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    Foreign Portfolio Investors ने तीन महीने बाद शुरू की बिकवाली, अगस्त में 2 हजार करोड़ से ज्यादा की निकासी

    By Jagran NewsEdited By: Gaurav Kumar
    Updated: Sat, 05 Aug 2023 10:03 PM (IST)

    तीन महीने की लगातार खरीदारी के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय बाजारों में बिकवाली शुरू कर दी। पिछले सात कारोबारी सत्रों के दौरान एफपीआई ने 8545 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। वहीं अगस्त में यानी पिछले चार कारोबारी सत्र में 2034 करोड़ रुपये की निकासी की है। जानिए क्या है निकासी का कारण। पढ़िए क्या है पूरी खबर।

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    Foreign portfolio investors started selling after three months, withdrawal of more than 2 thousand crores in August

    नई दिल्ली, जेएनएन: तीन महीने तक लगातार खरीदारी के बाद अब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय बाजारों में बिकवाली शुरू कर दी है। बीते सात कारोबार सत्रों के दौरान एफपीआई ने 8,545 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की है।

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    FPI ने की 2 हजार करोड़ से ज्यादा की निकासी

    अगस्त के चार कारोबार सत्रों में एफपीआई ने इक्विटी बाजारों से 2,034 करोड़ रुपये की निकासी की है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार का कहना है कि अमेरिका के 10 वर्षीय बांड यील्ड (ब्याज दर) में तेजी के कारण एफपीआई ने भारतीय बाजारों से निकासी की है। इन बांड का ब्याज दर चार प्रतिशत से ऊपर रहने से उभरते बाजारों में विदेशी निवेश में कमी आ सकती है।

    जारी रह सकती है बिकवाली

    विजयकुमार के अनुसार, अमेरिकी बांड यील्ड के उच्च स्तर पर रहने से एफपीआई बिकवाली जारी रख सकते हैं या फिर खरीदारी से दूरी बना सकते हैं। नेशनल सिक्युरिटीज डिपाजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के डाटा के अनुसार, पिछले तीन महीनों में एफपीआई ने घरेलू इक्विटी बाजारों में कुल 1,37,603 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

    FPI इस क्षेत्र में कर रहे हैं खरीदारी

    एफपीआई आटो, कैपिटल गुड्स और वित्तीय क्षेत्र के सेक्टरों में लगातार खरीदारी कर रहे हैं। इसके अलावा एफपीआई ने निवेश रणनीति में बदलाव करते हुए आइटी क्षेत्र के शेयरों में भी खरीदारी शुरू की है। इससे आइटी कंपनियों के शेयरों में हाल के दिनों में मजबूती भी दर्ज की गई है।

    मोतीलाल ओसवाल के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका के अनुसार, लगातार तीन दिनों तक बिकवाली के दबाव के बाद इक्विटी बाजारों में कुछ राहत देखी गई है। इसका प्रमुख वजह देश की सेवा गतिविधियों में तेज वृद्धि रही है।