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    e-RUPI से जुड़ी चिंताओं को ऐसे किया जा सकता है दूर, RBI ने बताया तकनीक से निकलेगा हल

    Updated: Tue, 07 May 2024 01:48 PM (IST)

    देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार के साथ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं। केंद्रीय बैंक ने वर्ष 2022 में ई-रुपी (e-RUPI) जारी की थी। इस ई-रुपी के जारी होने के बाद सबसे बड़ी चिंता उसकी सुरक्षा और गोपनीयता है। अब ई-रुपी के ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड को गोपनीय बनाने के लिए अब आरबीआई काम कर रही है।

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    e-RUPI से जुड़ी चिंताओं को ऐसे किया जा सकता है दूर

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। ई-रुपी (e-RUPI) या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा पायलट प्रोग्राम भी चलाया जा रहा है। केंद्रीय बैंक ने वर्ष 2022 में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain Technology) का इस्तेमाल करके  ई-रुपी (e-RUPI) लॉन्च किया था।

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    ई-रुपी के लॉन्च के समय से ही इसकी गोपनीयता सबसे बड़ी चिंता बनी हुई थी। कुछ लोग कहते थे कि ई-रुपी के जरिये जो लेनदेन होता है उसका रिकॉर्ड तैयार हो जाता है। ऐसे में रिकॉर्ड के चोरी होने का खतरा बना रहता है। कागजी मुद्रा में इस तरह का खतरा नहीं होता है क्योंकि इसमें लेनदेन की जानकारी पूरी  तरह से गोपनीय होती है।

    केंद्रीय बैंक चाहती है कि देश में जिस तरह कागजी मुद्रा के जरिये लेनदेन होता है, ठीक उसी प्रकार ई-रुपी के जरिये भी लेनदेन हो।  

    कैसे दूर हो सकती है ई-रुपी से जुड़ी चिंता

    • बीआईएस इनोवेशन सम्मेलन में आरबीआई गवर्नर (RBI Governor) शक्तिकांत दास (RBI Governer Shaktikanta DAS) ने कहा कि ई-रुपी की गोपनीयता से जुड़ी चिंता पर प्रकाश डाला।
    • ई-रुपी के ऑफलाइन ट्रांजेक्शन को लेकर केंद्रीय बैंक के अधिकारी इस समस्या के समाधान के लिए काम कर रहे हैं।  
    • सीबीडीसी को ऑफलाइन ट्रांसफर के लिए प्रोग्रामेबिलिटी फीचर पेश करने पर काम कर रही है। प्रोग्रामेबिलिटी फीचर का उद्देश्य है कि खराब इंटरनेट या फिर सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी क्षेत्र में भी पूर्ण रूप से ई-रुपी के जरिये ट्रांजेक्शन किया जा सके।
    • आरबीआई यूपीआई के साथ सीबीडीसी की इंटरऑपरेबिलिटी को भी सक्षम करने के लिए काम कर रही है।
    • भारत ने सीबीडीसी को गैर-लाभकारी बना दिया है। इसके लिए बैंक मध्यस्थता के किसी भी संभावित जोखिम को कम करने के लिए इसे ब्याज रहित बनाता है। केंद्रीय बैंक सीबीडीसी बनाता है और बैंक इसे वितरित करता है।
    • आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने वर्ष 2021 में ई-रुपी की सिक्योरिटी को मजबूत बनाने के लिए आग्रह किया था। ई-रुपी के ट्रांजेक्शन डेटा चोरी ना हो इसके लिए भी काम किया जा रहा है।

    देश में ऑनलाइन पेमेंट के लिए यूपीआई (UPI) का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन भविष्य में यह स्थिति बदल सकती है। जल्द ही ई-रुपी भी ठीक कागजी मुद्रा की तरह गुमनामी की डिग्री हो सकती है।

    आरबीआई गवर्नर ने फरवरी में ई-रुपये की पहुंच में विस्तार लाने के लिए आरबीआई ने हाल ही में पायलट प्रोग्राम में गैर-बैंकों की भागीदारी की घोषणा की।

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    क्या है e-RUPI

    ई-रुपी एक तरह की डिजिटल करेंसी (Digital Currency) है। इसे सॉवरेन बैंक करेंसी भी कहते हैं। यह करेंसी आरबीआई (RBI) के बैलेंस शीट में लायबिलिटी के तौर पर शो होती है। जिस तरह नकदी के जरिये पेमेंट किया जाता है,  ठीक उसी प्रकार हम ई-रुपी के जरिये ऑनलाइन पेमेंट कर सकते हैं।

    यहां तक कि हम सैलरी भी ई-रुपी में ले सकते हैं। इसके अलावा ई-वॉलेट में ई-रुपी भी रख सकते हैं।

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