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    GDP Growth: कितनी रहेगी भारत की जीडीपी ग्रोथ, SBI की रिपोर्ट से मिला जवाब

    Updated: Wed, 19 Feb 2025 02:59 PM (IST)

    SBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था समग्र आर्थिक स्थिरता बनाए रख रही है। इससे अन्य क्षेत्रों की गति को बनाए रखने में मदद मिल रही है। साथ ही मुद्रास्फीति घट रही है जो लोगों रो अधिक विवेकाधीन खर्च (Discretionary Spending) के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। इससे मांग-आधारित (Demand-Led) आर्थिक वृद्धि को बल मिल रहा है।

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    मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) में सुधार के संकेत मिल रहे हैं।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपनी एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि 6.3 फीसदी रहने का अनुमान है। एसबीआई के मुताबिक, अगर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) अपने पहले और दूसरे तिमाही के अनुमानों में बड़े संशोधन करता है, तभी ग्रोथ में कोई बदलाव देखने को मिलेगा।

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    तीसरी तिमाही में कितनी रहेगी जीडीपी ग्रोथ?

    SBI ने 36 हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स (high-frequency indicators) का एनालिसिस करके अपनी रिपोर्ट तैयार की है। विश्लेषण करते हुए, SBI ने अनुमान लगाया है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में GDP वृद्धि 6.2% से 6.3% के बीच हो सकती है।

    राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुसार, 2024-25 के लिए वास्तविक (Real) GDP वृद्धि दर 6.4 फीसदी और नाममात्र (Nominal) GDP वृद्धि दर 9.7 फीसदी रहने का अनुमान है।

    ग्रामीण अर्थव्यवस्था बनी स्थिरता का आधार

    SBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था समग्र आर्थिक स्थिरता बनाए रख रही है। इससे अन्य क्षेत्रों की गति को बनाए रखने में मदद मिल रही है। साथ ही, मुद्रास्फीति घट रही है, जो लोगों रो अधिक विवेकाधीन खर्च (Discretionary Spending) के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। इससे मांग-आधारित (Demand-Led) आर्थिक वृद्धि को बल मिल रहा है।

    एसबीआई की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) में सुधार के संकेत मिल रहे हैं।

    वैश्विक अनिश्चितता का क्या प्रभाव?

    2024 के कैलेंडर वर्ष की तीसरी तिमाही में भू-राजनीतिक घटनाक्रमों (Geopolitical Developments) और सप्लाई चेन में व्यवधान (Supply Chain Disruptions) के कारण वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी देखी गई। इस मंदी का असर केवल भारत पर ही नहीं, बल्कि अन्य देशों पर भी पड़ा।

    हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ ने भी चिंता बढ़ाई है। हालांकि, एक्सपर्ट का मानना है कि इसका भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

    IMF का जीडीपी ग्रोथ पर अनुमान

    अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की हालिया वैश्विक वृद्धि पूर्वानुमान रिपोर्ट के अनुसार, मजबूत घरेलू मांग और सरकार के नीतिगत फैसलों के चलते, भारत की आर्थिक वृद्धि दर मौजूदा और अगले वित्त वर्ष में 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है।

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