Donald Trump का G-7 देशों पर दबाव, रूस से तेल खरीदने के कारण भारत और चीन पर लगाएं ज्यादा टैरिफ
Donald Trump Tariffs ट्रंप ने पहले तो भारत के साथ व्यापार बाधाएं दूर करने और प्रधानमंत्री मोदी को अच्छा दोस्त बताने वाला ट्वीट किया। लेकिन उसके बाद यूरोपियन यूनियन और अब जी-7 देशों पर भारत और चीन पर टैरिफ बढ़ाने का दबाव डाल रहे हैं। हालांकि ईयू भारत के साथ एफटीए पर बात कर रहा है।

यूरोपियन यूनियन के बाद अमेरिका अब जी-7 देशों पर भारत और चीन पर टैरिफ बढ़ाने का दबाव डाल रहा है। ट्रंप प्रशासन चाहता है कि रूस से कच्चा तेल खरीदने के कारण भारत और चीन पर टैरिफ (Donald Trump Tariffs) बढ़ाया जाए। अमेरिका भारत पर पहले ही 27 अगस्त से 50 प्रतिशत टैरिफ लागू कर चुका है। दो दिन पहले उसने यूरोपियन यूनियन से भारत पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने को कहा था। फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार को जी-7 देशों के वित्त मंत्री वीडियो कॉल में अमेरिकी प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार ईयू की तरफ से ट्रंप प्रशासन को कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। ईयू का मानना है कि दो प्रमुख साझीदारों पर ऊंचा टैरिफ लगाना बहुत मुश्किल होगा। ऐसा न करने के तीन प्रमुख कारण बताए गए हैं। एक तो भारत और चीन का आर्थिक प्रभाव है। दूसरा, चीन भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है। तीसरा, भारत के साथ जल्दी ही व्यापार समझौता संभव है।
यूरोपियन यूनियन के साथ FTA जल्द
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने गुरुवार को ईयू के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। इस बैठक के बाद उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा यूरोपियन यूनियन के साथ दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बात चल रही है। उन्होंने यह डील जल्दी होने की संभावना जताई।
द फाइनेंशियल टाइम्स ने अमेरिकी वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले से लिखा है, “चीन (China oil import) और भारत की तरफ से रूसी तेल की खरीद (India oil import) पुतिन की युद्ध मशीन को वित्तपोषित कर रही है और यूक्रेनी लोगों की बेवजह हत्या को बढ़ा रही है। इस हफ्ते की शुरुआत में, हमने ईयू सहयोगियों को स्पष्ट कर दिया था कि अगर वे अपने यहां युद्ध समाप्त करने के लिए गंभीर हैं, तो उन्हें हमारे साथ मिलकर सार्थक टैरिफ लगाने होंगे। इस टैरिफ को युद्ध समाप्त होने के दिन ही वापस ले लिया जाएगा।”
ट्रंप कर चुके हैं नरमी की पहल
अमेरिका एक तरफ दूसरे देशों से भारत पर टैरिफ बढ़ाने के लिए कह रहा है, तो दूसरी तरफ वह भारत के साथ सुलह भी चाहता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर लिखा, “मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और अमेरिका, द्विपक्षीय व्यापार बाधाएं दूर करने के लिए बातचीत जारी रखे हुए हैं। मैं आने वाले हफ्तों में अपने बहुत अच्छे मित्र, प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत करने के लिए उत्सुक हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि दोनों महान देशों के लिए एक सफल निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई कठिनाई नहीं होगी!”
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प्रधानमंत्री मोदी ने भी ‘एक्स’ पर इसका जवाब दिया, “भारत और अमेरिका घनिष्ठ मित्र और स्वाभाविक साझीदार हैं। मुझे विश्वास है कि हमारी व्यापार वार्ताएं भारत-अमेरिका साझेदारी की असीम संभावनाओं को उजागर करने का मार्ग प्रशस्त करेंगी। हमारी टीमें इन वार्ताओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए काम कर रही हैं। मैं भी राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत करने के लिए उत्सुक हूं। हम दोनों देशों के लोगों के लिए एक उज्जवल और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के मकसद से मिलकर काम करेंगे।”
नवनियुक्त राजदूत ने भी दिया है सकारात्मक संकेत
ट्रंप ने अपने करीबी सर्जियो गोर (Sergio Gor) को भारत का नया राजदूत चुना है। इसे भी भारत के साथ रिश्ते सुधारने की दिशा में कदम माना जा रहा है। टैरिफ विवाद जल्द सुलझने का संकेत देते हुए गोर ने कहा भी कि दोनों देश टैरिफ के मामले में ज्यादा दूर नहीं हैं और उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में यह मुद्दा सुलझ जाएगा। उन्होंने कहा कि वाशिंगटन नई दिल्ली से अन्य देशों की तुलना में ज्यादा उम्मीदें रखता है।
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों में उस समय खटास आ गई जब 30 जुलाई को ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया। तनाव तब और बढ़ गया जब ट्रंप ने रूसी तेल की खरीद के कारण भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की। 27 अगस्त से भारत से ज्यादातर आयात पर अमेरिका 50 प्रतिशत शुल्क लगा रहा है।
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