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    पेट्रोल व डीजल से सरकार को मिल रहा भारी राजस्व, क्या बजट में ग्राहकों पर पड़ रहा बोझ कम करने का होगा फैसला?

    By Pawan JayaswalEdited By:
    Updated: Thu, 28 Jan 2021 08:04 AM (IST)

    पेट्रोल व डीजल ही कोरोना काल में सरकार के राजस्व का मुख्य स्रोत बने हुए हैं। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर के दौरान उत्पाद शुल्क में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 48 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।

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    सर्वोच्च स्तर पर पहुंचीं पेट्रोल-डीजल की कीमतें P C : Pixabay

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पेट्रोल व डीजल की कीमत अपने सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गई है। बुधवार को राजस्थान के श्रीगंगानगर में प्रीमियम पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर के स्तर को पार कर गई। वहीं दिल्ली में बुधवार को सामान्य पेट्रोल के दाम 86.30 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम 76.48 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर पहुंच गए।

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    मुंबई में पेट्रोल की कीमत 92.86 रुपये प्रति लीटर रही। पिछले 20 दिनों में दिल्ली में पेट्रोल के दाम में 2.60 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल एक अप्रैल को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर 69.69 रुपये प्रति लीटर थी। यानी कि चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में पेट्रोल के दाम में 20 फीसद से अधिक की बढ़ोतरी हो चुकी है।

    ऐसे में बजट से पहले केंद्र सरकार पर नजरें जरूर टिक गई हैं, लेकिन फिलहाल किसी राहत की संभावना कम है। इसकी मुख्य वजह यह है कि पेट्रोल व डीजल ही कोरोना काल में सरकार के राजस्व का मुख्य स्रोत बने हुए हैं। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर के दौरान उत्पाद शुल्क में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 48 फीसद की बढ़ोतरी हुई है, जबकि अन्य सभी प्रकार के राजस्व संग्रह में कोरोना काल में गिरावट दर्ज की गई।

    सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-नवंबर, 2020 में पेट्रोल व डीजल के उत्पाद शुल्क से केंद्र सरकार को 1,96,342 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई, जबकि अप्रैल-नवंबर, 2019 में यह प्राप्ति 1,32,899 करोड़ रुपये उत्पाद शुल्क मिला था। अगर सरकार उत्पाद शुल्क में कटौती करती है तो सरकार का राजस्व और कम होगा जिससे राजकोषीय घाटा प्रभावित होगा। अभी एक लीटर पेट्रोल की बिक्री होने पर उत्पाद शुल्क के रूप में केंद्र सरकार को 32.98 रुपये मिलते हैं। वहीं एक लीटर डीजल की बिक्री पर सरकार को 31.83 रुपये मिलते हैं।

    राज्य भी वसूल रहे भारी वैट

    कोरोना काल में राज्यों की वित्तीय हालत भी खराब है, इसलिए राज्य भी वैट में कटौती करने की पहल नहीं कर रहे हैं। राज्य पेट्रोल-डीजल पर 16 से लेकर 38 फीसद के बीच वैट वसूलते हैं। दिल्ली में पेट्रोल पर 30 फीसद और डीजल पर 16.75 फीसद वैट लगता है। वहीं राजस्थान में डीजल पर 28 फीसद और पेट्रोल पर 38 फीसद वैट लगता है। पंजाब में पेट्रोल पर 25 फीसद और डीजल पर 15.94 फीसद वैट है। उत्तर प्रदेश में पेट्रोल पर 26.80 फीसद और 17.48 फीसद वैट लगता है।