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    किसानों के लिए खुशखबरी, फसल बीमा मिलने में हुई देर तो मिलेगा 12 फीसदी ब्याज; जानें पूरी डिटेल

    Updated: Fri, 10 Jan 2025 08:20 PM (IST)

    अभी तक क्रॉप कटिंग के दौरान स्थल निरीक्षण कर नुकसान का आकलन होता था। किंतु अब केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि क्षति का आकलन सैटेलाइट बेस्ड सिस्टम से किया जाएगा। फसल बीमा योजना के तहत अभी तक एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक के दावों का भुगतान किया जा चुका है। फसल बीमा योजना केंद्र एवं राज्य सरकारें मिलकर संचालित करती हैं।

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    कुछ राज्य अपने हिस्से का प्रीमियम अनुदान देने में देर कर रहे थे।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बाढ़-सुखाड़ या अन्य किसी प्राकृतिक आपदा और मौसमी घटनाओं के चलते किसानों की फसलों के नुकसान का सही एवं सटीक आकलन की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए रिमोट सेंसिंग का सहारा लिया जाएगा। किसानों को यदि बीमा कंपनियां क्षतिपूर्ति देने में विलंब करेंगी, तो उन्हें प्रतिवर्ष 12 प्रतिशत ब्याज के साथ पैसे देने होंगे।

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    अभी तक क्रॉप कटिंग के दौरान स्थल निरीक्षण कर नुकसान का आकलन होता था। किंतु अब केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि क्षति का आकलन सैटेलाइट बेस्ड सिस्टम से किया जाएगा। रिमोट सेंसिंग ऐसी तकनीक है, जिसमें किसी वस्तु के बारे में जानकारी लेने के लिए साइट विजिट की आवश्यकता नहीं होती है। सैटेलाइट के माध्यम से वस्तु की वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल जाती है।

    कब हुई थी फसल बीमा की शुरुआत

    किसानों की फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार ने 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत अभी तक एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक के दावों का भुगतान किया जा चुका है। फसल बीमा योजना केंद्र एवं राज्य सरकारें मिलकर संचालित करती हैं। किंतु कई राज्यों से बीमा भुगतान के दावों के समाधान में देरी की शिकायतें आ रही थी। कारण कई थे।

    कुछ राज्य अपने हिस्से का प्रीमियम अनुदान देने में देर कर रहे थे। उपज के ब्योरे देने में भी झोल देखा जा रहा था। इसी तरह बीमा कंपनियां एवं राज्यों के बीच मतभेद, पात्र किसानों के खातों में क्षतिपूर्ति राशि को अंतरित करने के लिए खाता विवरण नहीं मिलना, राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर व्यक्तिगत रूप से किसानों के आंकड़ों की गलत या अपूर्ण प्रविष्टि, किसानों के प्रीमियम को भेजने में देरी के साथ-साथ संबंधित बीमा कंपनी को किसानों के प्रीमियम के हिस्से को नहीं भेजना आदि शामिल थे।

    अब समय पर निपटाया जा सकेगा दावा

    ऐसे तमाम कारणों के चलते अधिकांश लंबित दावों का निपटारा समय पर नहीं हो पा रहा था। केंद्र ने इसका संज्ञान लिया और अपना प्रीमियम राज्यों से अलग कर लिया, ताकि बीमा राशि समय पर जारी किया जा सके। साथ ही बीमा कंपनियों पर भी नकेल कसी गई। राज्य सरकारों की ओर से फसल नुकसान का अंतिम ब्योरा प्राप्त होने की तारीख से तीस दिनों के भीतर क्षतिपूर्ति का भुगतान करना अनिवार्य कर दिया गया। तय अवधि से आगे बढ़ने पर कंपनियों को प्रतिवर्ष 12 प्रतिशत ब्याज की दर से राशि का भुगतान करना होगा।

    किसान का प्रीमियम हिस्सा खरीफ फसलों के लिए दो प्रतिशत, रबी के लिए 1.5 प्रतिशत, वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए पांच प्रतिशत तक सीमित है। केंद्र सरकार ने खरीफ 2023 में शुरू की गई डिजीक्लेम प्लेटफार्म पर राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल के माध्यम से किसानों को सीधे भुगतान हस्तांतरित करके दावों में पारदर्शिता लाने का भी प्रबंध किया है।

    शिकायतों के निपटारे के लिए कृषि रक्षक पोर्टल और एक समर्पित टोल-फ्री हेल्पलाइन (14447) नंबर भी जारी किया गया है। इसकी मदद से किसान अपनी बीमा संबंधी शिकायतों को ट्रैक कर सकते हैं और एक तय समय सीमा के भीतर समाधान प्राप्त कर सकते हैं।

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