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    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का तोहफा, इनकम टैक्स विभाग को दिया इन अपीलों को 3 महीने के भीतर वापस लेने का निर्देश

    Updated: Tue, 24 Jun 2025 01:36 PM (IST)

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को आयकर के प्रधान मुख्य आयुक्तों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए लंबित मामलों को जल्द से जल्द निपटाने के निर्देश दिए और बजट में तय की गई नई अपील सीमा रकम से कम के मामलों को वापस लेने के निर्देश दिए।

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    नई दिल्ली। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने सोमवार को इनकम टैक्स विभाग को विवादित टैक्स मामलों के निपटारे में तेजी लाने का निर्देश दिया। इसके साथ ही उन्होंने विभाग से तीन महीने के भीतर नई सीमा से नीचे आने वाली सभी अपीलों को वापस लेने का भी निर्देश दिया। निर्मला सीतारमण आयकर के प्रधान मुख्य आयुक्तों के सम्मेलन को संबोधित कर रहीं थी।

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    वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने सभी प्रधान मुख्य आयकर आयुक्तों को विवादित टैक्स मांगों के निपटान को प्राथमिकता देने और उसमें तेजी लाने का निर्देश दिया है।

    वित्त मंत्री ने दिए निर्देश

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि जिनक भी विभागीय अपीलों की रकम बजट में तय की गई नई सीमा से कम है उन्हें जल्द से जल्द पहचान कर 3 महीने के भीतर उन्हें वापस लिए जाए ताकि इससे कोर्ट का समय बचे और ज्यादा जरूर मामलों का जल्द से जल्द निपटारा हो सके।

    केंद्रीय बजट में टैक्स विभाग से टैक्स विवादों में अपील की रकम की सीमा को बढ़ाया गया था। टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल यानी ITAT में अपील के लिए निर्धारित 50 लाख रुपये की रकम को बढ़ाकर 60 लाख रुपये कर दी गई थी। वहीं, हाई कोर्ट में इसकी सीमा को 1 करोड़ से बढ़ाकर 2 करोड़ कर दिया गया था। और सुप्रीम कोर्ट में इनकम टैक्स से जुड़े विवादों की रकम को 2 करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ कर दिया गया था। अब इनके ऊपर के रकम के मामले ही सुनवाई योग्य होंगे।

    वित्त वर्ष 2026 में 225,000 अपीलों को पूरा करने का लक्ष्य


    वित्त मंत्रालय ने कहा कि बजट के बाद से अब तक 4600 अपीलें पहले ही वापस ली जा चुकी हैं। और संशोधित सीमाओं के तहत आने वाले 3,100 से अधिक मामले अभी लंबित हैं।

    लंबित 577,000 अपीलों में से 225,000 से अधिक अपीलों को FY 26 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक विवादित मामलों के समाधान का लक्ष्य रखा गया है।