क्या बात है! गूगल की ड्राइवरलेस कार तैयार, पढ़ें सारी खूबियां
इंटरनेट सर्च इंजन फर्म गूगल की सेल्फ ड्राइविंग कार (बिना ड्राइवर की कार) अब तक 11.27 लाख किलोमीटर चल चुकी है। इस दौरान कोई इंसानी हस्तक्षेप नहीं किया गया। इसे चलाने के लिए ड्राइवर की दरकार नहीं होती, लिहाजा पीछे की सीट पर आराम से बैठकर सफर किया जा सकता है। गूगल की यह कार भविष्य में ड्राइविंग को नया आयाम देगी। पिछली सीट
मुंबई। इंटरनेट सर्च इंजन फर्म गूगल की सेल्फ ड्राइविंग कार (बिना ड्राइवर की कार) अब तक 11.27 लाख किलोमीटर चल चुकी है। इस दौरान कोई इंसानी हस्तक्षेप नहीं किया गया। इसे चलाने के लिए ड्राइवर की दरकार नहीं होती, लिहाजा पीछे की सीट पर आराम से बैठकर सफर किया जा सकता है।
गूगल की यह कार भविष्य में ड्राइविंग को नया आयाम देगी। पिछली सीट पर बैठा व्यक्ति सो सकता है, खा-पी सकता है और लैपटॉप पर काम कर सकता है। उसे सोचने की जरू रत नहीं है कि कब कौन सी दिशा में मुड़ना है। गूगल की योजना ऐसी कार बनाने की है, जो खुद ही ऑपरेट होती रहे।
गूगल शॉफर का कमालयह कार गूगल शॉफर सॉफ्टवेयर से संचालित होती है। गूगल के आधिकारिक ब्लॉग पर लिखा गया है कि सेल्फ ड्राइव कार अब तक कई हजार मील चलाकर देखी जा चुकी है। कंपनी ने सॉफ्टवेयर को पहले से ज्यादा दुरस्त किया है, ताकि यह बिजी रोड पर बसों, अन्य वाहनों एवं पैदल चलने वालों को पहचान सके और उसी के मुताबिक फैसले कर सके। ट्रैफिक सिग्नल्स को पहचान सके और यदि कोई साइकल सवार अपने हाथ या चेहरे से टर्न लेने का इशारा कर रहा हो तो यह समझ सके।
फुलप्रूफ टेक्नोलॉजीगूगल कार को एकदम वैसे ही ऑपरेट करने लायक बना रही है, जैसा कि किसी व्यक्ति द्वारा कार ऑपरेट की जाती है। कंपनी का कहना है कि अप्रैल 2014 से लेकर अब तक यह कार 7 लाख मील (11.27 लाख किलोमीटर) चल चुकी है। इसे चलाकर गूगल ने जो भी अनुभव हासिल किए, उसके आधार पर इसमें कई बदलाव और सुधार किए गए हैं। गूगल की ओर से कहा गया है कि ऐसा इसलिए संभव हो सका क्योंकि अब पहले के मुकाबले ज्यादा बेहतर टेक्नोलॉजी मौजूद है। ऐसी तकनीकी सिस्टम जो स्कैन, सेंस, प्रॉसेस और रिऐक्ट कर सकता है, महज सेकंड के सौंवे हिस्से से भी कम समय में। यह तकनीक पांच साल पहले नहीं थी।
थोड़ा समय लगेगागूगल फिलहाल इसे 'सेफ मोड' में चला रही है। जाहिर है, अभी इसे पूरी तरह से एरर-फ्री (परेशानी रहित) होने में थोड़ा समय लगेगा। गूगल ने अब तक इस प्रॉजेक्ट को लेकर कोई डेडलाइन नहीं दी है। कंपनी की तरफ से यह भी नहीं बताया गया है कि यह कार आम लोगों के लिए कब उपलब्ध होगी।
वरदान के माफिकशारीरिक अक्षमता के शिकार लोगों के लिए यह कार वरदान साबित हो सकती है। ऐसे लोग इस कार का उपयोग बिना किसी मानवीय मदद के कर पाएंगे। कहीं आने-जाने के लिए उन्हें किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी।
पहली टेस्ट ड्राइव 2010 में
गूगल के इंजिनियरों ने 2010 में इस कार को पहली बार टेस्ट ड्राइव किया था। तभी यह दावा किया जा रहा है कि यदि यह कार सफलतापूर्वक तैयार कर ली जाती है तो सड़क पर हादसों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी।
ऐसे चलती है यह कारकार विडियो कैमरे का इस्तेमाल करती है, जो छत पर लगा है। रेडार सेंसर और लेजर रेंज फाइंडर भी लगे हैं, जिससे ट्रैफिक के हालात नजर आते हैं। टेस्ट ड्राइव के समय कार पर ट्रेंड ड्राइवर और सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट थे, जो किसी भी वक्त कार को कंट्रोल में ले सकते थे। टेस्ट ड्राइव में कार का रूट पहले से प्लान किया गया और स्थानीय पुलिस को पहले से ही इसकी सूचना दे दी गई थी।
-वेलोडाइन लेजर स्कैनर
- जीपीएस
- 3 कैमरे
- ओडोमीटर
- राडार
- लक्स लेजर स्कैनर
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