PF Interest Calculationcon : हर महीने देते हैं PF अकाउंट में अंशदान, पर क्या आपको पता है ब्याज कैलकुलेट करने का तरीका?
एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड (EPF) प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के आर्थिक भविष्य को सुरक्षित करने का एक अहम साधन है। इसमें कर्मचारी और उसकी कंपनी दोनों योगदान देते हैं और सरकार उस रकम पर ब्याज देती है। लेकिन क्या आपको पता है कि EPF में ब्याज की गणना कैसे होती है? अगर नहीं पता तो हम आपको पूरी जानकारी दे रहे हैं।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए कई योजनाएं चलाती हैं। इनमें एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड (EPF) प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के आर्थिक भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक अहम कड़ी है। यह एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) और केंद्र सरकार की रिटायरमेंट बचत योजना है। इसमें हर महीने कर्मचारी और उनकी कंपनी अंशदान देती हैं, जिस पर सरकार उन्हें ब्याज देती है।
लेकिन, क्या आपको पता है कि EPF में ब्याज की गणना कैसे होती है? अगर नहीं पता, तो हम आपको बताते हैं कि EPF में अंशदान कैसे होता है और ब्याज कैसे कैलकुलेट किया जाता है।
EPF में अंशदान कैसे होता है?
EPF में हर महीने कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) में से 12 प्रतिशत का अंशदान जाता है। उसकी कंपनी भी इसमें बराबर का योगदान देती है। मतलब कि अगर आपकी सैलरी में 3 हजार PF कट रहा है, तो कंपनी को भी इतनी रकम अपनी ओर से देनी पड़ेगी। हालांकि, कंपनी वाले योगदान का एक हिस्सा एंप्लॉयी पेंशन स्कीम के लिए भी जाता है।
कैसे होता है ब्याज का कैलकुलेशन?
मान लीजिए कि एक शख्स हैं राहुल। वह प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं। उनकी बेसिक सैलरी और डियरनेस अलाउंस यानी महंगाई भत्ता मिलाकर महीने का 15 हजार रुपये बनता है। EPF पर ब्याज दरों पर सरकार हर तिमाही विचार करती है और फिलहाल इंटरेस्ट रेट 8.25 फीसदी है।
अब 15 हजार रुपये का 12 प्रतिशत होता है 18 सौ रुपये। मतलब कि राहुल की सैलरी से हर महीने 18 सौ रुपये कटेंगे और EPF में जमा होंगे। कंपनी EPF में सिर्फ 3.67 प्रतिशत का योगदान देती है, जो करीब 550 रुपये बनते हैं। बाकी 8.33 प्रतिशत यानी 1,250 रुपये एंप्लॉयी पेंशन स्कीम (EPS) में जाते हैं।
इस हिसाब से कंपनी और राहुल का मिलाकर EPF कुल मंथली कंट्रीब्यूशन होता है 1800+550 यानी 2,350 रुपये। EPF पर मौजूदा इंटरेस्ट रेट है 8.25 प्रतिशत सालाना। लेकिन, ब्याज की गणना मंथली ऑपरेटिंग बैलेंस पर होती है। ऐसे में प्रति माह इंटरेस्ट होगा, 8.5% /12 यानी 0.7083%।
अब पहले महीने के लिए EPF पर इंटरेस्ट नहीं मिलता, क्योंकि शुरुआती शेष राशि शून्य होती है। दूसरे महीने में कर्मचारी और कंपनी का योगदान 2,350 रुपये है और EPF खाते का बैलेंस हो जाएगा 4,700 रुपये। अब इस महीने का ब्याज निकालने के लिए हमें EPF बैलेंस में मंथली इंटरेस्ट रेट से गुणा करना होगा। मतलब कि 4,700 रुपये * 0.7083 और इस हिसाब से महीने का ब्याज होगा 33.20 रुपये।
कब मिलती है EPF की रकम?
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) का मकसद प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक रूप से सशक्त रखना है। यही वजह है कि यह पैसा रिटायरमेंट पर कर्मचारी को एकमुश्त मिलता है।
इसमें कर्मचारी का अंशदान, कंपनी का योगदान और उन दोनों के कंट्रीब्यूशन पर सरकार की ओर से दिया गया ब्याज शामिल होता है। हालांकि, कुछ परिस्थितियों में, जैसे कि शादी, जमीन खरीदना या फिर मेडिकल इमरजेंसी, रिटायरमेंट से पहले भी पैसा निकालने की अनुमति देता है।
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