अक्षय ऊर्जा के छोटे पावर ग्रिड से बिजली किल्लत का समाधान
सरकार ने अक्षय ऊर्जा के जरिये बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन का लक्ष्य तय किया है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। अक्षय ऊर्जा के छोटे ग्रिड देश में बिजली की किल्लत दूर करने का बेहतर समाधान साबित हो सकते हैं। इनके माध्यम से देश के दूरदराज के गांवों का विद्युतीकरण करने में भी खासी आसानी होगी। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि मौजूदा सेंट्रल ग्रिड जिस बिजली की आपूर्ति करते हैं, उसका 70 फीसद हिस्सा कोयले से तैयार होता है। यह रिपोर्ट रिन्यूएबल एनर्जी एंड एनर्जी एफिशिएंसी पार्टनरशिप (रीप) ने तैयार की है। रीप अंतरराष्ट्रीय बहुपक्षीय भागीदारी है।
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने अक्षय ऊर्जा के जरिये बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। इसमें भारी निवेश की भी योजना है। इसके बावजूद बिजली उत्पादन में जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी साल 2040 में भी कम से कम आधी होगी। रीप की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसे देखते हुए अक्षय ऊर्जा के देशभर में बिखरे हुए छोटे-छोटे ग्रिड दूरदराज के इलाकों तक बिजली पहुंचाने के उद्देश्य के लिए दीर्घकालिक समाधान बन सकते हैं। इनके जरिये मौजूदा बिजली कंपनियों के मुकाबले अधिक शीघ्रता और कुशलता से लोगों को स्वच्छ ऊर्जा प्रदान की जा सकती है। ये मिनी ग्रिड बहुत जल्द तैयार हो जाते हैं। इन पर खर्च भी काफी कम आता है। इन्हें बाद में मुख्य ग्रिड से भी जोड़ा जा सकता है।
आम तौर पर मिनी ग्रिड को एक ऐसे सिस्टम के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो अक्षय ऊर्जा पर आधारित जनरेटरों का इस्तेमाल करते हैं। इनकी क्षमता 10 किलोवॉट या ज्यादा होती है ताकि सार्वजनिक वितरण नेटवर्क से बिजली की आपूर्ति की जा सके। विकेंद्रित ग्रिड डिस्ट्रीब्यूटेड एनर्जी सर्विस कंपनीज (डेस्को) द्वारा संचालित होते हैं।
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