EPF और NPS में जमा होने वाले पैसे पर भी लगता है टैक्स, यहां जानिए पूरी डिटेल
EPF और NPS में नियोक्ता द्वारा अधिक पैसा जमा करना किसे अच्छा नहीं लगता लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि संयुक्त रूप से दोनों खातों का योगदान एक सीमा से अधिक है तो आपको इस अमाउंट पर टैक्स देना होगा।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। प्रत्येक वेतनभोगी व्यक्ति को कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम, 1952 के तहत अपने ईपीएफ खाते (EPF Account) में 12 प्रतिशत की दर से योगदान करना आवश्यक है। कर्मचारियों के साथ नियोक्ता भी इसमें योगदान करता है। ईपीएफ खाते के अलावा नियोक्ता (कंपनी) कर्मचारी के एनपीएस खाते में भी योगदान कर सकती है, यह पूरी तरह से स्वैच्छिक है।
नियोक्ता से ईपीएफ और एनपीएस में समान अंशदान प्राप्त करना किसी कर्मचारी के लिए आकर्षण का विषय हो सकता है लेकिन यदि दोनों खातों में संयुक्त रूप से योगदान एक तय सीमा से अधिक है, तो इस पर टैक्स लग सकता है। इस अतिरिक्त योगदान पर अर्जित कोई ब्याज, लाभांश आदि भी कर योग्य होगा।
वर्ष 2020 के बजट में घोषणा की गई थी कि यदि किसी वित्तीय वर्ष में ईपीएफ, एनपीएस और रिटायरमेंट फंड में नियोक्ता का कुल योगदान 7.5 लाख रुपये से अधिक है, तो इस अतिरिक्त योगदान पर कर्मचारी को कर देना होगा। इसके अलावा अतिरिक्त योगदान पर अर्जित कोई भी ब्याज, लाभांश आदि भी कर योग्य है। यह नियम 1 अप्रैल, 2020 से यानी वित्त वर्ष 2020-21 से प्रभावी है। अगर आप नौकरीपेशा हैं और हाल के दिनों में आपने जॉब चेंज की है या आपको कंपनी में अप्रेजल मिला है तो इस बात की जांच कर लें कि कहीं ईपीएफ और एनपीएस में नियोक्ता का योगदान इतना तो नहीं हो गया है कि आपको कर देना पड़े।
कैसे करें जांच
यह जानने के लिए कि नियोक्ता ने आपके ईपीएफ और एनपीएस खाते में कितना योगदान दिया है, आपको अपनी नियुक्ति या असेसमेंट पत्र को देखना होगा। इम्प्लॉयर आपके ईपीएफ खाते में कितना पैसा जमा करता है, इसका उल्लेख आपके नियुक्ति या मूल्यांकन पत्र में जरूर होता है। ईपीएफ खाते में आपने यदि आपने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 सीसीडी (2) के तहत नियोक्ता एनपीएस योगदान का विकल्प चुना है, तो इस तरह के योगदान का उल्लेख आपकी नियुक्ति या मूल्यांकन पत्र में किया जाएगा।
ईपीएफ में नियोक्ता के 12 फीसदी योगदान में से केवल 3.67 फीसदी ईपीएफ खाते में जमा किया जाता है, जबकि शेष 8.33 फीसदी कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाता है। ईपीएस योगदान की गणना 15,000 रुपये की सीमा पर की जाती है। इसका मतलब है कि एक इम्प्लॉयर ईपीएस के लिए अधिकतम 1,250 रुपये का योगदान कर सकता है और शेष राशि ईपीएफ खाते में जमा कर दी जाती है।
कितनी मिलेगी छूट
यदि इम्प्लॉयर का योगदान (बेसिक+डीए) 12 प्रतिशत तक हो तो कर्मचारी को कर नहीं देना होगा। इसके अतिरिक्त कर्मचारी ईपीएफ के तहत किए गए योगदान के अपने हिस्से के लिए धारा 80 सी के तहत कर छूट का दावा कर सकता है, जो अधिकतम 1.5 लाख रुपये है।
एनपीएस खाते में नियोक्ता के योगदान के मामले में कर्मचारी आयकर कानूनों के तहत कर कटौती का दावा कर सकता है, जिसमें अधिकतम कटौती वेतन (बेसिक+डीए) का 10 प्रतिशत है। ध्यान रहे कि कर्मचारी द्वारा धारा 80सीसीडी(1) के तहत किए गए योगदान को धारा 80सी के साथ जोड़ा जाता है। इसलिए एक कर्मचारी द्वारा एनपीएस योगदान सहित धारा 80 सी के तहत कटौती की कुल राशि एक वित्तीय वर्ष में 1.5 लाख रुपये की सीमा से अधिक नहीं होगी।