CRISIL Report: एफडी और घरेलू बचत में गिरावट बन सकती है बैंकों के लिए समस्या
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने bank deposit के ढांचे में आ रहे बदलाव पर एक चेतावनी भरी रिपोर्ट जारी की है। इसका कहना है कि अधिक रिटर्न की उम्मीद में लोग दूसरे विकल्प को अपना रहे हैं लेकिन इससे बैंकों के पास सस्ती जमा राशि का अनुपात कम होता जा रहा है। जमा पर ब्याज दरें घटाए जाने के कारण यह ट्रेंड आगे भी जारी रह सकता है।

सावधि जमा यानी एफडी (FD) में गिरावट और चालू एवं बचत खातों (CASA) में जमा राशि में कमी के कारण बैंकों के डिपॉजिट स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव आ रहा है। यह बदलाव मध्यम से लंबी अवधि में बैंकों के लिए चुनौतियां पैदा कर सकता है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में यह बात कही।
उसका कहना है कि यह बदलाव ऐसे समय में आया है जब ऊंचे रिटर्न की तलाश में लोग पूंजी बाजार में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं। हालांकि पूंजी बाजार में निवेश बढ़ने को लेकर चिंता जताई जा रही है, फिर भी कुछ लोगों का मानना है कि यह बदलाव सिस्टम के परिपक्व होने को दर्शाता है।
रेटिंग एजेंसी ने एक नोट में कहा, जमा में संरचनात्मक बदलाव स्थिरता के लिए चुनौतियां पैदा कर सकते हैं। मध्यम से दीर्घावधि में विशेष रूप से तरलता की कमी होने पर फंडिंग की लागत पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।
बैंक में घट रही हाउसहोल्ड जमा की हिस्सेदारी
क्रिसिल ने कहा कि मार्च 2025 में बैंक जमा में परिवारों (household deposit) की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत रह गई, जबकि मार्च 2020 में यह 64 प्रतिशत थी। बैंकों के लिए जमा में वृद्धि के अलावा इसकी संरचना भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह स्थिरता और लागत को प्रभावित करती है। एजेंसी को भविष्य में परिवारों के योगदान में और गिरावट की उम्मीद है।
आम परिवारों की जमाराशि में नॉन-फाइनेंशियल कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ने का जिक्र करते हुए क्रिसिल की निदेशक सुभा श्री नारायणन ने कहा, “इसके निहितार्थ हैं, क्योंकि कॉरपोरेट जमाकर्ता दरों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और छोटी अवधि को प्राथमिकता देते हैं।” नारायणन ने कहा कि जैसे-जैसे वैकल्पिक निवेश लोकप्रिय होते जा रहे हैं, हमें लगता है कि घरेलू जमाओं की हिस्सेदारी में और गिरावट आएगी।
ब्याज दरों में कटौती से जमा में और आएगी गिरावट
इसी तरह, कम लागत वाली कासा जमा में भी गिरावट देखी जा रही है। इसका अनुपात मार्च 2022 में 25 साल के उच्चतम स्तर, 42 प्रतिशत से घटकर जून 2025 में 36 प्रतिशत रह गया। एजेंसी का मानना है कि बैंकों द्वारा बचत ब्याज दरों में हाल में की गई कटौती इस प्रवृत्ति को और बढ़ाएगी।
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