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    Explained: फ्लाइट में बोर्डिंग नहीं मिली तो मिलेगा मुआवजा, जानिए यात्री के तौर पर अपने अधिकार

    Denied boarding compensation अकासा एयर ने 7 यात्रियों को फ्लाइट में बोर्डिंग देने से मना कर दिया था। उसने यात्रियों को कोई मुआवजा भी नहीं दिया था। इस वजह से DGCA ने अकासा एयर पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। आइए जानते हैं कि अकासा एयर ने यात्रियों को बोर्डिंग देने से मना क्यों किया और अगर एयरलाइंस ऐसा करती हैं तो यात्रियों के क्या अधिकार हैं।

    By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 31 Dec 2024 04:49 PM (IST)
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    विमानन कंपनियों को कानूनी तौर पर ओरबुकिंग की इजाजत है।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। एविएशन रेगुलेटर- डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने पिछले दिनों अकासा एयर (Akasa Air) पर 10 लाख का जुर्माना लगाया। इसकी वजह थी कि अकासा एयर ने सितंबर 2024 में 7 यात्रियों को फ्लाइट में बोर्डिंग देने यानी सवार होने से मना कर दिया था। आइए जानते हैं कि अकासा एयर ने यात्रियों को बोर्डिंग देने से मना क्यों किया? क्या एयरलाइंस को ऐसा करने का हक है? और अगर विमान कंपनियां ऐसा करती हैं, तो क्या यात्रियों को मुआवजा पाने का अधिकार है।

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    अकासा एयर पर जुर्माना क्यों लगाया गया?

    अकासा एयर ने 6 सितंबर को बेंगलुरु-पुणे में 6 यात्रियों को सवार होने से मना कर दिया। उन यात्रियों के पास फ्लाइट का टिकट था और उन्होंने बाकी सभी जरूरी नियमों का भी पालन किया था। लेकिन, अकासा एयर की उस फ्लाइट में सीटें नहीं बची थीं। उसने यात्रियों को इंडिगो की फ्लाइट में शिफ्ट कर दिया, जिसमें 9 सीटें बची थीं। इंडिगो की फ्लाइट ने अकासा एयर के 2 घंटे बाद उड़ान भरी। अकासा ने इस देरी के लिए यात्रियों को कोई मुआवजा नहीं दिया, जिसके चलते उस पर जुर्माना लगाया गया है।

    क्या एयरलाइंस ओवरबुकिंग कर सकती हैं?

    विमानन कंपनियों को कानूनी तौर पर ओरबुकिंग की इजाजत है। चूंकि फ्लाइट को ऑपरेट करने में काफी पैसे खर्च होते हैं। ऐसे में एक भी सीट खाली रहने से विमानन कंपनियों को नुकसान होता है और रिसोर्सेज की बर्बादी भी होती है। यही वजह है कि एयरलाइंस को ओवरबुकिंग की इजाजत दी गई है, लेकिन इस दौरान कुछ खास नियमों का पालन करना होता है।

    ओवरबुकिंग के बारे में नियम क्या कहता है?

    विमानन कंपनियां खाली सीट के साथ उड़ान भरने की संभावना को सीमित करने के लिए ओवरबुकिंग कर चुकी हैं। अगर कोई यात्री नहीं आता, तो उसकी सीट ओवरबुकिंग करने वाले यात्रियों को मिल जाती है। लेकिन, अगर सभी यात्री आ जाते हैं, तो जाहिर तौर पर एयरलाइन को ओवरबुकिंग वाले पैसेंजर्स को बोर्डिंग देने से मना करना पड़ेगा। अकासा एयर वाले मामले में यही हुआ था।

    बोर्डिंग न मिलने पर यात्रियों के क्या अधिकार हैं?

    जितने भी यात्रियों ने ओवरबुकिंग की है और उन्हें बोर्डिंग नहीं मिली, उनके लिए फ्लाइट का इंतजाम करना उसी एयरलाइन की जिम्मेदारी है। अगर एयरलाइन उनके लिए किसी ऐसी फ्लाइट का इंतजाम कर लेती है, तो एक घंटे के भीतर उड़ान भर लेती है, तो उसे यात्रियों को मुआवजा देने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन, अकासा एयर वाले मामले में इंडिगो की फ्लाइट 2 घंटे बाद उड़ी थी। इसलिए उसे ओवरबुकिंग वाले यात्रियों को मुआवजा देना चाहिए था।

    ओवरबुकिंग वाले यात्रियों को कितना मुआवजा मिलेगा?

    अगर मुआवजे की बात करें, तो यह एक तरफ के मूल किराये के 200 फीसदी के साथ एयरलाइन फ्यूल चार्ज के बराबर होना चाहिए या फिर 10 हजार रुपये। इनमें से जो भी कम होगा, वो यात्री को मुआवजे के तौर पर मिलेगा। अगर वैकल्पिक फ्लाइट को उड़ान भरने में ज्यादा देरी होती है और वह ओरिजनल फ्लाइट से 24 घंटे बाद उड़ान भरती है, तो मुआवजा भी बढ़ जाता है। इस स्थिति में यात्री को बुक किए एकतरफ के मूल किराये का 400 फीसदी और एयरलाइन फ्यूल चार्ज के बराबर या 20,000 रुपये, जो भी कम हो, मिलता है।

    अगर यात्री वैकल्पिक उड़ान का विकल्प नहीं चुनता तो?

    ओवरबुकिंग करने वाला कोई यात्री अगर वैकल्पिक फ्लाइट में सफर करने से मना कर देता है, तो उसे टिकट का पूरा पैसा वापस मिलता है। साथ ही मुआवजे के तौर पर एकतरफ के मूल किराये का 400 फीसदी और एयरलाइन फ्यूल चार्ज के बराबर या 20,000 रुपये मिलता है। अगर अकासा एयर के मामले की बात करें, तो एयरलाइन को हर यात्री को मुआवजे के तौर पर 10,000 रुपये देना चाहिए था।

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