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    यूरोपियन यूनियन ने रूस पर लगाए नए प्रतिबंध, रूसी तेल का प्राइस कैप 60 डॉलर से घटाकर 47.60 डॉलर किया

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 05:11 PM (IST)

    EU sanctions on Russia ईयू ने रूस पर नए प्रतिबंधों का ऐलान किया है। खरीदारों के लिए रूसी तेल की ऊपरी सीमा घटाई गई है। ईयू के देश रूसी तेल से बने प्रोडक्ट नहीं खरीदेंगे। रूस के वित्तीय संस्थानों के साथ ट्रांजैक्शन करने वाले दूसरे देशों के कुछ संस्थानों पर भी प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई है। क्या इसका India Russia Oil Trade पर असर होगा?

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    यूरोपियन यूनियन ने रूस पर लगाए नए प्रतिबंध, रूसी तेल का प्राइस कैप 60 डॉलर से घटाकर 47.60 डॉलर किया

    यूरोपियन यूनियन (EU) ने रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों (EU sanctions on Russia) की घोषणा की है। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ईयू के प्रतिबंधों का यह 18वां पैकेज है। इसमें मुख्य रूप से रूस के कच्चे तेल के दाम की अधिकतम सीमा घटाई गई है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेन्स्की ने कहा कि यह फैसला आवश्यक और समय पर लिया गया है। रूस ने यूक्रेन के शहरों और गांवों पर हवाई हमले तेज कर दिए हैं। हालांकि रूस के ट्रेडर्स ने कहा है कि इन प्रतिबंधों का कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

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    रूसी ट्रेडर्स के अनुसार यूरोप के प्रबंध उनके लिए ज्यादा मायने नहीं रखते, सिर्फ अमेरिकी प्रतिबंधों का बड़ा असर होता है। ग्रीस समेत कुछ पश्चिमी देशों की शिपिंग कंपनियों के लिए दिक्कतें बढ़ेंगी, क्योंकि वे रूस के तेल की बड़े पैमाने पर ढुलाई में शामिल थीं। अगर वे कंपनियां तेल की ढुलाई से बाहर होती हैं तो लागत बढ़ सकती है। ग्रीस और साइप्रस जैसे देश भी प्राइस कैप के कारण अपनी शिपिंग इंडस्ट्री पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंतित थे। लेकिन गुरुवार तक सभी देशों ने प्रतिबंध की शर्तों पर अपनी सहमति दे दी।

    गौरतलब है कि रूस अपना 80% निर्यात चीन और भारत (India Russia Oil Trade) को करता है। हाल के दिनों में भारत ने अपना करीब 40% कच्चा तेल रूस से आयात किया है। तुर्की भी उसके तेल का बड़ा खरीदार है। यूरोपीय देशों में हंगरी, स्लोवाकिया और चेक रिपब्लिक अब भी रूस से तेल खरीद रहे हैं।

    रूस के कच्चे तेल की ऊपरी सीमा घटाई

    यूरोपियन यूनियन ने रूसी तेल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के बजाय कीमत की ऊपरी सीमा कम कर दी है। यह औसत मार्केट प्राइस से 15% नीचे होगा। अभी यह कीमत 47.60 डॉलर प्रति बैरल होगी। दिसंबर 2022 में G7 देशों ने रूसी तेल के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा तय की थी। लेकिन उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम ज्यादा थे। उसके बाद कीमतों में गिरावट आने की वजह से ईयू और ब्रिटेन लगातार G7 से यह सीमा घटाने की बात कर रहे थे। इस समय रूसी उराल तेल की कीमत 58 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है।

    रूसी प्रोडक्ट और फ्लीट पर प्रतिबंध बढ़ा

    यूरोपियन यूनियन रूसी कच्चे तेल से बने पेट्रोलियम उत्पादों का आयात नहीं करेगा। इस प्रतिबंध से नॉर्वे, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा और स्विट्जरलैंड से आयातित प्रोडक्ट को छूट दी गई है। रूस के 105 और जहाजों पर यूरोपियन यूनियन के बंदरगाहों तक पहुंचने पर रोक लगाई गई है। इससे प्रतिबंधित जहाजों की संख्या 400 से अधिक हो चुकी है। बाल्टिक सागर में रूस की नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। हालांकि इस पाइपलाइन के जरिए काफी दिनों से सप्लाई बंद है।

    रूसी वित्तीय संस्थानों के साथ ट्रांजैक्शन नहीं

    यूरोपियन यूनियन रूस के वित्तीय संस्थानों के साथ सभी तरह के ट्रांजैक्शन पर रोक लगाएगी। रूसी बैंक ग्लोबल फाइनेंशियल मैसेजिंग सिस्टम स्विफ्ट से पहले ही बाहर किये जा चुके हैं। इस प्रतिबंध में रूस के सॉवरेन वेल्थ फंड रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के साथ ट्रांजैक्शन और उसके निवेश को भी शामिल किया गया है। इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय फाइनेंशियल मार्केट और विदेशी मुद्रा तक रूस की पहुंच रोकना है।

    यूरोपियन यूनियन प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाले 26 नए संस्थानों को ब्लैक लिस्ट करेगी। इनमें सात चीन के, तीन हांगकांग और चार तुर्की के हैं। रूस से आयात नहीं की जाने वाली वस्तुओं की सूची में नए केमिकल, प्लास्टिक और मशीनरी शामिल की गई हैं।

    यूरोपियन यूनियन के सदस्य देश कई हफ्ते से इन प्रतिबंधों पर विचार कर रहे थे। स्लोवाकिया और माल्टा के विरोध के कारण इस पर सहमति नहीं बन पा रही थी। स्लोवाकिया रूस से बड़े पैमाने पर गैस का आयात करता है। वह प्रतिबंध से होने वाले नुकसान से सुरक्षा की गारंटी चाहता था।

    ईयू का अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध का दावा

    नए प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए यूरोपियन यूनियन की विदेश नीति की प्रमुख काजा क्लास ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “यूरोपियन यूनियन ने रूस के खिलाफ अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंधों में से एक को मंजूरी दी है। हम लागत बढ़ाते रहेंगे जिससे मास्को के लिए अपना हमलावर रुख बंद करना एकमात्र रास्ता बच जाएगा।”

    पुराने प्रतिबंधों के बावजूद रूस अभी तक अपना तेल बेचने में कामयाब रहा है क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि प्रतिबंधों पर अमल की निगरानी कौन करेगा। ट्रेडर्स मान रहे हैं कि यूरोपियन यूनियन के नए प्रतिबंधों से रूस के तेल व्यापार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

    ईयू के इस प्रस्ताव को अमेरिका का समर्थन हासिल नहीं है। इसलिए यूरोपियन यूनियन ने खुद अपने स्तर पर प्राइस कैप का निर्णय लिया है। हालांकि इस पर अमल करना पूरी तरह से यूनियन के हाथ में नहीं होगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के सौदे ज्यादातर डॉलर में होते हैं जिन पर अमेरिकी बैंकों का नियंत्रण रहता है। विश्लेषकों का भी कहना है कि अमेरिका के शामिल न होने के कारण यूरोपियन यूनियन का प्राइस कैप प्रभावी नहीं होगा।