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Gold Hallmarking: अनिवार्य हॉलमार्किंग 256 जिलों में लागू, छोटे कारोबारियों को दी गई राहत

Gold hallmarking सरकार ने स्वर्ण आभूषणों और कलाकृतियों की हॉलमार्किंग इस वर्ष 15 जनवरी से अनिवार्य कर दिए जाने की घोषणा नवंबर 2019 में ही कर दी थी। लेकिन कोरोना संकट के बीच ज्वैलरों के आग्रह को देखते हुए इस सीमा को दो बार बढ़ाया गया।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 07:34 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 07:17 AM (IST)
Gold Hallmarking: अनिवार्य हॉलमार्किंग 256 जिलों में लागू, छोटे कारोबारियों को दी गई राहत
Gold Jewellery Hallmarking P C : Pexels

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। स्वर्ण आभूषणों और कलाकृतियों की अनिवार्य हॉलमार्किंग का प्रावधान बुधवार को देशभर के 256 जिलों में लागू हो गया है। मंगलवार को सरकार ने फैसला किया था कि पूरे देश में एक साथ लागू करने के बजाय इस फैसले को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। दूसरे चरण में 246 जिलों में स्वर्ण आभूषणों और कलाकृतियों की अनिवार्य हॉलमार्किंग व्यवस्था लागू होगी। छोटे कारोबारियों को राहत देते हुए उन्हें इससे अलग कर दिया गया है। यह जानकारी भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने एक वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में दी।

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उन्होंने कहा कि इससे ग्राहकों को गहने में सोने की मात्रा को लेकर संदेह की कोई गुंजाइश नहीं रह जाएगी। सरकार ने 14, 18 और 22 कैरेट के जेवरों के अलावा 20, 23, 24 कैरेट के सोने की हॉलमार्किंग को भी मंजूरी दे दी है।

हॉलमार्किंग का प्रावधान 256 जिलों में भले ही लागू हो गया हो, लेकिन व्यापारियों को राहत देते हुए उनके पास पुराने पड़े स्टॉक पर हॉलमार्किंग के लिए समय दिया गया है। इसके तहत ज्वैलर्स को इस वर्ष पहली सितंबर तक अपने पुराने स्टॉक की हॉलमार्किंग करा लेनी होगी। इस दौरान किसी भी व्यापारी के खिलाफ कोई जुर्माना या दंडात्मक कार्रवाई भी नहीं की जाएगी। इस अवधि के लिए कारोबारियों का रजिस्ट्रेशन शुल्क भी माफ कर दिया गया है। दूसरे चरण में 246 जिलों में हॉलमार्किंग व्यवस्था लागू होगी, लेकिन उसकी तिथि तय नहीं है। जबकि पूर्वोत्तर भारत के राज्यों और हिमालयी प्रदेशों में हॉलमार्किंग सेंटर की सुविधा फिलहाल नहीं है। इन राज्यों में अंतिम चरण में इसका प्रावधान किया जाएगा।

तिवारी ने बताया कि उपभोक्ताओं के पास रखे सोने के जिन गहनों पर हॉलमार्किंग नहीं है, उस पर हॉलमार्किंग का नियम लागू नहीं होगा। वे जब भी चाहें, इन्हें आसानी से ज्वैलरी बेच सकते हैं। हालांकि, ज्वैलर उस गहने को बिना हॉलमार्किंग के नहीं बेच सकते हैं। हॉलमार्किंग के लिए ज्वैलर्स को सिर्फ एक बार पंजीकरण कराना होगा, जो पूरी तरफ मुफ्त होगा। पहले इसके लिए अधिकतम 80,000 रुपये का शुल्क का प्रविधान किया गया था।

सोने का कुंदन, पोल्की के जेवर और जेवर वाली घडि़यों को हॉलमार्किंग के दायरे से बाहर रखा गया है। दूरदराज व ग्रामीण क्षेत्रों में ज्वेलरी कारोबार में लगे छोटे व्यापारियों को रजिस्ट्रेशन से मुक्त रखा गया है। इसके लिए व्यापारी का सालाना टर्नओवर 40 लाख रुपये से कम का होना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि सोने के आभूषणों पर अनिवार्य हॉलमार्किंग की चर्चा वर्ष 2000 से लगातार हो रही है। सरकार ने स्वर्ण आभूषणों और कलाकृतियों की हॉलमार्किंग इस वर्ष 15 जनवरी से अनिवार्य कर दिए जाने की घोषणा नवंबर, 2019 में ही कर दी थी। लेकिन कोरोना संकट के बीच ज्वैलरों के आग्रह को देखते हुए इस सीमा को दो बार बढ़ाया गया। पहली बार इसकी सीमा चार महीने बढ़ाते हुए इस वर्ष पहली जून और दूसरी बार 15 जून कर दी गई।


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