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    सोना गिरवी रखकर कर्ज लेने का चलन बढ़ा, 3 साल में चार गुना बढ़ी गोल्ड लोन डिमांड, कुल बकाया 3 लाख करोड़ के पार

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 05:49 PM (IST)

    एंटीक स्टाक ब्रोकिंग के BFSI कांफ्रेंस 2025 में विशेषज्ञों द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन सालों में गोल्ड लोन लगभग चार गुना बढ़ गए हैं। खास ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। सोने की बढ़ती कीमतों और अर्ध शहरी व ग्रामीण भारत से आ रही लगातार मांग के चलते पिछले तीन सालों में गोल्ड लोन लगभग चार गुना बढ़ गए हैं। एंटीक स्टाक ब्रोकिंग के BFSI कांफ्रेंस 2025 में विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित एक रिपोर्ट के अनुसार, 60 प्रतिशत से ज्यादा नए खुदरा कर्ज की मांग अब अर्ध शहरी और ग्रामीण भारत से आ रही है। देश के इन इलाकों में सोना परंपरागत रूप से ना केवल स्वीकार्य बल्कि कोलैटरल के तौर पर स्वीकार किया जाता है।

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    इस रिपोर्ट में इस बात पर भी चिंता जताई गई है कि इन क्षेत्रों में डिफाल्ट भी ज्यादा है। गोल्ड लोन पर कुल बकाया अक्टूबर, 2025 के अंत तक साल-दर-साल 128.5% बढ़कर 3.38 लाख करोड़ रुपये हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गोल्ड लोन को असुरक्षित ऋण की बजाय तेजी से वितरण, लचीला पुर्नभुगतान विकल्प और कम ब्याज दर के कारण पसंद किया जाता है।

    गोल्ड लोन बना बेहतर विकल्प

    विशेषज्ञों ने बताया कि गोल्ड लोन ऐसे समय में विकास का एक अच्छा जरिया बन गया है जब पूरे सिस्टम में फंसे हुए कर्जों को बट्टे खाते में डालने को लेकर नियम कड़े हो गए हैं। कई बैंकों ने अगले दो सालों में गोल्ड लोन डिस्ट्रीब्यूशन को ब्रांच नेटवर्क में और बढ़ाने की योजना का संकेत दिया है।

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    हाल ही में आरबीआइ की एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बैंक ऋण से पता चलता है कि फरवरी, 2025 से सोने की ज्वेलेरी पर लोन में तीन अंकों की वृद्धि दर्ज कर रहा है और यह कुल कर्ज में हुई वृद्धि से कहीं ज्यादा है। यह बात ठीक है कि गोल्ड अभी भी कुल गैर खाद्य कर्ज का एक छोटा हिस्सा है, लेकिन पिछले एक साल में उसका हिस्सा लगभग दोगुना हो गया है और यह कर्ज लेने की प्रवृत्ति में होने वाले बदलाव को दिखाता है।

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