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    न्यूनतम मजदूरी और National Floor Wages के निर्धारण पर विशेषज्ञ समूह जल्द देगा रिपोर्ट

    By Pawan JayaswalEdited By:
    Updated: Sun, 20 Jun 2021 09:32 AM (IST)

    मंत्रालय ने आगे कहा यह ध्यान में आया है कि प्रेस के कुछ वर्गों और कुछ हितधारकों ने इसे सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी और नेशनल फ्लोर वेज के निर्धारण में ...और पढ़ें

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    Minimum Wages and National Floor Wages P C : Pixabay

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। केंद्र सरकार ने एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रोफेसर अजीत मिश्रा की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया है, जिसका काम सरकार को न्यूनतम मजदूरी और नेशनल फ्लोर वेज के निर्धारण पर तकनीकी जानकारी और सिफारिशें प्रदान करना है। इस विशेषज्ञ समूह का कार्यकाल तीन वर्ष है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने शनिवार को एक प्रेस रिलीज जारी कर यह जानकारी दी।

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    मंत्रालय ने आगे कहा, 'यह ध्यान में आया है कि प्रेस के कुछ वर्गों और कुछ हितधारकों ने इसे सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी और नेशनल फ्लोर वेज के निर्धारण में देरी के प्रयास के रूप में माना है।'

    मंत्रालय ने विज्ञप्ति में कहा, 'यह स्पष्ट किया जाता है कि सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है और विशेषज्ञ समूह जल्द से जल्द सरकार को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगा।'

    मंत्रालय ने कहा कि विशेषज्ञ समूह का कार्यकाल तीन वर्ष इसलिए रखा गया है, ताकि न्यूनतम मजदूरी और नेशनल फ्लोर वेज के निर्धारण के बाद भी सरकार आवश्यकता पड़ने पर न्यूनतम मजदूरी और नेशनल फ्लोर वेज से संबंधित विषयों पर विशेषज्ञ समूह से तकनीकी इनपुट अथवा सलाह ले सके। इस समूह की पहली बैठक 14 जून, 2021 को हुई और दूसरी बैठक 29 जून, 2021 को निर्धारित है।

    यहां बताते चलें कि आने वाले कुछ महीनों में चारों श्रम संहिताएं (Labour codes) लागू हो जाने की संभावना है। केंद्र सरकार इन लेबर कोड्स को अमली जामा पहनाने की तैयारी कर रही है। इन संहिताओं के लागू होने से कर्मचारियों का इन-हैंड वेतन घट जाएगा। साथ ही कंपनियों को कर्मचारियों के पीएफ फंड में अधिक योगदान करना पड़ेगा। इन कानूनों के लागू होने से कर्मचारियों की बेसिक सैलरी, भत्तों और पीएफ योगदान की गणना में बड़ा बदलाव आएगा।

    इन 4 लेबर कोड्स में वेतन/मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंधों पर संहिता, काम विशेष से जुड़ी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल की दशाओं (OSH) पर संहिता और सामाजिक व व्यावसायिक सुरक्षा संहिता शामिल हैं।

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