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    विनिवेश नहीं तो पीएसयू को देना होगा विशेष लाभांश

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    Updated: Wed, 08 Jan 2014 08:09 PM (IST)

    खजाने की सेहत सुधारने में जुटी केंद्र सरकार ने विनिवेश प्रक्रिया से बचने वाली कंपनियों की नकेल कसनी शुरू कर दी है। आखिरी दो महीने में चार कंपनियों के ...और पढ़ें

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खजाने की सेहत सुधारने में जुटी केंद्र सरकार ने विनिवेश प्रक्रिया से बचने वाली कंपनियों की नकेल कसनी शुरू कर दी है। आखिरी दो महीने में चार कंपनियों के विनिवेश का एलान कर चुकी सरकार ने पाइपलाइन में शामिल अन्य कंपनियों से स्पष्ट कर दिया है कि अगर वे सरकारी इक्विटी के बिक्री प्रस्ताव में हीलाहवाली बरतेंगी तो उन्हें विशेष लाभांश देना होगा।

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    वित्त मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि कोल इंडिया समेत उन तमाम कंपनियों को साफ कह दिया गया है कि विनिवेश से संबंधित फैसले लेने में देर न करें। अगर ये कंपनियां विनिवेश नहीं करती हैं तो उन्हें सरकार को एकमुश्त विशेष लाभांश देना होगा। कोल इंडिया ने इस महीने की 14 तारीख को ही बोर्ड की बैठक बुलाई है। इसी बैठक में कंपनी का निदेशक मंडल अंतरिम लाभांश पर विचार करेगा। सरकारी बैंकों को भी लाभांश देने के लिए कहा गया है। इसके लिए बैंकों के बोर्ड की धड़ाधड़ बैठकें हो रही हैं। यूनियन बैंक ने 27 फीसद के अंतरिम लाभांश की घोषणा भी कर दी है।

    इससे पहले वित्त मंत्री पी चिदंबरम के साथ सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) के प्रमुखों की बैठक में भी स्पष्ट कर दिया गया था कि विनिवेश न करने वाली कंपनियों को विशेष लाभांश देना होगा। वित्त मंत्रालय चाहता है कि कंपनियां चालू वित्त वर्ष के बराबर अगले साल का लाभांश भी सरकार को अग्रिम दे दें। इसे अगले वित्त वर्ष 2014-15 के अंतरिम लाभांश के तौर पर स्वीकार कर लिया जा जाएगा।

    खजाने की खराब हालत को देखते हुए वित्त मंत्रालय पूरी कोशिश में है कि चालू वित्त वर्ष खत्म होते-होते राजस्व के सभी वैकल्पिक स्त्रोतों से जितना हो सके संसाधन जुटा लिए जाएं। सरकार के खर्चो में बेइंतहा वृद्धि और लोकसभा चुनावों को देखते हुए वित्त मंत्रालय पर राजकोषीय घाटे को 4.8 फीसद के बजटीय अनुमान पर बनाए रखना बड़ी चुनौती बनी हुई है। गैर कर राजस्व में स्पेक्ट्रम की बिक्री और विनिवेश दो बड़े स्त्रोत हैं। लेकिन दोनों ही मोर्चो पर सरकार लक्ष्य से पिछड़ती जा रही है।

    कोल इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी 90 फीसद है। फिलहाल सरकार ने इसमें पांच फीसद हिस्सेदारी की बिक्री की योजना बनाई है। इस हिसाब से कुल 31.58 करोड़ शेयर बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे। लेकिन कंपनी के कर्मचारी संगठनों के विरोध के चलते विनिवेश की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है। कोल इंडिया के शेयर की मौजूदा बाजार कीमत के आधार पर सरकार को इससे करीब 8,700 करोड़ रुपये मिल सकते हैं।

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