उम्मीदों का बजट: कृषि से जुड़े उद्यमों को मिलेगी तवज्जो, पशुधन और डेयरी जैसे क्षेत्रों को मिलेगी प्राथमिकता
भारत में पहले 1.70 करोड़ टन दूध का उत्पादन होता था जो साल 1951 में 21 करोड़ टन हो गया। 2020-21 तक आते-आते दूध का उत्पादन 13.62 लाख टन जबकि मछलियों का निर्यात किया गया। इस कारण आने वाले बजट में इस सेक्टर में ध्यान दिए जाने की उम्मीद है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आगामी वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट में कृषि के अलावा उससे जुड़े अन्य उद्यमों को खास तवज्जो मिल सकती है। अगर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यह कदम उठाती हैं तो इससे जहां किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी वहीं वैश्विक बाजार में देशी उत्पादों की धमक बनाई जा सकती है।
माना जा रहा है कि बजट में पशुधन विकास, डेयरी और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता मिल सकती है। भारत फिलहाल दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन चुका है। विश्व के दुग्ध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है।
इन उत्पादों में मिल रही बढ़ोतरी
पिछले एक दशक के दौरान दुग्ध का उत्पादन 12.1 करोड़ टन से बढ़कर 21 करोड़ टन पहुंच गया है। उत्पादन की इस तेज उछाल से जहां कृषि क्षेत्र की विकास दर को तेजी मिली है। आगामी वित्त वर्ष के आम बजट में पशुधन और डेयरी क्षेत्र में विशेष ध्यान दिए जाने की संभावना है। पशुओं को लंपी, खुरपका-मुंहपका जैसे वायरल रोगों से बचाने के लिए संयुक्त टीकाकरण अभियान चलाया जा सकता है। पशु स्वास्थ्य के लिए शुरू की गई मोबाइल चिकित्सा वैन की सफलता के बाद इसकी संख्या को बढ़ाया जा सकता है।
वहीं, मीट, डेयरी और पाल्ट्री निर्यात में भारत साल दर साल तेजी से ऊंचाइयां चढ़ रहा है। इसके लिए पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादों की क्वालिटी को बनाए रखने के लिए आम बजट में विशेष प्रविधान किया जा सकता है।
मत्स्य संपदा योजना पर भी हो रहा काम
मत्स्य उत्पादन की विकास दर 14 प्रतिशत से भी अधिक पहुंच गई है। इसे और तेज करने के साथ अन्य ढांचागत सुविधाओं के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के साथ कुछ और प्रविधान किए जा सकते हैं। खासतौर समुद्री उत्पादों के लिए विशेष योजनाएं शुरू की जा सकती हैं।
समुद्र तटीय क्षेत्रों में मछली पकड़ने के लिए आधुनिक जरूरी मशीनों (जाल और नाव) की सख्त जरूरत हैं। साढ़े सात हजार किमी लंबाई वाले तटीय क्षेत्रों में अपार संभावनाएं है। वर्ष 2019-20 में जहां 14.16 करोड़ टन मछलियां पकड़ी गईं वहीं वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा बढ़कर 16.18 करोड़ टन हो गया। इसी अवधि में मछलियों का निर्यात 13.62 लाख टन किया गया है, जिससे लगभग 60 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई।
कई परियोजनाओं के विस्तार की संभावना
अंतरराज्यीय मछली विकास के लिए आधुनिक तरीके अपनाए जाने लगे हैं जो उत्पादन के नजर से काफी मुफीद साबित हुआ है। आम बजट में इनलैंड फिशरीज के लिए इंटीग्रेटेड रिजरवायर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट और गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए विशेष प्रविधान की उम्मीद की जा रही है। इस दिशा में लांच की गई प्रायोगिक परियोजनाओं की सफलता के बाद इसके विस्तार की पूरी संभावना है।
समुद्री मछलियों को पकड़ने के लिए देश में डेढ़ दर्जन से अधिक अलग तरह के बंदरगाह बनाने की मंजूरी मिल चुकी है। इसके विस्तार पर भी वित्त मंत्री की नजर जा सकती है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके निर्यात की पर्याप्त संभावना है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन चुका है, जिसमें झींगा की हिस्सेदारी सबसे अधिक है।