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    RBI के पूर्व डिप्टी गर्वनर सुब्बाराव ने कहा- पांच ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था के लिए नौ प्रतिशत विकास दर जरूरी

    आरबीआइ के पूर्व डिप्टी गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा कि राज्यों और केंद्र सरकार को यह महसूस करना चाहिए कि देश के पास अतिरिक्त बजट नहीं है और निश्चित रूप से कुछ सुरक्षा तंत्र की जरूरत है ।

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Mon, 15 Aug 2022 10:15 PM (IST)
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    आरबीआइ के पूर्व डिप्टी गवर्नर डी सुब्बाराव की फाइल फोटो

    हैदराबाद, एजेंसी। आरबीआइ के पूर्व डिप्टी गवर्नर डी सुब्बाराव ने सोमवार को कहा कि भारत 2028-29 तक पांच ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था वाला देश बन सकता है, लेकिन इसके लिए अगले पांच वर्षो तक लगातार नौ प्रतिशत की विकास दर होनी जरूरी है। यह जानकारी समाचार एजेंसी पीटीआई ने दी।

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    पांच ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनने में आठ प्रमुख चुनौतियां

    फेडरेशन आफ तेलंगाना चेंबर आफ कामर्स के कार्यक्रम में सुब्बाराव ने कहा कि भारत के पांच ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनने में आठ प्रमुख चुनौतियां हैं। इसमें निवेश में वृद्धि, उत्पादकता में सुधार, शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार, रोजगार सृजन, कृषि उत्पादकता में वृद्धि, आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना, वैश्विक रुझानों का प्रबंधन और शासन में सुधार शामिल हैं।

    राज्यों की ओर से दी जा रही सब्सिडी के लिए सभी राजनीतिक दलों को दोषी ठहराया

    सुब्बाराव ने कहा कि मोदी सरकार ने राज्यों की ओर से दी जा रही सब्सिडी पर बहस शुरू की है और इस स्थिति के लिए सभी राजनीतिक दल दोषी हैं। राज्यों और केंद्र सरकार को यह महसूस करना चाहिए कि देश के पास अतिरिक्त बजट नहीं है और निश्चित रूप से कुछ सुरक्षा तंत्र की जरूरत है। सरकारों को सतर्क और चयनात्मक होना चाहिए कि कर्ज के पैसों से क्या मुफ्त दिया जाए और आने वाली पीढ़ियों पर अनावश्यक कर्ज का बोझ न डाला जाए।

    भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश

    वहीं, इस कार्यक्रम में एफटीसीसीआई (FTCCI) के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा कि भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। प्रति व्यक्ति आय अब लगभग 2,220 डॉलर है। देश को विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण में शीर्ष पांच देशों में जगह मिली है। भारत विश्व स्तर पर कोयला, इस्पात, बिजली और फार्मास्यूटिकल्स का अग्रणी उत्पादक है। आजादी के समय भारत की जीडीपी 2.7 लाख करोड़ रुपये थी और अब यह 135.13 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।