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    चीनी स्वामित्व वाली वित्तीय कंपनी के 288 करोड़ रुपये जब्त

    आरोप था कि ये कंपनियां एप के जरिये कर्जधारकों का निजी डाटा इकट्ठा कर लेती थीं और उच्च ब्याज की वसूली के लिए उनका दुरुपयोग करती थीं। काल सेंटर के जरिये कर्जधारकों के साथ दु‌र्व्यवहार किया जाता था

    By NiteshEdited By: Updated: Thu, 10 Feb 2022 07:05 AM (IST)
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    FEMA authority orders seizure of Rs 288 crore of Chinese owned NBFC giving instant loans in India

    नई दिल्ली, पीटीआइ। मोबाइल एप के जरिये तत्काल कर्ज देने और बाद में उसकी वसूली के लिए कर्जधारकों के निजी डाटा का दुरुपयोग कर उन्हें परेशान करने के मामले में चीनी स्वामित्व वाली एक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के 288 करोड़ रुपये जब्त कर लिए गए। यह कार्रवाई विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत की गई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को जारी एक बयान में बताया कि सीमा शुल्क आयुक्त, चेन्नई की ओर से चार फरवरी को एक आदेश जारी किया गया, जिसमें इसकी पुष्टि की गई है कि चीनी स्वामित्व वाली कंपनी पीसी फाइनेंशियल सर्विसेज (पीसीएफएस) के खिलाफ की गई कार्रवाई में उसका पूरा फंड जब्त कर लिया गया।

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    केंद्रीय जांच एजेंसी ने फेमा के तहत पिछले साल जारी किए गए तीन जब्ती आदेशों द्वारा एनबीएफसी के बैंक खातों और भुगतान माध्यमों में जमा 288 करोड़ रुपये जब्त किए हैं। ईडी ने प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मोबाइल एप के जरिये तत्काल कर्ज उपलब्ध कराने वाली कई एनबीएएफसी और फिनटेक कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू की थी। आरोप था कि ये कंपनियां एप के जरिये कर्जधारकों का निजी डाटा इकट्ठा कर लेती थीं और उच्च ब्याज की वसूली के लिए उनका दुरुपयोग करती थीं। काल सेंटर के जरिये कर्जधारकों के साथ दु‌र्व्यवहार किया जाता था और उन्हें धमकियां भी दी जाती थीं। इसी क्रम में पीसीएफएस का नाम भी सामने आया था।

    ईडी ने बताया कि कंपनी संदिग्ध विदेशी भुगतान के लिए मोबाइल एप कैशबीन के जरिये छोटे कर्ज मुहैया कराती थी। केंद्रीय एजेंसी ने कहा, 'पीसीएफएस का मालिक चीन निवासी झोउ याहुई है। जांच में पाया गया कि पीसीएफएस की विदेशी मातृ कंपनियां बहुत कम समय में लोगों को कर्ज देने के लिए 173 करोड़ रुपये का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआइ) ले आईं। इसके बाद कंपनी ने उन सावफ्टवेयर सेवाओं के नाम पर चीन की नियंत्रण वाली विदेशी कंपनियों को 429.29 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया जो अस्तित्व में थे ही नहीं।' यही नहीं पीसीएफएस ने 941 करोड़ रुपये का घरेलू व्यय भी दिखा दिया। जांच में पाया गया कि कंपनी के कंट्री हेड झांग होंग के निर्देश पर डमी भारतीय निदेशकों को बिना किसी वजह बेहिसाब भुगतान किया गया।