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    मोदी सरकार की वापसी के बाद नीतिगत स्थिरता में बढ़ा भरोसा, जर्मन कंपनियों ने लिया निवेश बढ़ाने का फैसला

    Updated: Fri, 28 Jun 2024 08:30 PM (IST)

    भारत में पीएम नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में गठित नई सरकार को लेकर जर्मनी की कंपनियां काफी सकारात्मक हैं। 67 फीसद ने कहा है कि नई सरकार के गठन के बाद यहां कानून व नियमन क्षेत्र में स्थिरता के बने रहने 55 फीसद ने कहा है कि ढांचागत क्षेत्र की स्थिति के सुधरने और 48 फीसद ने कहा है कि उन्हें कारोबार करने में सहूलियत होने की संभावना है।

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    अध्ययन में भारत में कारोबार करने की राह में अड़चनों पर भी पूछा गया है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार के बनने से विदेशी कंपनियों के बीच नीतिगत स्थिरता जारी रहने का भरोसा बढ़ गया है। भारत में कार्यरत जर्मनी की 59 फीसद कंपनियों का कहना है कि वह इस साल (2024) में भारत में निवेश बढ़ाने जा रही हैं। भारतीय बाजार के प्रति भरोसे का एक कारण ये कंपनियां यहां की राजनीतिक स्थिरता को भी दे रही हैं। सस्ता श्रम और आसानी से उपलब्ध विशेषज्ञ दो अन्य बड़ी वजहें हैं।

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    यह बात भारत में जर्मनी के राजदूत फिलीप एकरमैन ने यहां प्रसिद्ध शोध एजेंसी केपीएमजी की तरफ से जर्मन कंपनियों के बीच किये गये एक अध्ययन को जारी करते हुए कही। इस रिपोर्ट से यह बात भी पता चलता है कि जर्मनी की 10 में से छह कंपनियां भारत में निवेश बढ़ाना चाहती हैं।

    मोदी सरकार को लेकर सकारात्मक रुख

    भारत में पीएम नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में गठित नई सरकार को लेकर जर्मनी की कंपनियां काफी सकारात्मक हैं। 67 फीसद ने कहा है कि नई सरकार के गठन के बाद यहां कानून व नियमन क्षेत्र में स्थिरता के बने रहने, 55 फीसद ने कहा है कि ढांचागत क्षेत्र की स्थिति के सुधरने और 48 फीसद ने कहा है कि उन्हें कारोबार करने में सहूलियत होने की संभावना है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2029 तक जर्मनी की 79 फीसद कंपनियां भारत में निवेश करने को तैयार हैं। यह संख्या वर्ष 2024 के मुकाबले 14 फीसद ज्यादा है।

    संभवत: ये कंपनियां भारतीय इकोनमी के और बढ़ने का इंतजार करना चाहती हैं। ये कंपनियां भारत में अपना प्लांट सिर्फ यहां की घरेलू बाजार के लिए नहीं बल्कि यहां से दूसरे देशों को उत्पाद निर्यात करने के उद्देश्य से भी लगाने को इच्छुक हैं। यह अध्ययन केपीएमजी ने 09 अप्रैल से 20 मई के दौरान किया है जब भारत में चुनावी सरगर्मियां चरम पर थी।

    अध्ययन में भारत में कारोबार करने की राह में अड़चनों पर भी पूछा गया है। 64 फीसद ने नौकरशाही को सबसे बड़ी अड़चन, 39 फीसद ने भ्रष्टाचार को और 27 फीसद ने यहां की कर व्यवस्था को अड़चन बताया है। 67 फीसद ने पीएम मोदी की सरकार से उम्मीद जताई है कि कारोबार करने के प्रावधानों को आसान बनाया जाएगा। 48 फीसद ने कहा है कि सरकार को निर्यात की राह को आसान बनाना चाहिए।

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