भारत पर वैश्विक सुस्ती का स्पष्ट असर, वैश्विक आर्थिक विकास दर दशक के निचले स्तर पर आने की आशंका : IMF
IMF ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर के अनुमान को 0.30 फीसद कम कर दिया है। ...और पढ़ें

वाशिंगटन, पीटीआइ। वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती का सबसे स्पष्ट असर भारत जैसे उभरते बाजारों वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर नजर आ रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की नई प्रमुख क्रिस्टलिना जॉर्जीवा ने कहा कि इन दिनों पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है। जॉर्जीवा के मुताबिक इस बात की पूरी आशंका है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर दशक के सबसे निचले स्तर पर आ जाए। आइएमएफ की एमडी के मुताबिक भारत जैसे देशों पर इसका असर साफ नजर आ रहा है। वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर पांच फीसद रह गई। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास की दर का अनुमान 6.9 से घटाकर 6.1 फीसद कर दिया है। घटती वृद्घि दर पर लगाम लगाने के लिए सरकार और आरबीआइ की तरफ से तमाम कोशिशें की जा रही हैं।
आइएमएफ ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर के अनुमान में 0.30 फीसद की कटौती की है। आइएमएफ ने विकास दर का अनुमान अब सात फीसद कर दिया है। जानकारों के मुताबिक घरेलू मांग में आई कमी की वजह से ऐसा किया गया है।
ट्रेड वार का दिख रहा प्रभाव
जॉर्जिवा ने कहा कि दो साल पहले तक वैश्विक अर्थव्यवस्था सकारात्मक दिशा में ब़़ढ रही थी। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) संबंधी आंकड़ों के पैमाने पर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था का 75 फीसद हिस्सा तेजी से विकास कर रहा था, लेकिन इस पर ट्रेड वार का नकारात्मक असर हुआ है। उन्होंने कहा कि इस विवाद की वजह से ग्लोबल ट्रेड की विकास दर थम सी गई है। उन्होंने ट्रेड वार में शामिल देशों से बातचीत करके मसले का हल निकालने की अपील की, क्योंकि इसका असर पूरी दुनिया पर हो रहा है। इससे कोई अछूता नहीं है।
यह भी कहा
ट्रेड वार से पैदा हुई सुस्ती का असर 90 फीसद देशों पर दिखने की आशंका है।
मौजूदा वैश्विक मंदी का असर एक के बाद दूसरे और फिर तीसरे देश पर पड़ेगा, यानी इसका दायरा बढ़ता ही जाएगा
भारत सरकार ने उठाए ये कदम
- विदेशी निवेशकों को राहत देते हुए सुपर रिच टैक्स रेट घटाया गया।
- उद्योग जगत को कॉरपोरेट टैक्स के मामले में ब़़डी राहत दी गई है।
- एमएसएमई सेक्टर को राहत देते हुए जीएसटी रिफंड के नियम आसान किए गए।
- स्टार्टअप में तेजी लाने के लिए प्रक्रिया आसान बनाई गई, टैक्स में राहत दी गई।
बैंकिंग सेक्टर में सुधार
रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरों में लगातार कटौती कर रहा है। इस साल अब तक रेपो रेट में 1.35 फीसद कटौती की गई है। बैंकों के विलय के अलावा उनकी नकदी की समस्या दूर करने के लिए सरकार 70 हजार करोड़ रुपये का ताजा पूंजीनिवेश करेगी। इसकी मदद से ये बैंक पांच लाख करोड़ रुपये तक का लोन बांट पाने में सक्षम होंगे। लोन की दरें रेपो रेट से लिंक करके सस्ता लोन बांटा जा रहा है।

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