Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    टैक्स और लेवी से छूट के कारण 30 लाख लोगों के रोजगार पर हो सकता है असर

    By Manish MishraEdited By:
    Updated: Sun, 19 Jun 2022 07:49 AM (IST)

    कुल 16 अरब डॉलर के परिधान निर्यात में 5 फीसदी रीइंबर्समेंट है जो लगभग 6000 करोड़ रुपये बनता है। व्यापक स्तर पर इस पर 20 फीसदी का डिस्काउंट चल रहा है। इससे परिधान क्षेत्र के कमजोर मार्जिन पर लगभग 1500 करोड़ का सीधा असर पड़ रहा है

    Hero Image
    Exemption from tax and levy may affect employment of 30 lakh people (PC: pixabay.com)

    नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। सितंबर, 2021 में सरकार द्वारा राज्य और केंद्रीय करों और लेवी से छूट (RoSTCL) योजना में बदलाव से भारत के कपड़ा निर्यातकों के सामने कई कठिनाइयां खड़ी हो गई हैं। इससे देश के कपड़ा उद्योग की वैश्विक प्रतिस्पर्धा और लगभग 30 लाख लोगों का रोजगार प्रभावित हो सकता है। भारत वर्तमान में 44 अरब डॉलर से अधिक का निर्यात करता है जिसमें से परिधान और वस्त्र निर्यात का हिस्सा करीब 16 अरब डॉलर है। यह बदलाव दुनिया के लिए मेक इन इंडिया की सरकार की घोषित नीति को बढ़ावा देने की इस पूरी योजना के उद्देश्य और मंशा पर पानी फेर रहा है। भले ही यह योजना भारत के कपड़ा उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी, लेकिन निर्यातकों के बजाय आयातकों को फायदा हो रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (AEPC) के सदस्य और गारमेंट एक्सपोर्ट मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (GEMA) के अध्यक्ष विजय जिंदल ने कहा कि यह योजना भारत के कपड़ा उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाने के इरादे से शुरू की गई थी। यह योजना निर्यातकों द्वारा इनपुट पर पहले से भुगतान किए गए करों, लेवी आदि से छूट प्रदान करती है। लेकिन इस छूट को उन स्क्रिप में बदल दिया गया जो व्यापार योग्य हैं।

    निर्यातक, आयातकों को यह स्क्रिप बेच सकते हैं। आयातक बदले में नकद आयात शुल्क भुगतान के विकल्प के रूप में इन खरीदी गई स्क्रिपों से शुल्क का भुगतान कर सकते हैं। इनकी बिक्री पहले भी डिस्काउंट पर होती थी, लेकिन यह डिस्काउंट 3 से बढ़कर 20 फीसदी हो गया है।

    स्क्रिप पर इस डिस्काउंट से आयातक, निर्यातकों की कीमत पर अनुचित लाभ उठा रहे हैं। कुल 16 अरब डॉलर के परिधान निर्यात में 5 फीसदी रीइंबर्समेंट है जो लगभग 6,000 करोड़ रुपये बनता है। व्यापक स्तर पर इस पर 20 फीसदी का डिस्काउंट चल रहा है। इससे परिधान क्षेत्र के कमजोर मार्जिन पर लगभग 1,500 करोड़ का सीधा असर पड़ रहा है।

    अगर सरकार इस संरचना में तुरंत बदलाव नहीं करती है तो उद्योग अपनी प्रतिस्पर्धा की बढ़त खो सकता है। सरकारी मदद का अभाव एक बार फिर मांग को अन्य कम लागत वाले देशों में स्थानांतरित कर देगी। जीईएमए के सदस्य हरीश आहूजा ने कहा कि अभी स्क्रिप की मांग काफी कम है ऐसे में निर्यातकों को उन आयातकों को खोजने में मुश्किल हो रही है जो आरओएससीटीएल योजना के तहत प्राप्त की गई स्क्रिप को खरीद सकें। इसका मतलब कि आयातक केवल 20 फीसद तक के भारी डिस्काउंट पर ही स्क्रिप खरीदने की पेशकश कर रहे हैं।

    comedy show banner
    comedy show banner