PSU में सरकार की हिस्सेदारी 40 फीसद करने पर चल रहा है मंथन
बहुत संभव है कि चालू वित्त वर्ष के लिए शुरू होने वाली disinvestment की प्रक्रिया में कुछ चुनिंदा उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी 40 फीसद तक रह जाए।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बहुत संभव है कि चालू वित्त वर्ष के लिए शुरू होने वाली विनिवेश की प्रक्रिया में कुछ चुनिंदा उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी 40 फीसद तक रह जाए। आम बजट में सरकारी उपक्रमों में 51 फीसद से नीचे इक्विटी हिस्सेदारी लाने की मंशा जता चुकी सरकार में इस बात को लेकर मंथन चल रहा है कि किन क्षेत्रों के उपक्रमों में ऐसा किया जा सकता है। हालांकि, सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि विनिवेश के बाद भी कंपनी पर सरकार का ही नियंत्रण बना रहे।
सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश को लेकर कुछ समय से सरकार इस मुद्दे पर लगातार विचार कर रही थी। नीति आयोग ने करीब 40 ऐसे उपक्रमों की सूची भी सरकार को सौंपी है जो रणनीतिक विनिवेश से लेकर सरकार की इक्विटी घटाने के लिहाज से उपयुक्त हैं। इनमें बंद हो गई कंपनियां भी शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि सरकार अधिकांश कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाना तो चाहती है, लेकिन कंपनियों पर अपना नियंत्रण भी बनाए रखना चाहती है। इसीलिए ऐसे विकल्पों की तलाश की जा रही है जिससे दोनों लक्ष्य साधे जा सकें।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक शेयर बाजार में सूचीबद्ध अधिकांश सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी वित्तीय संस्थानों का पर्याप्त निवेश है। इसलिए ऐसी कंपनियों में 51 फीसद से नीचे इक्विटी हिस्सेदारी घटाने के एक विकल्प पर विचार किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक ऐसी कंपनियों की पहचान की जा रही है जिनमें एलएआइसी समेत अन्य सरकारी वित्तीय संस्थाओं की हिस्सेदारी है।सरकारी इक्विटी घटाने का यह विकल्प इसलिए उपयोगी होगा क्योंकि ऐसा करने के बावजूद सरकारी वित्तीय संस्थाओं की मदद से इन कंपनियों के प्रबंधन पर सरकार का नियंत्रण बनाए रखा जा सकता है।
मसलन किसी कंपनी में सरकार की मौजूदा हिस्सेदारी 55 फीसद है और सरकार इसमें से 15 फीसद का विनिवेश कर देती है तो उसकी हिस्सेदारी घटकर 40 फीसद रह जाएगी। लेकिन अगर उक्त कंपनी में एलआइसी जैसी वित्तीय संस्थाओं के पास 20 फीसद इक्विटी हिस्सेदारी है तो सरकार परोक्ष तौर पर उसमें अपना नियंत्रण बनाए रख सकती है। इस नियंत्रण को बनाये रखने के नियामक पहलुओं पर भी विचार किया जा रहा है।
विनिवेश की प्रक्रिया में एक विकल्प रक्षा क्षेत्र के सरकारी उपक्रमों की रणनीतिक बिक्री का भी हो सकता है। आर्थिक सर्वे में भी इसके संकेत दिए गए हैं। इस क्षेत्र में निजी निवेश, खासतौर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) का प्रवाह बढ़ाने के लिए इस दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। हालांकि, अभी सरकार में यह विकल्प केवल विचार के स्तर पर है। सूत्र इस बात की संभावना जता रहे हैं कि आगे चलते हुए इसके अमल पर बढ़ा जा सकता है। सरकार ने बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।