सरकार ने बदले नियम, DRT के जरिये 20 लाख रुपये से कम के कर्जों की नहीं हो पाएगी वसूली
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 18 तक बैंकों द्वारा पिछले चार वित्त वर्षो में 398,671 करोड़ रुपये की बकाया राशि बट्टे खाते में डाली गई
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी) में बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा कर्ज की वसूली के लिए दायर होने वाले मामलों की राशि बढ़ाकर दोगुनी कर दी गई है। अब कम से कम लाख रुपये की कर्ज राशि बकाया होने पर ही केस डीआरटी में दायर किया जा सकेगा। देश में 39 डीआरटी काम कर रहे हैं।
वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार केंद्र सरकार ने डीआरटी में कर्ज की वसूली के लिए आवेदन करने की राशि 10 लाख से बढ़ाकर लाख रुपये कर दी है। यह सीमा बढ़ने के बाद बैंक और वित्तीय संस्थान कर्ज की बकाया राशि लाख रुपये से कम होने पर डीआरटी में केस दायर नहीं कर सकेंगे। सरकार ने डीआरटी पर काम का बोझ कम करने और लंबित केसों को जल्दी निपटाने का समय देने के लिए यह कदम उठाया है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 18 तक बैंकों द्वारा पिछले चार वित्त वर्षो में 398,671 करोड़ रुपये की बकाया राशि बट्टे खाते में डाली गई। इसी अवधि में उनका एनपीए रिकवरी होने के कारण 257,980 करोड़ रुपये कम हो गया। बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बकाया कर्जों की विधिक तंत्रों के जरिये वसूली की निरंतर प्रक्रिया है। वे सरफेसी कानून, डीआरटी और लोक अदालतों के जरिये कर्ज वसूलने का प्रयास करती हैं।
कर्जदार पर बकाया कर्ज चुकाने की जिम्मेदारी हमेशा बनी रहती है। भले ही बैंक ने उस कर्ज को अपनी बैलेंस शीट से निकाल दिया हो। सरकार ने डीआरटी को ज्यादा प्रभावी बनाने और उनके जरिये बकाया कर्जों की जल्दी वसूली के लिए विभिन्न कानूनों में कई बदलाव किए हैं। सरकार ने सरफेसी कानून को भी बदला है।