टैक्स चोरी रोकने के लिए शुरू होगा रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म, जानें इसके बारे में
कंपोजीशन स्कीम के जरिये कर चोरी की आशंका इसलिए गहरी हुई है क्योंकि न तो इसके तहत रिटर्न दाखिल करने वाले व्यापारियों का अनुपात बढ़ा और न ही इससे सरकार के खजाने में टैक्स आ रहा है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। जीएसटी में कंपोजीशन स्कीम की आड़ में टैक्स चोरी करने वाले व्यापारियों की अब खैर नहीं। जीएसटी काउंसिल ऐसे व्यापारियों पर नकेल कसने के लिए ‘रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म’ के प्रावधान को लागू करने की तैयारी कर रही है। बताया जाता है कि सबसे पहले यह विवादित प्रावधान कंपोजीशन स्कीम के डीलरों पर ही लागू किया जाएगा। बाद में दूसरे कारोबारी इसके दायरे में आएंगे। काउंसिल ने इस दिशा में कदम उठाते हुए एक मंत्रिसमूह का गठन किया है।
जीएसटी काउंसिल ने कंपोजीशन स्कीम वाले व्यापारियों पर ‘रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म’ का प्रावधान लागू करने की रणनीति सुझाने के लिए बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय मंत्रिसमूह का गठन किया है। अप्रैल के पहले सप्ताह में मंत्रिसमूह की पहली बैठक होगी और यह 27 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट काउंसिल को सौंपेगा। मंत्रिसमूह इस बात पर विचार करेगा कि कंपोजीशन स्कीम के व्यापारियों पर ‘रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म’ कब से लागू किया जाए। साथ ही अन्य व्यापारियों के लिए इसे किस तारीख से लागू किया जाए। हालांकि ऐसा करते समय छोटे व्यापारियों के हितों का ख्याल रखा जाएगा।
मोदी की अध्यक्षता वाले इस समूह में छत्तीसगढ़ के वाणिज्य कर मंत्री अमर अग्रवाल, केरल के वित्त मंत्री टी. एम. थॉमस आइजैक, पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल और उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल बतौर सदस्य शामिल हैं। दरअसल सीजीएसटी और एसजीएसटी कानून की धारा 9 (4) के तहत ‘रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म’ का प्रावधान है। इसको लेकर छोटे और बड़े दोनों तरह के व्यापारियों को आपत्ति रही है। इसी वजह से जीएसटी काउंसिल ने छह अक्टूबर को हुई बैठक में ‘रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म’ के नियम को 31 मार्च, 2018 तक और इसके बाद 10 मार्च को हुई बैठक में इसे 30 जून तक टालने का फैसला किया। हालांकि कंपोजीशन स्कीम के जरिये व्यापक स्तर पर कर चोरी की आशंका को देखते हुए इसे लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
कंपोजीशन स्कीम के जरिये कर चोरी की आशंका इसलिए भी गहरी हुई है क्योंकि न तो इसके तहत रिटर्न दाखिल करने वाले व्यापारियों का अनुपात बढ़ रहा है और न ही इससे सरकार के खजाने में टैक्स आ रहा है।काउंसिल 18 जनवरी को हुई बैठक में इसे लेकर चिंता भी प्रकट कर चुकी है। उसी समय से काउंसिल में यह चर्चा शुरू हुई कि कम से कम कंपोजीशन स्कीम लेने वाले व्यापारियों के लिए ‘रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म’ लागू कर दिया जाए। अन्य करदाताओं के लिए भले ही इसे बाद में लागू किया जाए।
क्या है ‘रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म’
रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म’ के प्रावधान के तहत अगर कोई पंजीकृत व्यापारी, किसी अपंजीकृत व्यापारी से एक दिन में पांच हजार रुपये से अधिक का सामान खरीदता है या सेवा प्राप्त करता है, तो जीएसटी जमा करने की जिम्मेदारी पंजीकृत व्यापारी की होगी। उन्हें अपने बही-खाते में इसे दर्ज करते हुए जीएसटी का भुगतान खुद ही करना होगा। यह बात अलग है कि बाद में उन्हें इसका इनपुट टैक्स क्रेडिट मिल सकता है।
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