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    Gold-Silver Price: सोने से ज्यादा चांदी चमकी, एक साल में सिल्वर ने दिया 40 फीसदी का रिटर्न

    Updated: Wed, 23 Oct 2024 12:55 PM (IST)

    Gold-Silver Price फेस्टिव सीजन में सोने-चांदी के दाम में शानदार तेजी देखने को मिली है। दोनों धातु के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। भारत में चांदी के रेट 1 ल ...और पढ़ें

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    Gold-Silver Price: एक साल में 40 फीसदी चढ़ा सिल्वर

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों सोने से अधिक चांदी की चमक निवेशकों को लुभा रही है। पिछले एक साल में सोने ने 30 प्रतिशत का रिटर्न दिया है तो चांदी में निवेश करने वालों को इस अवधि में लगभग 40 प्रतिशत का रिटर्न मिला है। वैश्विक परिस्थितियों के साथ औद्योगिक मांग बढ़ने से चांदी की कीमत पहली बार एक लाख रुपए प्रति किलोग्राम के पार पहुंच गई है।

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    रूस के सेंट्रल बैंक की तरफ से सोने की तरह चांदी का भी रिजर्व स्टॉक रखने की घोषणा और दुनिया के कई देशों में ब्याज दरों में कटौती से भी चांदी की चमक लगातार बढ़ रही है। सोलर, इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे औद्योगिक सेक्टर में चांदी की बढ़ती खपत ने भी इसकी कीमतों में तेजी लाने में मदद की है।

    क्या है सोने-चांदी के भाव (Gold-Silver Price)

    सोना और चांदी के दाम वैश्विक स्तर पर तय होते हैं। पिछले छह महीनों में चांदी के दाम में 17,000 रुपए प्रति किलोग्राम तो पिछले एक साल में 30,000 रुपए प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में चांदी की कीमत 72,000 रुपए प्रति किलोग्राम थी जो मंगलवार को 1,02000 रुपए प्रति किलोग्राम बताई गई।

    24 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत पिछले साल 23 अक्टूबर को 62,500 रुपए थी। मंगलवार को दिल्ली में यह कीमत 80,500 रुपए बताई गई।

    आनंद राठी स्टाक ब्रोकर्स फर्म में एवीपी (कमोडिटीज एवं करेंसी) मनीष शर्मा के मुताबिक सिर्फ रूस ही नहीं चीन व कई अन्य देशों के सेंट्रल बैंक अपने सोने के रिजर्व में चांदी को शामिल कर रहे हैं। ये देश डॉलर के रिजर्व को कम कर सोना, चांदी, प्लेटेनियम जैसे बहुमूल्य चीजों को अपने भंडार में शामिल कर रहे हैं।

    क्यों महंगा हो रहा है सिल्वर

    चांदी के साथ खास बात है कि लगभग 60 प्रतिशत चांदी का औद्योगिक इस्तेमाल होता है। पिछले कुछ सालों से सोलर, इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स का उत्पादन दुनिया भर में बढ़ा है, इसलिए चांदी की औद्योगिक मांग भी लगातार बढ़ रही है। वहीं चांदी की खदान सीमित होने से इसके उत्पादन को एकदम से नहीं बढ़ाया जा सकता है। नई खदान चालू करने में कम से कम पांच साल का समय लग सकता है।

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    जानकारों के मुताबिक मध्य एशिया और यूरोप में उथल-पुथल के बीच अमेरिका समेत दुनिया के कई देश ब्याज दरों में कटौती कर रहे हैं। इससे डॉलर में कमजोरी का रुख देखा जा रहा है जिससे निवेशकों का रुझान बुलियन बाजार की ओर बढ़ रहा है। भारत में भी इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के उत्पादन बढ़ने से चांदी की औद्योगिक खपत बढ़ती जा रही है।

    चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले छह महीनों में चांदी के आयात में 383 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इस साल अप्रैल-सितंबर में 19,180 करोड़ रुपए की चांदी का आयात किया गया जबकि पिछले साल इस अवधि में 3967 करोड़ रुपए की चांदी का आयात किया गया था।

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