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महंगाई से लड़ने की कवायद; यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने बढ़ाई ब्याज दरें, 75 आधार अंकों की अभूतपूर्व वृद्धि

यूरोप में ब्याज दरों को बढ़ाने का सिलसिला वैश्वीकरण बढ़ती आबादी और डिजिटलीकरण के दौर के बाद आया है। हाल के वर्षों में उधार की दरें और मुद्रास्फीति दोनों कम रही हैं। लेकिन मुद्रास्फीति के 9.1 फीसद पर पहुंचने के बाद दरों को बढ़ाना जरूरी हो गया था।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Published: Fri, 09 Sep 2022 08:33 AM (IST)Updated: Fri, 09 Sep 2022 08:33 AM (IST)
ECB raises rates by 75 bps to fight inflation

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए ईसीबी (European Central Bank) ने अपनी ब्याज दरों में 75 बेसिस पॉइंट्स की अभूतपूर्व वृद्धि की है। ईसीबी (ECB)  ने अपनी जमा दर को शून्य से 0.75% तक बढ़ा दिया। इसके बाद नई दर 1.25% हो गई है। यह 2011 के बाद का उच्चतम स्तर है।

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यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने गुरुवार को अपनी ब्याज दर में सबसे बड़ी वृद्धि की। बैंक की 25-सदस्यीय गवर्निंग काउंसिल ने यूरो मुद्रा का उपयोग करने वाले 19 देशों के लिए अपने प्रमुख बेंचमार्क को एक प्रतिशत के तीन-चौथाई अंक तक बढ़ा दिया। यह ईसीबी के ट्रैक रिकॉर्ड के एकदम उलट है। आमतौर पर ईसीबी दरों को एक चौथाई-बिंदु तक ही बढ़ाता है।

मंदी की चपेट में यूरोप

1999 में यूरो के लॉन्च के बाद से कभी भी अपनी यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने उधार दर को तीन-चौथाई तक नहीं बढ़ाया था। अमेरिकी फेडरल रिजर्व और अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों के बाद यूरोपीय सेंट्रल बैंक द्वारा की जाने वाली इस वृद्धि का मकसद मुद्रास्फीति को कम करना है। यूरोप के देश इन दिनों बढ़ती महंगाई (Inflation in Europe) से परेशान हैं। यह उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रही है और यूरोप को मंदी की ओर धकेल रही है।

आगे भी हो सकती है बढ़ोतरी

बैंक की अध्यक्ष क्रिस्टीन लेगार्ड ने कहा कि ईसीबी अगली कई बैठकों में भी दरें बढ़ाएगा। महंगाई काबू में नहीं है और मुद्रास्फीति लक्ष्य से ऊपर बने रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था काफी हद तक धीमी हो जाएगी। लेकिन इसका और कोई चारा नहीं है। उन्होंने कहा कि इस दौरान ऊर्जा की कीमतें बढ़ सकती हैं। आधार दरों में बढ़ोतरी का मकसद उपभोक्ताओं, सरकारों और व्यवसायों के लिए उधार लेने की लागत को बढ़ाना है। इससे निवेश धीमा हो जाता है। ब्याज दरें महंगी होने से मार्केट में पैसे का फ्लो घट जाता है, जिससे चीजों की मांग घटती है और वे सस्ती होने लगती हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि यूरोपीय बैंक द्वारा दरों को बढ़ाने का मकसद बैंक की विश्वसनीयता को मजबूत करना भी है। मुद्रास्फीति का यह प्रकोप कितना लंबा और कितना गंभीर होगा, यह कोई नहीं जानता। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगस्त में रिकॉर्ड 9.1% पर पहुंचने के बाद आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति दहाई कों में पहुंच सकती है।

यूक्रेन युद्ध के बाद बिगड़े हालात

आपको बता दें कि यूक्रेन युद्ध ने यूरोप में मुद्रास्फीति को बढ़ावा दिया है। रूस ने प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में भारी कमी की है। इसने गैस की कीमतों में 10 गुना या उससे अधिक की वृद्धि की है। यूरोपीय अधिकारियों ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि यह एक ब्लैकमेलिंग है। इसका उद्देश्य यूरोपीय संघ पर रूस के समर्थन के लिए दबाव बनाना है। जबकि रूस ने तकनीकी समस्याओं को जिम्मेदार ठहराया है और इस सप्ताह ऊर्जा आपूर्ति पूरी तरह से बंद करने की धमकी दी है।


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