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    GST से जनता को मिली राहत, टीवी-फ्रिज हुए सस्ते, गेहूं-चावल पर जीरो हुआ टैक्स

    Updated: Mon, 01 Jul 2024 07:13 PM (IST)

    वित्त मंत्रालय का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद हर घर में खाद्य पदार्थों और बड़े पैमाने पर उपभोग की वस्तुओं पर खर्च कम हुआ है। बिना पैकिंग वाले गेहूं चावल दही और लस्सी जैसे खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लागू होने से पहले 2.5-4 प्रतिशत कर लगाया जाता था जबकि जीएसटी लागू होने के बाद कर शून्य हो गया।

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    1 जुलाई 2017 को 17 स्थानीय टैक्स और सेस को मिलाकर GST लागू किया था।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST Implementation) के सात साल पूरे हो गए हैं। इसका मकसद कर व्यवस्था की जटिलताओं को दूर करना था। वित्त मंत्रालय का कहना है कि जीएसटी की वजह से मोबाइल फोन और तमाम घरेलू सामान सस्ते हुए। इसके चलते लाखों परिवारों में खुशियां आई हैं। मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ये बातें कही हैं।

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    कब लागू हुआ था जीएसटी?

    केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2017 को 17 स्थानीय टैक्स और सेस को मिलाकर GST लागू किया था। अप्रैल 2018 में कुल 1.05 करोड़ GST टैक्सपेयर्स थे, जिनकी तादाद 2024 में बढ़कर 1.46 लाख पहुंच गई है।

    सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स (CBIC) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने कहा, 'कंप्लायंस में सुधार के साथ-साथ हमने टैक्सपेयर्स बेस में भी जोरदार इजाफा देखा है।'

    किन चीजों के घटे दाम?

    वित्त मंत्रालय का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद हर घर में खाद्य पदार्थों और बड़े पैमाने पर उपभोग की वस्तुओं पर खर्च कम हुआ है। बिना पैकिंग वाले गेहूं, चावल, दही और लस्सी जैसे खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लागू होने से पहले 2.5-4 प्रतिशत कर लगाया जाता था, जबकि जीएसटी लागू होने के बाद कर शून्य हो गया।

    साथ ही, कॉस्मैटिक्स, हाथ घड़ी, सैनेटरी प्लास्टिकवेयर, दरवाजे, खिड़की, फर्नीचर पर पुराने एक्साइज और VAT सिस्टम में 28 फीसदी टैक्स था। वहीं, GST आने के बाद ये सभी 18 फीसदी वाले स्लैब में आ गए। मंत्रालय का कहना है कि मोबाइल फोन, 32 इंच तक की TV, रेफ्रिजरेटर्स, वॉशिंग मशीन, इलेक्ट्रिकल एप्लायंस (AC को छोड़कर), गीजर और पंखे पर GST से पहले के दौर में 31.3 टैक्स था। अब ये भी 18 वाले स्लैब में हैं।

    वित्त मंत्रालय ने यह भी कहा कि छोटे करदाताओं के लिए कंप्लायंस के बोझ को कम करने की कोशिश की गई है। GST काउंसिल ने FY23-24 में सालाना 2 करोड़ रुपये तक के एनुअल टर्नओवर पर एनुअल रिटर्न फाइलिंग की आवश्यकता को बंद करने का सुझाव दिया है।

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