CRISIL ने 7.1 फीसद से घटाकर 6.9 फीसद किया GDP ग्रोथ रेट का अनुमान
GDP विकास दर के अनुमान को घटाने के साथ ही क्रिसिल ने यह भी कहा है कि दूसरी छमाही में ब्याज दरों की कटौती और उपभोग बढ़ने से स्थिति सुधर सकती है।
By Pawan JayaswalEdited By: Published: Fri, 02 Aug 2019 10:48 AM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 10:48 AM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आर्थिक सुस्ती के मंडराते बादलों के बीच गुरुवार को देश की एक प्रमुख रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने चालू वित्त वर्ष (2019-20) के लिए आर्थिक विकास दर अनुमान घटा दिया है। एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर अनुमान 20 आधार अंक कम करते हुए 6.9 फीसद रखा है। इस कटौती के लिए क्रिसिल ने मानसून के पर्याप्त नहीं होने और वैश्विक मंदी को सबसे प्रमुख कारण बताया है। कुछ दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने घरेलू मांग में गिरावट का हवाला देते हुए भारत का आर्थिक विकास दर अनुमान घटाकर सात फीसद कर दिया था। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच, कोटक महिंद्रा जैसे वित्तीय संस्थानों की शोध एजेंसियों ने भी पिछले दिनों भारत की जीडीपी वृद्धि दर में चालू वित्त वर्ष के दौरान 50 आधार अंकों यानी 0.5 फीसद तक की कमी का अनुमान लगाया था। इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने भी जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 7.2 फीसद से घटाकर सात फीसद किया था।
यही नहीं, क्रिसिल ने आने वाले दिनों में अनुमान और घटाने की संभावना से इन्कार नहीं किया है। अनुमान घटाने के पीछे आर्थिक सुस्ती की बात कही गई है। हालांकि, क्रिसिल ने यह भी कहा है कि दूसरी छमाही में ब्याज दरों की कटौती और उपभोग बढ़ने से स्थिति सुधर सकती है। गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष में देश की आर्थिक विकास दर 6.8 फीसद और उसके पिछले वित्त वर्ष (2017-18) में 8.2 फीसद रही थी। आर्थिक सर्वे में सरकार ने विकास दर के सात फीसद रहने की बात कही है।
ये चुनौतियां बनीं आधार
क्रिसिल ने देश की अर्थव्यवस्था के समक्ष कई तरह की मौजूदा चुनौतियों को गिनाया है। इनमें मानसून की बारिश में कमी, वैश्विक कारोबार विवाद, एनबीएफसी संकट शामिल हैं। इन सभी वजहों ने मिलकर मध्यम वर्ग की तरफ से बाजार में आने वाली मांग पर बहुत ज्यादा असर डाला है। क्रिसिल ने यह अनुमान देश के प्रमुख आठ औद्योगिक सेक्टर की वृद्धि दर महज 0.2 फीसद रह जाने की खबरों के एक दिन बाद ही घटाया है।
यही नहीं, क्रिसिल ने आने वाले दिनों में अनुमान और घटाने की संभावना से इन्कार नहीं किया है। अनुमान घटाने के पीछे आर्थिक सुस्ती की बात कही गई है। हालांकि, क्रिसिल ने यह भी कहा है कि दूसरी छमाही में ब्याज दरों की कटौती और उपभोग बढ़ने से स्थिति सुधर सकती है। गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष में देश की आर्थिक विकास दर 6.8 फीसद और उसके पिछले वित्त वर्ष (2017-18) में 8.2 फीसद रही थी। आर्थिक सर्वे में सरकार ने विकास दर के सात फीसद रहने की बात कही है।
ये चुनौतियां बनीं आधार
क्रिसिल ने देश की अर्थव्यवस्था के समक्ष कई तरह की मौजूदा चुनौतियों को गिनाया है। इनमें मानसून की बारिश में कमी, वैश्विक कारोबार विवाद, एनबीएफसी संकट शामिल हैं। इन सभी वजहों ने मिलकर मध्यम वर्ग की तरफ से बाजार में आने वाली मांग पर बहुत ज्यादा असर डाला है। क्रिसिल ने यह अनुमान देश के प्रमुख आठ औद्योगिक सेक्टर की वृद्धि दर महज 0.2 फीसद रह जाने की खबरों के एक दिन बाद ही घटाया है।
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