीं मिलती ग्रेच्युटी
वहीं, ऐसे कर्मचारियों को ग्रेच्युटी नहीं मिलती है, जो किसी दंगा या हिंसा जैसी अवैध गतिविधियों या नैतिक रूप से गलत कार्यों में इनवॉल्व हैं या फिर उन्हें किसी कारण से नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है।
भारत में कैसे होता है ग्रेच्युटी कैलकुलेशन
भारत में ग्रेच्युटी कैलकुलेशन का फॉर्मूला वेतन और सेवा के वर्षों की संख्या पर आधारित है। वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए कानून कहता है कि सर्विस के हर पूर्ण वर्ष के लिए मासिक वेतन के 15 दिनों के बराबर ग्रेच्युटी मिलनी चाहिए।
ग्रेच्युटी फार्मूला- Gratuity Formula
ग्रेच्युटी फॉर्मुले की बात करें तो यह कुछ इस प्रकार है – (वेतन * कार्यकाल *15/26 ) यहां, वेतन का मतलब मूल वेतन + महंगाई भत्ता + कमीशन है और कार्यकाल का मतलब सर्विस के वर्षों की संख्या है। 15 का मतलब है कि वो दिन जिसके लिए प्रति माह वेतन माना जाता है। 26 का मतलब = एक महीने में कार्य दिवसों की संख्या (चाहे आपके पास 5 दिन का कार्य सप्ताह हो या 6 दिन का कार्य सप्ताह)। वहीं, दिहाड़ी मजदूरों के लिए ग्रेच्युटी की गणना औसत मजदूरी 15 कार्यकाल के रूप में की जाती है। यहां, औसत मजदूरी पिछले 90 दिनों के लिए मजदूर की औसत दैनिक मजदूरी मानी जाती है। कार्यकाल का मतलब सर्विस के वर्षों की संख्या से है।
ग्रेच्युटी कैसे मिल सकती है?
नियमानुसार एंप्लायर द्वारा एंप्लाई को ग्रेच्युटी देने की तारीख से 30 दिनों के भीतर ग्रेच्युटी का भुगतान करना होगा। यदि 30 दिनों के भीतर इसका भुगतान नहीं किया जाता है, तो कंपनी को पात्रता की डेट से वास्तविक भुगतान की तारीख तक साधारण ब्याज का भुगतान करना होगा। ग्रेच्युटी का भुगतान नकद, चेक, खाते में या डिमांड ड्राफ्ट के रूप में किया जा सकता है।

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