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सस्ते नहीं होंगे पेट्रोल और डीजल

खजाना भरकर अर्थव्यवस्था को सुधारने की सरकार की कोशिश आम जनता पर भारी पड़ गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कम होती कीमत की वजह से घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल के सस्ता होने की उम्मीदों पर बृहस्पतिवार को उस समय पानी फिर गया जब वित्त मंत्रालय ने

By Manoj YadavEdited By: Published: Thu, 13 Nov 2014 02:58 PM (IST)Updated: Fri, 14 Nov 2014 06:39 AM (IST)
सस्ते नहीं होंगे पेट्रोल और डीजल

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खजाना भरकर अर्थव्यवस्था को सुधारने की सरकार की कोशिश आम जनता पर भारी पड़ गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कम होती कीमत की वजह से घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल के सस्ता होने की उम्मीदों पर बृहस्पतिवार को उस समय पानी फिर गया जब वित्त मंत्रालय ने इन दोनों पर उत्पाद शुल्क की दर में डेढ़ रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी। वैसे, तेल कंपनियों ने शुल्क बढ़ोतरी का यह बोझ खुद वहन किया है और खुदरा कीमत में कोई वृद्धि नहीं करने का फैसला किया है। हालांकि, उत्पाद शुल्क को नहीं बढ़ाया गया होता तो उक्त दोनों उत्पाद सप्ताहांत तक सवा रुपये प्रति लीटर तक सस्ते हो जाते।

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वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर गैर ब्रांडेड पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क की दर 1.20 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 2.70 रुपये और गैर ब्रांडेड डीजल पर इस शुल्क की दर 1.46 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 2.96 रुपये करने का फैसला किया है। इसी तरह से ब्रांडेड तेल उत्पादों पर उत्पाद शुल्क की दर पेट्रोल के लिए 2.35 रुपये से बढ़ाकर 3.85 रुपये प्रति लीटर और डीजल के लिए 3.75 रुपये से बढ़ाकर 5.25 रुपये कर दिया गया। वित्त मंत्रालय का आकलन है कि इससे उसके राजस्व में सालाना 13 हजार करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। इससे राजकोषीय घाटे को पाटने में मदद मिलेगी। औद्योगिक मंदी की वजह से वैसे ही अप्रत्यक्ष कर वसूली की रफ्तार काफी सुस्त बनी हुई है। देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के चेयरमैन बी अशोक ने बताया, 'अभी हमने शुल्क वृद्धि के बोझ को खुद ही वहन करने का फैसला किया है। खुदरा कीमत के बारे में अब कोई भी फैसला अगले पखवाड़े के अंत तक ही किया जाएगा।'

इसका मतलब यह है कि इस पखवाड़े पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमत में कोई बदलाव नहीं होगा। जबकि अगर क्रूड की अंतरराष्ट्रीय कीमत को देखें तो भारत में उक्त दोनों उत्पादों की कीमतें सवा रुपये प्रति लीटर तक घटनी चाहिए थीं।

भविष्य की तैयारी

विश्लेषकों के मुताबिक सरकार कच्चे तेल के गिरते भाव के कारण एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर आगे के लिए राजस्व सुरक्षित कर रही है। आगे चलकर यदि कच्चा तेल महंगा होता है तो एक्साइज ड्यूटी घटाकर ग्राहकों को राहत पहुंचाने में सहूलियत होगी।

बहरहाल, निकट भविष्य में कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट आने की संभावना है। जाहिर है, ऑइल मार्केटिंग कंपनियां और सरकार इसका फायदा उठाना चाहती हैं।

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