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    पूरे देश में 20% एथेनॉल वाले पेट्रोल की बिक्री का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया रोक लगाने से इनकार

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 03:47 PM (IST)

    E20 petrol policy एक जनहित याचिका में यह दावा किया गया था कि 20% एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल से कार के इंजन पर प्रभाव पड़ता है और माइलेज भी कम मिलता है। इसलिए इसे पूरे देश में अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन सरकार का पक्ष सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से मना कर दिया।

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    देश में 20% एथेनॉल वाले पेट्रोल की बिक्री का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया रोक लगाने से इनकार

    E20 petrol policy: सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें देश भर में 20 प्रतिशत एथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल (EBP-20) बेचने को चुनौती दी गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि लाखों वाहन चालकों को एथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि उनके वाहन इसके लिए डिजाइन ही नहीं किए गए हैं।

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    मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ इस सिलसिले में अधिवक्ता अक्षय मल्होत्रा के तर्कों से सहमत नहीं हुई। याचिका में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सभी पेट्रोल पंप पर एथेनॉल-मुक्त पेट्रोल की उपलब्धता भी सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

    केंद्र सरकार का जवाब

    केंद्र सरकार ने याचिका का विरोध किया और दावा किया कि 20 प्रतिशत एथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल (E20) गन्ना किसानों के लिए फायदेमंद है। सरकार ने सभी पेट्रोल पंपों पर एथेनॉल की मात्रा का लेबल अनिवार्य रूप से लगाने का निर्देश देने की भी मांग की, ताकि यह उपभोक्ताओं को यह स्पष्ट रूप से दिखाई दे। साथ ही, ईंधन बेचते समय उपभोक्ताओं को उनके वाहनों की एथेनॉल अनुकूलता के बारे में सूचित किया जाए।

    याचिका का विरोध करते हुए अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमाणी ने जनहित याचिका दायर करने वाले पर सवाल उठाए और कहा कि एक लॉबी मुकदमे को आगे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा बाहरी लोगों को यह तय करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए कि किस श्रेणी का पेट्रोल इस्तेमाल किया जाए।

    याचिका में क्या कहा गया था

    याचिका में कहा गया है कि लाखों वाहन चालक पेट्रोल पंपों पर असहाय महसूस कर रहे हैं और उन्हें ऐसा ईंधन खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जिनके लिए उनके वाहन तैयार नहीं हैं। याचिका में दावा किया गया है कि 2023 से पहले बनी कारें और दोपहिया वाहन, और यहां तक कि कुछ नए BS-VI मॉडल भी, इतने अधिक एथेनॉल मिश्रण वाले ईंधन के अनुकूल नहीं हैं।

    याचिका में कहा गया है कि विशेष रूप से अप्रैल 2023 से पहले के मॉडलों के लिए E20 को अनिवार्य करने से मैटेरियल डिग्रेडेशन, सुरक्षा का जोखिम, माइलेज का नुकसान हो सकता है। यहां तक कि वारंटी और बीमा भी अस्वीकार किया जा सकता है।

    याचिका में कहा गया है कि सरकार और उद्योग, दोनों ने इंजन में बदलाव के बिना E20 की दक्षता में कमी को स्वीकार किया और E10 को एक बेहतर ईंधन के रूप में बताया है। लेकिन इन बातों और स्थापित अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं की अनदेखी की गई है जिसमें पेट्रोल पंप पर डिस्क्लोजर और कम एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के विकल्प को अनिवार्य बनाया गया है।

    पेट्रोलियम मंत्रालय का दावा

    केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय का दावा किया है कि E20 पेट्रोल, E10 ईंधन की तुलना में बेहतर एक्सेलरेशन और बेहतर क्वालिटी राइड प्रदान करता है, साथ ही कार्बन उत्सर्जन में लगभग 30 प्रतिशत की कमी करता है।

