जीएसटी के दायरे में आ सकते हैं कपास, गन्ना व मूंगफली
कपास, गन्ना व मूंगफली जैसी नकदी फसलें जीएसटी के दायरे में आ सकती हैं ...और पढ़ें

नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में किसान नहीं आएंगे। हालांकि कपास, गन्ना व मूंगफली जैसी नकदी फसलें जीएसटी के दायरे में आ सकती हैं। ऐसा होने पर ये वस्तुएं खरीदने वाले व्यापारी को जीएसटी का भुगतान करना होगा। गन्ना, कपास और मूंगफली जैसी फसलें उगाने और बेचने वाले किसानों को जीएसटी के तहत पंजीकरण कराने की भी जरूरत नहीं होगी।
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने किसानों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने के लिए प्रस्तावित मॉडल जीएसटी कानून में ‘कृषि’ शब्द की जगह ‘कृषक’ शब्द को जगह दी है। असल में दिसंबर, 2016 में हुई जीएसटी काउंसिल की पांचवी बैठक में जीएसटी मॉडल लॉ में ‘कृषि’ शब्द ही रखने का प्रस्ताव किया था। लेकिन बाद में केंद्र सरकार ने इसे बदल दिया है। केंद्र ने अब आयकर कानून 1961 के अनुरूप व्यवस्था को अपनाते हुए जीएसटी कानून में ‘कृषक’ शब्द रखने का प्रस्ताव ही जीएसटी काउंसिल में किया है। ऐसा होने पर जीएसटी कानून में स्थिति बिल्कुल स्पष्ट हो जाएगी और किसान जीएसटी के दायरे से बाहर रहेंगे।
हालांकि कुछ नकदी फसलें जीएसटी के दायरे में आ सकती हैं। सूत्रों ने कहा कि फिलहाल कपास, मूंगफली और गन्ने जैसी नकदी फसलों पर कुछ रायों में वैट लगता है इसलिए इनको जीएसटी के दायरे में रखा जा सकता है। ऐसी स्थिति में जीएसटी का भुगतान इन फसलों की उपज खरीदने वाले व्यापारी को करना होगा। अगर कोई व्यापारी ऐसा नहीं करेगा तो उसे टैक्स इनपुट क्रेडिट का लाभ नहीं मिल पाएगा।
सूत्रों ने कहा कि इस संबंध में अंतिम निर्णय जीएसटी काउंसिल की अधिकारियों की वह समिति करेगी जो विभिन्न सेवाओं और वस्तुओं को जीएसटी की प्रस्तावित दरों की श्रेणी में फिट करने पर विचार कर रही है। इस समिति में केंद्र के साथ-साथ रायों के भी अधिकारी हैं। माना जा रहा है कि मई-जून तक यह समिति विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की प्रस्तावित दरों को अंतिम रूप दे देगी जिसके बाद जीएसटी काउंसिल पर उस पर अपनी मुहर लगा देगी।

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