RBI गवर्नर शक्तिकांत दास का डीपफेक वीडियो वायरल, केंद्रीय बैंक ने जनता को किया आगाह
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का एक डीपफेक वीडियो वायरल हुआ है। इसमें आरबीआई Deepfake video of RBI Governor गवर्नर कुछ निवेश योजनाएं शुरू करने या उनमें ...और पढ़ें

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। टेक्नोलॉजी का चलन बढ़ने के साथ इससे जुड़े फ्रॉड भी बेतहाशा बढ़े हैं। ताजा मामले में जालसाजों ने आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का 'डीपफेक' बनाया है। इसमें आरबीआई गवर्नर कुछ निवेश योजनाएं शुरू करने या उसका समर्थन करने की बात कर रहे हैं। इन योजनाओं को केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई की तरफ से चलाने की बात कही जा रही है।
आरबीआई ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे गवर्नर शक्तिकांत दास के 'डीपफेक' यानी फर्जी वीडियो के प्रति आगाह किया है। आरबीआई ने मंगलवार को जारी बयान में कहा, 'हमारे संज्ञान में आया है कि गवर्नर के फर्जी वीडियो इंटरनेट मीडिया में प्रसारित किए जा रहे हैं। इसमें आरबीआई द्वारा कुछ निवेश योजनाओं को शुरू करने या समर्थन करने का दावा किया गया है।'
वीडियो में तकनीकी उपकरणों के उपयोग के माध्यम से लोगों को ऐसी योजनाओं में अपना पैसा निवेश करने की सलाह देने की कोशिश की गई है। बयान में कहा गया, 'आरबीआई स्पष्ट करता है कि उसके अधिकारी ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं हैं या उसका समर्थन नहीं करते हैं और ये वीडियो पूरी तरह से फर्जी हैं। आरबीआई कभी भी कोई वित्तीय निवेश सलाह नहीं देता है।'
एनएसई के सीईओ का भी आया था डीपफेक
इस साल की शुरुआत में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने निवेशकों को सावधान करते हुए एक ऐसी ही सलाह जारी की थी। उस वक्त एनएसई क MD और CEO आशीष कुमार चौहान के डीपफेक वीडियो आया था, जिसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई की मदद से बनाया गया था। उसमें चौहान कुछ स्टॉक को खरीदने की सिफारिश करते दिख रहे थे।
एनएसई ने तब साफ किया था कि निवेशक ऐसे झांसे में न आएं, क्योंकि एनएसई अधिकारी शेयर खरीदने या बेचने की सलाह नहीं देते। इसके अलावा भी कई मामले हैं, जहां बड़े कारोबारियों के वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर खरीदने की सिफारिश करते और व्यावसायिक सलाह देते हुए वायरल किए गए थे। वे सभी वीडियो फर्जी थे और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बनाए गए थे।
एक्सचेंज खुद भी उन समाचारों पर नजर रखते हैं जो कंपनियों के बारे में प्रसारित होते हैं और जिनका संबंधित कंपनियों ने खुलासा नहीं किया होता। वे यह भी ट्रैक करते हैं कि क्या निवेशक ऐसी कंपनियों में असत्यापित समाचारों के आधार पर निवेश कर रहे हैं। अगर समाचार असत्यापित है, तो एक्सचेंज आमतौर पर कंपनी से पुष्टि या खंडन करने के लिए कहते हैं।


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