    ब्राजील वर्षों से बिना किसी समस्या के E27 ईंधन को सफलतापूर्वक चला रहा है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि टोयोटा, होंडा, हुंडई जैसी कंपनियां भी वहां वाहन बनाती हैं। बयान में आगे कहा गया है कि पेट्रोल की तुलना में एथेनॉल की कीमत में वृद्धि के बावजूद, तेल कंपनियां एथेनॉल मिश्रण से पीछे नहीं हटी हैं, क्योंकि यह कार्यक्रम ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करता है, किसानों की आय बढ़ाता है और पर्यावरण की स्थिरता सुनिश्चित करता है।

    क्या कहती है ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री

    ऑटोमोबाइल और पेट्रोलियम सेक्टर के शीर्ष प्रतिनिधियों ने पिछले शनिवार को एक कार्यक्रम में स्वीकार किया कि 20% एथेनॉल-मिश्रित ईंधन (E20) के उपयोग से वाहन के माइलेज पर ‘थोड़ा’ असर पड़ता है, लेकिन ‘राष्ट्र, समाज, किसान, पर्यावरण और राजकोष’ को होने वाले ‘बड़े लाभ’ के सामने इसका महत्व नहीं है।

    एक साझा प्रेस कांफ्रेंस में इंडस्ट्री बॉडी सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM), ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) और फेडरेशन ऑफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री (FIPI) के प्रतिनिधियों ने इसके बारे में बताया। SIAM के कार्यकारी निदेशक पीके बनर्जी ने स्वीकार किया कि E20 के उपयोग से ईंधन दक्षता 2-4% कम हो सकती है। उन्होंने माइलेज में 20-50% गिरावट के दावों को खारिज कर दिया।

    उन्होंने बताया कि पेट्रोल की तुलना में एथेनॉल की कैलोरिफिक वैल्यू 30-35% कम होती है। इसका अर्थ है लगभग 6% कम ऊर्जा घनत्व। हालांकि फ्यूल एफिसिएंसी पर वास्तविक प्रभाव गाड़ी चलाने के तरीके, ट्रैफिक पैटर्न और एयर कंडीशनिंग के उपयोग पर निर्भर करता है।

    बीमा कवरेज न मिलने का दावा भी खारिज

    ई20 के इस्तेमाल से वाहनों की वारंटी रद्द होने या बीमा दावों में जटिलता की आशंकाओं को भी SIAM ने खारिज कर दिया। बनर्जी ने स्पष्ट किया कि E20 ईंधन से संबंधित बीमा और वारंटी के बारे में जो भी दावे किए जा रहे हैं, वे गलत हैं। OEM अपनी वारंटी का सम्मान करेंगे। उन्होंने कहा कि लाखों वाहन E20 पर चल रहे हैं और इंजन खराब होने का एक भी मामला सामने नहीं आया है।

    गडकरी भी कर चुके हैं दावों पर ऐतराज

    अगस्त की शुरुआत में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम में कहा था, “क्या 20% एथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल डालने से देश में किसी कार को कोई समस्या हुई है? बस एक का नाम बताइए।” हालांकि उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर कई पोस्ट आए, जिनमें वाहन मालिकों ने E20 ईंधन के इस्तेमाल के बाद वाहन खराब होने की अपनी शिकायतें साझा कीं।

    डीजल में भी एथेनॉल मिलाने की तैयारी

    एथेनॉल-मिश्रित ईंधन पर विवाद के बीच अब डीजल में भी एथेनॉल मिलाने पर विचार किया जा रहा है। मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार शुरुआत में कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में बायोफ्यूल-मिश्रित ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। इनमें भारी मालवाहक वाहन, क्रेन, बुलडोजर और अन्य बड़ी मशीनरी शामिल हैं।

    देश में हर साल करीब 910 लाख टन डीजल का प्रयोग होता है। इसमें से 3-4% उपभोग कंस्ट्रक्शन में इस्तेमाल होने वाले उपकरण करते हैं। इनमें शुरुआत में 10% मिश्रित ईंधन को अनिवार्य किया जा सकता है। भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में 137 अरब डॉलर का 23.4 करोड़ टन कच्चा तेल आयात किया था।