वित्त मंत्रालय नहीं चाहता ब्याज दरों में एक और वृद्धि, अप्रैल में आरबीआइ की तरफ से होनी है घोषणा
आरबीआइ गवर्नर की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक 03 अप्रैल से शुरु होगी और इसमें लिये गये फैसलों की घोषणा 06 अप्रैल 2023 को होनी है।आरबीआइ ने वर्ष 202-23 में अभी तक वैधानिक ब्याज दर रेपो रेट में कुल 250 आधार अंकों (2.50 फीसद) की वृद्धि की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिका और यूरोप के बैंकिंग सेक्टर में आये संकट से भारत का बैंकिंग उद्योग तो अप्रभावित है लेकिन इसका एक असर यहां ब्याज दरों से संबंधित माहौल पर दिखाई देने लगा है। दरअसल, पिछले दिनों वित्त मंत्रालय की तरफ से बुलाई गई बैंकिंग सेक्टर की बैठक में कई तरह से यह आवाज उठी कि ब्याज दरों की वृद्धि के सिलसिले पर अभी विराम लगाने की जरूरत है।
इसके पहले उद्योग जगत की तरफ से भी यह मांग उठ चुकी है कि आगामी वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर में नरमी आने की आशंकाओं पर दूर करने के लिए ब्याज दरों को अब नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। चुनावी साल में अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में जुटे वित्त मंत्रालय की भी यही राय है।
मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक 03 अप्रैल से शुरु
आरबीआइ गवर्नर की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक 03 अप्रैल से शुरु होगी और इसमें लिये गये फैसलों की घोषणा 06 अप्रैल, 2023 को होनी है।आरबीआइ ने वर्ष 202-23 में अभी तक वैधानिक ब्याज दर रेपो रेट में कुल 250 आधार अंकों (2.50 फीसद) की वृद्धि की है। इसकी वजह से होम लोन और आटो लोन समेत दूसरे तमाम कर्ज की स्कीमें भी महंगी हुई हैं।
ताजे आंकड़े यह भी बताते हैं कि रियल्टी सेक्टर में 30 लाख रुपये से कम कीमत वाले आवासों की मांग में कमी आई है जबकि फरवरी और मार्च के दौरान आटोमोबाइल की बिक्री की रफ्तार भी सुस्त हुई है। इसके लिए महंगे होते कर्ज को जिम्मेदार ठहराया गया है। आरबीआइ ने भी फरवरी, 2023 में जारी अपनी रिपोर्ट में यह संभावना जताई है कि महंगे कर्ज का असर पूरी इकोनोमी पर संभव है।
जबकि पिछले शनिवार को वित्त मंत्रालय की विशेष बैठक में वैश्विक बैंकिंग संकट पर जो रिपोर्ट पेश की गई उसमें इस बात की चर्चा थी कि अमेरिका व यूरोप में ब्याज दरों में लगातार हो रही वृद्धि भी एक बड़ा कारण है कि जिससे वहां संकट आया है। इस तरह से पूरा माहौल ब्याज दरों में और वृद्धि के खिलाफ है।
खुदरा महंगाई दर 5.3 फीसद रहने का अनुमान
सोमवार को एसबीआइ ने अपनी आर्थिक रिपोर्ट इकोरैप जारी की है जिसमें कहा है कि खुदरा महंगाई की दर पिछले एक दशक के दौरान औसतन 5.8 फीसद रही है जबकि चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके 5.5 फीसद या इससे नीचे रहने की संभावना है। आरबीआइ ने भी वर्ष 2023-24 में खुदरा महंगाई दर के 5.3 फीसद रहने का अनुमान लगाया है। ऐसे में रेपो रेट को इसके मौजूदा दर 6.5 फीसद पर स्थिर रखा जा सकता है।