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    अंबानी से नहीं इस दिग्गज उद्योगपति से गौतम अडाणी की असली लड़ाई, सीमेंट के बाद वायर बिजनेस में आमने-सामने

    बिजनेस में गौतम अडाणी की असली लड़ाई मुकेश अंबानी से नहीं कुमार मंगलम बिरला से है। दोनों के बीच सीमेंट बिजनेस में बादशाहत हासिल करने को लेकर पहले से ही कंपटीशन है। अब दोनों एक वायर बिजनेस में भी घुस गए हैं।  

    By Gyanendra Tiwari Edited By: Gyanendra Tiwari Updated: Tue, 24 Jun 2025 05:25 PM (IST)
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    गौतम अडाणी। नाम तो सुना ही होगा। अडाणी समूह के चेयरमैन। आज अडाणी की बात इसलिए हो रही है कि इनका जन्मदिन है। गौतम अडाणी 63 साल के हो गए हैं। देश ही नहीं विदेशों में भी आज अडाणी समूह की तूती बोलती है। भारत में जब भी इनकी बात होती हो तो लोग इनकी तुलना रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी से करते हैं। लेकिन असली कहानी तो कुछ और ही है। बिजनेस में अडाणी की असली लड़ाई अंबानी से नहीं बिरला समूह से है। कुमार मंगलम बिरला और गौतम अडानी बिजनेस में एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। तीन साल पहले सीमेंट इंडस्ट्री में घुसे गौतम अडाणी भारत में दूसरे नंबर पर आ गए हैं। वहीं, नंबर एक बनने में बिरला समूह को 67 लग गए। ऐसे में गौतम अडाणी का एक झटके में सीमेंट इंडस्ट्री का नंबर 2 प्लेयर बन जाना कहीं न कहीं बिरला समूह के लिए खतरे की घंटी जैसा है।

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    दोनों बिजनेसमैन अपने साम्राज्य का विस्तार तेजी से कर रहे हैं। भारत तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। ऐसा में देश में इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण तेजी के साथ हो रहा है। पुल बन रहे। एयरपोर्ट बन रहे हैं। ब्रिज बन रहे हैं। इन सबके लिए जरूरी है सीमेंट। इसीलिए शायद अडाणी समूह ने 2022 में सीमेंट इंडस्ट्री में एंट्री मारी और 3 साल में इतनी ग्रोथ की सीधे इस फील्ड में बिरला के बाद नंबर दो खिलाड़ी बन गए।


    सीमेंट बिजनेस में इस तरह घुसे गौतम अडाणी

    गौतम अडाणी के लिए सीमेंट बिजनेस में घुसना आसान नहीं था। क्योंकि सीमेंट बनाने के लिए बड़े-बड़े प्लांट लगाने पड़ते और जमीन लेनी पड़ती। इस पूरे प्रोसेस में बहुत टाइम लगता। और अगर अडाणी ये सब करते तो सीमेंट बिजनेस में शायद ही वो सर्वाइव कर पाते। इसलिए अडाणी ग्रुप ने यहां पर मुकेश अंबानी की तरह दूसरी कंपनी को खरीदकर सीधे सीमेंट इंडस्ट्री में घुसने की सोची और मई 2022 में अडाणी समूह ACC सीमेंट और अंबुजा सीमेंट को 10.5 बिलियन डॉलर खरीद लिया।

    ACC और अंबुजा को खरीदते ही गौतम अडाणी सीमेंट के क्षेत्र में सीधे नंबर दो पर आ गए। इसके बाद अडाणी ने अगस्त 2023 में 5 हजार करोड़ में सांघी सीमेंट को भी खरीद लिया। इसी तरह अडाणी ने और भी छोटी कंपनियों को खरीद लिया। साउथ की दिग्गज सीमेंट कंपनी PENNA को भी अडाणी ने 10422 करोड़ रुपये में खरीद।

     

    सीमेंट बिजनेस में अडाणी सीधे तौर पर कुमार मंगलम बिरला को टक्कर दे रहे हैं। इस समय अडाणी समूह के पास 85 मिलियन टन यानी 8.5 करोड़ टन सीमेंट उत्पादन की क्षमता है। वहीं, बिरला समूह इस समय 140 मिलियन टन यानी 14 करोड़ टन का उत्पादन कर रहा है। बिरला को इस कैपेसिटी तक पहुंचने में 67 साल लग गया। लेकिन अडाणी मात्र 3 साल में ही 8.5 करोड़ टन पर पहुंच गए। नंबर वन पर बने रहने के लिए बिरला ने अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए कई छोटी सीमेंट कंपनियों को खरीदने और नए प्लांट लगाने की भी घोषणा कर दी। एक ओर जहां अडाणी का लक्ष्य 2028 तक 150 मिलियन टन पहुंचने का है तो बिरला का 200 बिलियन टन का है।

    सीमेंट के बाद वायर बिजनेस में भी अडाणी और बिरला के बीच टक्कर

    सीमेंट बिजनेस में दोनों ग्रुप एक दूसरे को टक्कर तो दे ही रहे थे लेकिन अब ये दोनों वायरल एंड केबल में भी एंट्री मार चुके हैं।  2025 की शुरुआत में बिरला ग्रुप ने अल्ट्राटेक के जरिए 1800 करोड़ रुपये का निवेश करके वायर एंड केबल बिजनेस में एंट्री मारी। 25 फरवरी कुमार मंगलम बिरला वायर बिजनेस में कूदे थे। अगले कुछ ही दिनों बाद 19 मार्च 2025 को अडाणी ग्रुप ने भी ज्वाइंट वेंचर के साथ वायर एंड केबल बिजनेस में एंट्री मार दी। अडाणी समूह की सहायक कंपनी कच्छ कॉपर लिमिटेड ज्वाइंट वेंचर के प्रणीता इको केबल लिमिटेड के तहत वॉयर एंड केबल बिजनेस में एंट्री मारी।

    भारत का वायर और केबल बाजार वर्तमान में $9 बिलियन से अधिक का होने का अनुमान है। यह हर साल 10 से 12 फीसदी के रेट से बढ़ भी रहा है।  इस क्षेत्र के प्रमुख खिलाड़ियों में फिनोलेक्स केबल्स, हैवेल्स इंडिया, पॉलीकैब इंडिया, केईआई इंडस्ट्रीज और आरआर केबल शामिल हैं। इन सभी को बिरला और अडाणी ग्रुप से कड़ी टक्कर मिलने वाली है।


    अडाणी समूह और बिरला समूह की नजर सिर्फ सीमेंट, कोल, कॉपर पर ही नहीं बल्कि पूरे कंस्ट्रक्शन वैल्यू चैन पर है। दोनों कंपनियों का वायर बिजनेस में आने का मुख्य उद्देश्य फायदा है। यह सेक्टर अभी भी कई टुकड़ों में बंटा हुआ। भारत में वायर एंड केबल के 400 से अधिक प्लेयर हैं लेकिन सभी का मार्केट शेयर सीमित है।