Move to Jagran APP

कामचलाऊ अफसरों के बूते रेल चला रही सरकार

रिश्वत कांड के बाद रेलवे में आला अफसरों की नियुक्ति को लेकर सरकार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। वह नहीं चाहती कि चुनाव से पहले कोई नया पंगा हो। लिहाजा रेलवे बोर्ड के चेयरमैन से लेकर महाप्रबंधकों तक की नियुक्तियां खटाई में पड़ गई हैं। सरकार के इस रवैये को लेकर रेलवे अफसरों में ख

By Edited By: Published: Wed, 25 Sep 2013 09:36 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
कामचलाऊ अफसरों के बूते रेल चला रही सरकार

नई दिल्ली [संजय सिंह]। रिश्वत कांड के बाद रेलवे में आला अफसरों की नियुक्ति को लेकर सरकार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। वह नहीं चाहती कि चुनाव से पहले कोई नया पंगा हो। लिहाजा रेलवे बोर्ड के चेयरमैन से लेकर महाप्रबंधकों तक की नियुक्तियां खटाई में पड़ गई हैं। सरकार के इस रवैये को लेकर रेलवे अफसरों में खासा आक्रोश है।

loksabha election banner

रेलवे के ऊंचे ओहदों पर नियुक्तियां पवन बंसल के जाने के बाद से ही अटकी हुई हैं। नए रेलमंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे की सिफारिश पर 24 डीआरएम की नियुक्तियां तो किसी तरह हो गई। लेकिन रेलवे बोर्ड के चेयरमैन व मेंबर तथा क्षेत्रीय रेलों व रेलवे कारखानों के महाप्रबंधकों की तैनाती अटकी हुई है। कैबिनेट की नियुक्ति संबंधी समिति ने लगभग एक महीने तक लटकाए रखने के बाद हाल में यह कहते हुए इन नियुक्तियों से संबंधित फाइलें रेलवे बोर्ड को वापस लौटा दी हैं कि पहले अफसरों का आपसी झगड़ा सुलझा लें। इसके बाद ही समिति नियुक्तियों पर विचार करेगी।

पढ़ें : रेलवे में भ्रष्टाचार का पिटारा खुला, दो नए केस दर्ज

दरअसल, रेलवे में उच्च पदों पर प्रमोशन को लेकर जबरदस्त गुटबंदी चल रही है। अफसर एक-दूसरे की टांग खिंचाई में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। गड़े मुर्दे उखाड़कर केंद्रीय सतर्कता आयोग [सीवीसी] से शिकायतें तक की जा रही हैं। कुछ मामलों में सीवीसी के सीबीआइ जांच के आदेश देने से उनके हौसले बुलंद हैं। इससे योग्य व बेदाग अफसरों को नुकसान हो रहा है।

इस पर नाराजगी जताते हुए फेडरेशन ऑफ रेलवे आफीसर्स एसोसिएशन ने रेलमंत्री खड़गे को चिट्ठी लिखी है। इसमें कहा गया है कि गलत नीति से योग्य व कर्मठ अफसरों का मनोबल टूट रहा है। ओपेन लाइन [ट्रेन संचालन का प्रबंधकीय व प्रशासनिक अनुभव] के नाम पर चहेते अफसरों को क्षेत्रीय रेलों का महाप्रबंधक और फिर बोर्ड मेंबर या चेयरमैन बनाया जाता है। जबकि नॉन ओपेन लाइन अफसरों को कमतर विभागों, मसलन रेलवे कारखानों/प्रतिष्ठानों में धकेला जाता है। नापसंद ओपेन लाइन अफसरों को पहले नॉन ओपेन लाइन विभागों में भेजा जाता है और फिर ओपेन लाइन न होने के बहाने उच्च पदों पर जाने से रोका जाता है। इस स्थिति को बदले जाने की जरूरत है। वरना रेलवे बर्बाद हो जाएगा।

नियुक्तियां न होने से रेलवे बोर्ड चेयरमैन का पद खाली है। मेंबर मैकेनिकल अरुणेंद्र कुमार अस्थायी रूप से इसे संभाल रहे हैं। महेश कुमार की गिरफ्तारी के बाद से मेंबर स्टाफ का पद भी खाली पड़ा है। मेंबर इंजीनियरिंग सुबोध जैन को यह काम भी देखना पड़ रहा है। फाइनेंशियल कमिश्नर पद पर भी एडीशनल मेंबर राजेंद्र कश्यप अस्थायी रूप से विराजमान हैं। मध्य रेलवे, दक्षिण-पूर्व रेलवे, पश्चिम रेलवे, दक्षिण-पूर्व रेलवे तथा कोलकाता मेट्रो के जीएम के पद भी खाली हैं। इंट्रीग्रल कोच फैक्ट्री [आइसीएफ] चेन्नई में भी अस्थायी जीएम से काम चलाया जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.